SSC New Reforms 2025: SSC अभ्यर्थी देख सकेंगे क्वेश्चन पेपर में अपने जवाब, आयोग ने लागू किए कई सुधार..

कर्मचारी चयन आयोग (SSC) ने पारदर्शिता और निष्पक्षता बढ़ाने के लिए अपनी परीक्षाओं में बड़े बदलावों की घोषणा की है। अब उम्मीदवार वैध प्रमाण के साथ आंसर की पर आपत्तियां दर्ज करा सकेंगे और परीक्षा के बाद प्रश्नपत्र, उत्तर और सही उत्तर देख पाएंगे। ये सुधार सरकारी नौकरियों के चयन में संतुलित, निष्पक्ष और प्रभावी प्रक्रिया सुनिश्चित करेंगे।

 

हालांकि अन्य पालियों के उत्तरों का खुलासा होने से बचने के लिए एक से अधिक शिफ्ट में होने वाली परीक्षाओं के प्रश्नपत्र और उसके उत्तर सार्वजनिक नहीं किए जाएंगे. SSC ने आपत्तियां दर्ज करने की फीस भी 100 रुपये से घटाकर 50 रुपये कर दी है.

SSC New Reforms 2025

आधिकारिक बयान में क्या कहा गया?

पेंशन मंत्रालय और कार्मिक लोक शिकायत विभाग ने 3 अक्टूबर, शुक्रवार को बताया कि उम्मीदवार अब आंसर-की को सबूतों के साथ चुनौती दे सकेंगे और अपनी प्रतिक्रिया निजी उपयोग के लिए रख सकेंगे।

 

आयोग ने जारी किया टोल-फ्री नंबर:

आयोग की ओर से समस्याओं के हल के लिए टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है. 1800-309-3063 नंबर के जरिए आप संपर्क कर सकते हैं. इसके अलावा SSC की ओर से शिकायत करने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल भी शुरू किया गया है. उम्मीदवारों के साथ सीधा संवाद बढ़ाने के लिए, SSC ने अपना आधिकारिक हैंडल X (@SSC_GoI) लॉन्च किया है। साथ ही इक्वि-पर्सेंटाइल नॉर्मलाइज़ेशन भी शुरू किया है.

 

एग्जामिनेशन सिक्योरिटी को मजबूत करना SSC का लक्ष्य:

कर्मचारी चयन आयोग ने “इक्वि-पर्सेंटाइल नॉर्मलाइज़ेशन” नाम का नया सिस्टम लागू किया है। यह उम्मीदवारों का मूल्यांकन पर्सेंटाइल मार्क्स के आधार पर करता है, ताकि अलग-अलग परीक्षा पैटर्न या कठिनाई के कारण किसी भी तरह का लाभ या नुकसान न हो।

सुरक्षा बढ़ाने के लिए SSC ने प्रश्नपत्रों को डिजिटल वॉल्ट सिस्टम के माध्यम से सुरक्षित रखने और निगरानी प्रक्रिया को और सख्त बनाने जैसे कदम उठाए हैं।

 

आपके लिए कैसे है फायदेमंद?

अब आप हर SSC परीक्षा के बाद अपने उत्तरों का मूल्यांकन समय पर कर सकते हैं। आप अपनी शिकायत या सुझाव SSC के ऑनलाइन फीडबैक पोर्टल पर साझा कर सकते हैं। इसके अलावा, ऑब्जेक्शन फीस कम होने से आप अधिक प्रश्नों के लिए आपत्ति दर्ज कर सकते हैं।

 

SSC CGL Re-Exam 14 अक्टूबर को:

SSC ने CGL 2025 के टियर-1 के प्रभावित अभ्यर्थियों के लिए दोबारा परीक्षा की घोषणा की है. इस परीक्षा के लिए कुल 28 लाख आवेदन आए थे. इनका आयोजन 126 शहरों और 255 केंद्रों पर 45 पालियों में 13.5 लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी. री-एग्जाम 14 अक्टूबर को आयोजित किया जाएगा.

 

मार्च 2026 तक होंगी ये परीक्षाएं:

आधिकारिक सूचना के अनुसार, CHSL, MTS, जूनियर इंजीनियर, कांस्टेबल (दिल्ली पुलिस और CAPFs), सब-इंस्पेक्टर (दिल्ली पुलिस और CAPFs) और दिल्ली पुलिस के तकनीकी वर्ग की परीक्षाएं अक्टूबर 2025 से मार्च 2026 के बीच आयोजित की जाएंगी।

 

SSC परीक्षाओं में हुए हालिया बदलाव:

हाल के वर्षों में SSC ने परीक्षा प्रक्रिया को बेहतर और सरल बनाने के लिए कई बदलाव किए हैं। इसमें परीक्षा संरचना, पाठ्यक्रम और मूल्यांकन तकनीकें शामिल हैं। आयोग देर कम करने और तेज परिणाम देने के लिए डिजिटलीकरण पर भी ध्यान दे रहा है। एक बड़ा बदलाव यह है कि अब TCS “SSC CGL 2025” के प्रश्न तैयार नहीं करेगी। इन सुधारों से परीक्षा में विश्वसनीयता और निष्पक्षता बढ़ने की उम्मीद है।

 

SSC CGL परीक्षा 2025 में सुधार:

  • टियर-1 परीक्षा अब एक ही पाली में होगी, जिससे संचालन आसान और पारदर्शी होगा।
  • परीक्षा केंद्र अब उम्मीदवारों के निवास से 100 किलोमीटर के भीतर दिए जाएंगे, जिससे दूर-दराज के केंद्रों की समस्या दूर होगी।
  • SSC ने सिंगल-विक्रेता मॉडल छोड़कर बहु-एजेंसी मॉडल अपनाया है। अलग-अलग सामग्री प्रदाता, संचालन एजेंसियां, आईटी सुरक्षा टीम और निगरानी निकाय अब जिम्मेदारी साझा करेंगे, जिससे तकनीकी समस्याएं कम होंगी और जवाबदेही बढ़ेगी।
  • तकनीकी सुधार: डिजिटल वॉल्ट से डुप्लिकेट प्रश्न, सिस्टम क्रैश और देरी जैसी पिछली समस्याओं को हल किया गया है।
  • IT सुरक्षा: परीक्षा की अखंडता बनाए रखने के लिए C-DAC को नियुक्त किया गया है ताकि साइबर हमले और छेड़छाड़ रोकी जा सके।
  • स्लाइडिंग स्कीम (प्रतीक्षा सूची): अब यदि चयनित उम्मीदवार पद नहीं ग्रहण करते, तो रिक्तियों को भरने के लिए प्रतीक्षा सूची का उपयोग किया जाएगा।

 

इन सुधारों का महत्व:

SSC के ये सुधार इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये परीक्षा प्रक्रिया को पारदर्शी और कुशल बनाते हैं। बढ़ते उम्मीदवारों की संख्या को देखते हुए, इन बदलावों से त्रुटियों और विसंगतियों कम होंगी। साथ ही, ये सुधार विलंबित परिणाम और अंकन में असमानता जैसी समस्याओं को रोकेंगे। संशोधित संरचना और सामान्यीकरण विधियों से सभी उम्मीदवारों को समान अवसर मिलेंगे। ये कदम एक ऐसी प्रणाली बनाने में मदद करेंगे जो योग्यता को मान्यता देती और समावेशिता बनाए रखती है।

 

भविष्य की अपेक्षाएँ और सुझाव:

  • संभावित सुधार: SSC अपनी परीक्षाओं के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए आवेदन शुल्क बढ़ाने पर विचार कर सकता है। इसके अलावा, परिणाम पारदर्शिता और त्रुटि सुधार के लिए और कदम उठाए जा सकते हैं।
  • उम्मीदवारों और नीति निर्माताओं के लिए सुझाव: उम्मीदवारों को हाल के सुधारों पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए और बदलावों पर नज़र बनाए रखनी चाहिए। नीति निर्माताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भर्ती प्रक्रिया निष्पक्ष हो और योग्यता-आधारित चयन को प्राथमिकता दी जाए।

 

कर्मचारी चयन आयोग (SSC) के बारे में:

कर्मचारी चयन आयोग (SSC) भारत सरकार के अधीन एक संगठन है, जो विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और कार्यालयों में कर्मचारियों की भर्ती करता है। यह आयोग कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) से जुड़ा है और इसमें एक अध्यक्ष, दो सदस्य और एक सचिव-सह-परीक्षा नियंत्रक होते हैं, जिनका पद अपर सचिव के समकक्ष होता है।

जनवरी 2023 से SSC ने हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 13 भारतीय भाषाओं में भी मल्टी-टास्किंग (गैर-तकनीकी) स्टाफ परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया।

 

इतिहास:

साल 1967-68 में संसद की अनुमान समिति ने सुझाव दिया कि निचले पदों की भर्ती के लिए एक सेवा चयन आयोग बनाया जाए। इसके बाद, 4 नवंबर 1975 को भारत सरकार ने अधीनस्थ सेवा आयोग की स्थापना की। बाद में, 26 सितंबर 1977 को इसका नाम बदलकर कर्मचारी चयन आयोग (SSC) रखा गया।

21 मई 1999 को भारत सरकार ने SSC के कार्यों को दोबारा परिभाषित किया, और नया संविधान 1 जून 1999 से लागू हुआ। अब SSC हर साल सरकारी नौकरियों में गैर-राजपत्रित पदों के लिए संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा (CGL) सहित कई परीक्षाएँ आयोजित करता है।

 

निष्कर्ष:

SSC के हालिया सुधार पारदर्शिता और निष्पक्षता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। Answer keys पर आपत्ति की सुविधा और शुल्क में कमी से उम्मीदवारों का भरोसा बढ़ेगा और भर्ती प्रक्रिया अधिक पारदर्शी व विश्वसनीय बनेगी।

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