देशभर की प्रतियोगी और सार्वजनिक परीक्षाओं में फर्जीवाड़े पर नियंत्रण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सख्त कदम उठाया। अदालत ने उस आरोपी को कड़ी फटकार लगाई, जिस पर आरोप है कि उसने दिसंबर 2024 में हुई केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) में अपनी जगह किसी और को बैठाया।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा, “आप सार्वजनिक परीक्षाओं की पूरी प्रणाली को नुकसान पहुँचा रहे हैं। ऐसे कृत्यों के कारण कई ईमानदार अभ्यर्थियों को ठेस पहुँचती है।” पीठ ने संदर्भित किया कि आरोपी का व्यवहार बॉलीवुड फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस के पात्र की तरह है, जिसमें संजय दत्त ने मुन्ना भाई का किरदार निभाया था, जो मेडिकल परीक्षा में किसी और को अपनी जगह बैठाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब मांगा है। अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की गई है। यह याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देती है, जिसमें याचिकाकर्ता को जमानत देने से इनकार किया गया था। याचिकाकर्ता और अन्य के खिलाफ मामला एक स्कूल प्रिंसिपल की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता (IPC) और उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम की धाराओं के तहत दर्ज किया गया था।
परीक्षा में धोखाधड़ी की शिकायत:
15 दिसंबर 2024 को CTET परीक्षा के दौरान एक संदिग्ध उम्मीदवार पकड़ा गया, जो असली अभ्यर्थी की जगह परीक्षा दे रहा था। जांच में यह पता चला कि संदीप सिंह पटेल की जगह किसी और ने नकली एडमिट कार्ड का इस्तेमाल किया। संदीप सिंह ने हाई कोर्ट में अपनी सफाई दी कि वह उस दिन बीमार था और अस्पताल में भर्ती था, इसलिए उसे इसकी जानकारी नहीं थी, की उसकी जगह कौन बैठा है।
हालांकि, हाई कोर्ट ने कहा कि किसी की जगह किसी और का परीक्षा देना पूरे शिक्षा तंत्र की ईमानदारी पर सवाल उठाता है और इससे समाज पर नकारात्मक असर पड़ता है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट पहले कर चुका जमानत याचिका खारिज-
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर चुका है। इसके बाद याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि इस मामले में तीन लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया था, जिनमें से दो को जमानत मिल चुकी है।
उत्तर प्रदेश सरकार का विरोध, हाईकोर्ट ने जमानत अस्वीकार की: हालांकि, उत्तर प्रदेश सरकार ने उसकी जमानत याचिका का विरोध किया और अदालत को बताया कि उसके खिलाफ साजिश में पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि कॉल रिकॉर्ड से यह स्पष्ट हुआ कि पटेल का अन्य आरोपियों से संपर्क था। 8 जुलाई 2025 को हाईकोर्ट ने उसे इस अपराध का मुख्य लाभार्थी मानते हुए जमानत देने से इंकार कर दिया।
पिछले सात सालों में 70 पेपर लीक, 1.7 करोड़ परीक्षार्थी प्रभावित:
2024 की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सात वर्षों में देश के 15 राज्यों में भर्ती और बोर्ड परीक्षाओं समेत 70 से अधिक पेपर लीक के मामले सामने आए हैं। इन लीक मामलों ने करीब 1.7 करोड़ परीक्षार्थियों के शेड्यूल को प्रभावित किया।
राज्यवार प्रभाव: पेपर लीक की घटनाए:
इसी रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और गुजरात जैसे बड़े राज्य परीक्षा पेपर लीक से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। यह समस्या चुनावों के दौरान और अधिक गर्म हो जाती है, जब राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप लगाती हैं, लेकिन चुनाव समाप्त होते ही मामला जल्दी भुला दिया जाता है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या राजनेता और पेपर लीक माफिया एक-दूसरे के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
परीक्षा प्रणाली पर उठते सवाल: पेपर लीक और फर्जीवाड़े से लाखों अभ्यर्थी परेशान
राजस्थान:
- 2018 जेल वार्डन परीक्षा: 7 लाख अभ्यर्थी बैठे, पेपर लीक हुआ, 70 लोग गिरफ्तार।
- 2021 एसआई भर्ती: पेपर लीक और प्रॉक्सी पकड़ाई, 125 से अधिक गिरफ्तारियां, परीक्षा रद्द।
- रीट पेपर लीक: 600 से अधिक संदिग्ध, 123 शिक्षकों पर एफआईआर।
उत्तर प्रदेश:
- 2021 यूपीटीईटी: पेपर लीक के बाद परीक्षा रद्द, 18.22 लाख अभ्यर्थी प्रभावित।
- 2022 शिक्षक भर्ती घोटाला: 203 चयनितों में से 202 की बीपीएड डिग्री फर्जी।
- 2024 कॉन्स्टेबल भर्ती: 60 हजार पदों के लिए परीक्षा, पर्चा लीक होने पर परीक्षा रद्द, 48 लाख अभ्यर्थी तंग।
बिहार:
- 2023-24 कॉन्स्टेबल भर्ती: पेपर लीक, 62 से अधिक संदिग्ध चिह्नित।
- प्राथमिक शिक्षक भर्ती: 1300 से अधिक नियुक्तियों में 445 उम्मीदवारों के दस्तावेज फर्जी पाए गए।
पेपर लीक और भर्ती परीक्षा घोटालों के पीछे कई प्रकार के कारक हो सकते हैं।
- अंदरूनी मिलीभगत: परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसियों या प्रिंटिंग प्रेस के कर्मचारियों की संलिप्तता।
- भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी: अधिकारियों और दलालों की मिलीभगत से अभ्यर्थियों से मोटी रकम लेकर पेपर लीक कराना।
- डिजिटल सुरक्षा की कमी: ऑनलाइन परीक्षा प्रणाली में कमजोर साइबर सुरक्षा।
- प्रॉक्सी और फर्जीवाड़ा: असली अभ्यर्थी की जगह दूसरे को परीक्षा में बैठाना।
- दलाल नेटवर्क: बड़े स्तर पर सक्रिय गिरोह जो पेपर बेचकर करोड़ों कमाते हैं।
- लैक्सिटी इन इन्फ्रास्ट्रक्चर: प्रश्नपत्र सील, ट्रांसपोर्ट और गोपनीयता के नियमों में ढील।
- जांच और दंड की कमजोरी: अपराधियों पर समय पर सख्त कार्रवाई न होना, जिससे ऐसे अपराध दोहराए जाते हैं।
Public Examinations (Prevention of Unfair Means) Act, 2024: भ्रष्टाचार पर कड़ा कानून:
भारत में प्रतियोगी परीक्षाओं में भ्रष्टाचार को मुख्य रूप से Public Examinations (Prevention of Unfair Means) Act, 2024 के तहत नियंत्रित किया जाता है। इस कानून के तहत संगठित cheating, पेपर लीक या अन्य अनुचित साधनों से आर्थिक लाभ लेने वाले व्यक्तियों और संस्थानों को 3–10 साल की कैद और 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। यह कानून केंद्रीय सरकारी निकायों द्वारा आयोजित सार्वजनिक परीक्षाओं पर लागू होता है, जबकि राज्यों के पास अपने अलग- अलग एंटी-चीटिंग कानून हैं। विभिन्न राज्यों में दंड और जुर्माने में भी महत्वपूर्ण अंतर होता है।
- कानून का दायरा: यह कानून UPSC, Staff Selection Commission और National Testing Agency जैसी केंद्रीय संस्थाओं द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं पर लागू होता है।
- व्यक्तियों के लिए दंड: जो लोग संगठित तरीके से cheating, पेपर लीक या अन्य अनुचित साधनों का उपयोग कर लाभ उठाते हैं, उन्हें 3 से 10 साल की जेल और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
- सेवा प्रदाताओं के लिए दंड: जिन एजेंसियों या कंपनियों का इस तरह के अनुचित कार्यों में शामिल होना पाया जाता है, उन पर 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और चार साल तक सार्वजनिक परीक्षाएँ आयोजित करने से रोका जा सकता है।
- मुख्य उद्देश्य: यह कानून मुख्य रूप से उन संगठित गिरोहों और संस्थानों को लक्षित करता है जो आर्थिक या अन्य अवैध लाभ के लिए अनुचित साधनों का उपयोग करते हैं, न कि उन छात्रों को जो परीक्षा के दौरान व्यक्तिगत रूप से कोई malpractice करते हैं।
परीक्षा फर्जीवाड़े रोकने के उपाय:
- परीक्षा में अनियमितताओं और फर्जीवाड़े से निपटने के लिए सख्त कदम उठाना आवश्यक है। इसके लिए विभिन्न आयोगों के परीक्षा विभागों को पारदर्शी और उचित परीक्षा संचालन के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
- ICT तकनीक पर आधारित परीक्षा प्रणाली विकसित की जानी चाहिए और कंप्यूटर आधारित टेस्ट के लिए विश्वसनीय और प्रतिष्ठित कंपनियों को हायर किया जाना चाहिए।
- परीक्षा संबंधी किसी भी अनियमितता पर कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान होना चाहिए और इसे फास्ट-ट्रैक अदालतों के माध्यम से शीघ्र निपटाया जाना चाहिए।
- साथ ही, एक स्वतंत्र जांच एजेंसी नियुक्त की जानी चाहिए जो समय-समय पर परीक्षा प्रणाली की समीक्षा करे, खामियों को उजागर करे और सुधार के उपाय सुझाए। इसके अलावा, लोगों में उच्च नैतिक मानकों को बढ़ावा देना भी जरूरी है।
निष्कर्ष:
प्रतियोगी परीक्षाओं में धोखाधड़ी और पेपर लीक जैसी गतिविधियों से लाखों छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ता है। ऐसे मामलों में कड़ी सजा और सख्त नियमों का पालन आवश्यक है। संगठित गिरोह और संस्थानों को आर्थिक लाभ के लिए अनुचित साधनों का उपयोग करने से रोकने के लिए कानून सख्ती से लागू होना चाहिए। यदि ऐसे अपराधियों को बिना दंड के छोड़ा गया, तो परीक्षाओं की ईमानदारी और छात्रों का विश्वास दोनों खो जाएगा। इसीलिए कठोर दंड और पारदर्शी नियम सभी स्तरों पर अनिवार्य होने चाहिए, ताकि भविष्य में लाखों छात्रों के करियर सुरक्षित रह सकें।