सिंगापुर ने भारत के मलक्का स्ट्रेट्स पेट्रोल में शामिल होने की पहल का समर्थन किया है। सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई बैठक में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक के दौरान भारत की इस रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जलसंधि पर निगरानी बढ़ाने की योजना पर भी बातचीत हुई।

रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग पर सहमति
बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि भारत और सिंगापुर रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को और गहरा करेंगे। दोनों देशों ने क्वांटम कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑटोमेशन और मानव रहित पोतों जैसी उभरती तकनीकों में साझेदारी बढ़ाने पर सहमति जताई है, दोनों देशों ने समुद्री सुरक्षा, पनडुब्बी बचाव अभियानों और हिंद-प्रशांत महासागर पहल में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति जताई है।
भारत की रुचि और क्षेत्रीय समन्वय:
विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) पी. कुमारन ने कहा कि भारत मलक्का जलसंधि की गश्त में दिलचस्पी रखता है क्योंकि यह अंडमान सागर के बिल्कुल समीप स्थित है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में बातचीत जारी है।
मौजूदा सदस्य और भारत की अपेक्षा
वर्तमान में मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड और सिंगापुर मिलकर इस जलसंधि की गश्त करते हैं। भारत को उम्मीद है कि मौजूदा सदस्यों और भारत के बीच ऐसा समन्वय स्थापित होगा, जिससे मलक्का स्ट्रेट्स पेट्रोल और भारत जो इस क्षेत्र का निकटवर्ती राज्य है, के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित किया जा सके।
मलक्का जलसंधि के बारे में:
मलक्का जलसंधि एक संकीर्ण समुद्री मार्ग है, जिसकी लंबाई लगभग 900 किलोमीटर (560 मील) और चौड़ाई 65 से 250 किलोमीटर (40 से 155 मील) तक है। यह जलसंधि उत्तर-पूर्व में मलय प्रायद्वीप और दक्षिण-पश्चिम में इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के बीच स्थित है। यह अंडमान सागर (हिंद महासागर) को दक्षिण चीन सागर (प्रशांत महासागर) से जोड़ती है। भारतीय और प्रशांत महासागरों के बीच मुख्य समुद्री मार्ग होने के कारण यह दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण शिपिंग लेनों में से एक है।

रणनीतिक और आर्थिक महत्व:
- वैश्विक चोकपॉइंट: यह हिंद महासागर (अंडमान सागर) को प्रशांत महासागर (दक्षिण चीन सागर) से जोड़ता है और एक अहम समुद्री चोकपॉइंट माना जाता है।
- व्यापार गलियारा: यह पश्चिम एशिया/अफ्रीका और पूर्वी एशिया के बीच सबसे छोटा समुद्री मार्ग है, जो वैश्विक वाणिज्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- व्यापार का विशाल प्रवाह: विश्व समुद्री व्यापार का लगभग 60% इसी मार्ग से होकर गुजरता है, जिसमें मध्य-पूर्व से चीन, जापान और दक्षिण-पूर्व एशिया को होने वाली बड़े पैमाने की तेल आपूर्ति भी शामिल है।
- आर्थिक प्रभाव: इस मार्ग में किसी भी तरह का व्यवधान वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और ऊर्जा सुरक्षा को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
- भूराजनीतिक महत्व: भारत, चीन, अमेरिका और आसियान देशों के हित यहां टकराते हैं, जिससे यह क्षेत्र क्षेत्रीय और वैश्विक रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन गया है।
मलक्का जलडमरूमध्य भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
- व्यापार और ऊर्जा सुरक्षा: मलक्का जलडमरूमध्य भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत के लगभग 80% कच्चे तेल आयात और पूर्वी एशिया के साथ होने वाले बड़े व्यापार का प्रमुख मार्ग है। हिंद महासागर और प्रशांत महासागर को जोड़ने वाला यह सबसे छोटा समुद्री रास्ता भारत को दक्षिण-पूर्व और पूर्वी एशिया से सीधे जोड़ता है।
- सामरिक महत्व: सामरिक दृष्टि से भी यह क्षेत्र बेहद अहम है, क्योंकि यह भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को एशियाई व्यापार मार्गों से जोड़ता है और भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त प्रदान करता है।
- चीन के प्रभाव का संतुलन: चीन की ऊर्जा आपूर्ति का बड़ा हिस्सा इसी मार्ग पर निर्भर है, जिसे “मलक्का दुविधा” कहा जाता है। ऐसे में भारत की मजबूत मौजूदगी चीन के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करती है।
- नौसैनिक सुरक्षा और परिचालन: यह क्षेत्र समुद्री डकैती, तस्करी और आतंकवाद जैसी चुनौतियों के लिए संवेदनशील है, इसलिए भारत सिंगापुर, इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देशों के साथ मिलकर यहां समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- एक्ट ईस्ट नीति में भूमिका: इसके अलावा, मलक्का जलडमरूमध्य भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का भी अहम हिस्सा है, जो आसियान देशों के साथ व्यापार और संपर्क को मजबूत करता है। यह भारत की मुक्त, सुरक्षित और खुले इंडो-पैसिफिक की रणनीति को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मलक्का दुविधा (Malacca Dilemma) क्या है?
मलक्का दुविधा चीन की एक रणनीतिक कमजोरी है, जो उसकी मलक्का जलसंधि पर अत्यधिक निर्भरता से जुड़ी है। यह जलसंधि हिंद महासागर को दक्षिण चीन सागर से जोड़ने वाला एक अहम समुद्री चोकपॉइंट है। हर साल यहां से 60,000 से अधिक पोत गुजरते हैं, जो वैश्विक समुद्री व्यापार का लगभग 25% हिस्सा है। इसमें चीन के कच्चे तेल के आयात का लगभग 80% शामिल है।
इस शब्द को 2003 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव हू जिंताओ ने गढ़ा था, ताकि चीन की बढ़ती आर्थिक और सुरक्षा चिंताओं को रेखांकित किया जा सके। इन चिंताओं का कारण समुद्री डकैती, समुद्री आतंकवाद और अन्य महाशक्तियों (विशेषकर अमेरिका) से जुड़े भू-राजनीतिक टकराव की आशंका है, जो इस मार्ग को बाधित कर सकते हैं।
क्या है, चीन की रणनीति:
इस कमजोरी को दूर करने के लिए चीन ने कई कदम उठाए हैं:
- ऊर्जा आयात मार्गों में विविधता लाना: मध्य एशिया, रूस और म्यांमार से पाइपलाइनों का निर्माण।
- चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) विकसित करना।
- हिंद महासागर में रणनीतिक बंदरगाह सुविधाएँ स्थापित करना, जिन्हें “String of Pearls” कहा जाता है।
- अपनी नौसैनिक क्षमताओं को मजबूत करना ताकि समुद्री व्यापार मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
- भारत ने इस पर प्रतिक्रिया स्वरूप अपने नौसैनिक उपस्थिति का विस्तार किया है और क्षेत्रीय देशों के साथ संबंध मजबूत किए हैं, ताकि रणनीतिक घेरेबंदी का मुकाबला किया जा सके।
- कई दक्षिण-पूर्व एशियाई देश चीनी निवेश को स्वीकार कर चुके हैं, जबकि कुछ देश समुद्री संप्रभुता को लेकर सतर्क बने हुए हैं।
- अमेरिका, जिसे चीन की रणनीतिक दृष्टि में ऊर्जा सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जाता है, ने इस क्षेत्र में अपनी नौसैनिक उपस्थिति बनाए रखी है और ऐसी रणनीतियाँ विकसित की हैं जिनसे चीन की प्रमुख शिपिंग लेनों तक पहुँच सीमित की जा सके।
मलक्का स्ट्रेट्स पेट्रोल (MSP) क्या है?
मलक्का स्ट्रेट्स पेट्रोल (MSP) इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड द्वारा लागू एक समन्वित सुरक्षा तंत्र है, जिसका उद्देश्य मलक्का और सिंगापुर जलसंधियों (Straits of Malacca and Singapore – SOMS) की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
इसके प्रमुख घटक कौन-कौन से है ?
MSP में तीन मुख्य तत्व शामिल हैं:
- मलक्का स्ट्रेट्स सी पेट्रोल (MSSP): समुद्र में नियमित संयुक्त गश्त।
- आइज़-इन-द-स्काई (EiS) संयुक्त समुद्री वायु गश्त: हवाई निगरानी और पेट्रोलिंग।
- इंटेलिजेंस एक्सचेंज ग्रुप (IEG): खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान और साझा नेटवर्क।
संचालन और समन्वय:
- सदस्य देशों की नौसेनाएँ नियमित बैठकें आयोजित करती हैं ताकि संचालन का मूल्यांकन और समन्वय बेहतर किया जा सके।
- संदिग्ध गतिविधियों या घटनाओं पर वास्तविक समय में खुफिया जानकारी साझा की जाती है।
- इससे समुद्री खतरों पर त्वरित और प्रभावी कार्रवाई संभव हो पाती है।
निष्कर्ष:
सिंगापुर द्वारा भारत के मलक्का स्ट्रेट्स पेट्रोल में शामिल होने के प्रयास का समर्थन दोनों देशों के बीच गहराते रणनीतिक सहयोग को दर्शाता है। इससे न केवल भारत की इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भूमिका मजबूत होगी, बल्कि मलक्का जलडमरूमध्य में सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी। आने वाले समय में यह पहल भारत की समुद्री रणनीति और क्षेत्रीय साझेदारी को और अधिक मजबूती प्रदान कर सकती है।