सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के जामनगर स्थित वंतारा वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर की जांच के लिए सोमवार को 4 सदस्यीय विशेष जांच टीम (SIT) गठित की है। इस सेंटर का संचालन रिलायंस फाउंडेशन करता है।
SIT की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस जे. चेलमेश्वर करेंगे। टीम में शामिल हैं:
- जस्टिस राघवेंद्र चौहान (पूर्व चीफ जस्टिस, उत्तराखंड और तेलंगाना हाईकोर्ट)
- पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर हेमंत नागराले
- कस्टम्स अधिकारी अनिश गुप्ता
अदालत ने SIT को 12 सितंबर तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है, जिसके आधार पर 15 सितंबर को अगली सुनवाई होगी और आगे का निर्णय लिया जाएगा।
SIT गठित होने के बाद, वंतारा जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर ने मंगलवार को बयान जारी करते हुए कहा कि संगठन जांच में पूर्ण सहयोग करेगा और जानवरों की सुरक्षा व पुनर्वास का कार्य जारी रखेगा। संगठन ने यह भी स्पष्ट किया कि वह कानून का पालन करेगा।
SIT किस चीज़ की करेगी जांच–
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित SIT निम्नलिखित पहलुओं की जांच करेगी:
- वन्यजीव अधिग्रहण और कानूनी अनुपालन: भारत और विदेश से जानवरों की खरीद में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, चिड़ियाघरों के नियम, अंतरराष्ट्रीय प्रजाति व्यापार संधि (CITES), आयात-निर्यात कानून और अन्य वैधानिक आवश्यकताओं का पालन हुआ या नहीं।
- पशु कल्याण और देखभाल: पशुपालन मानक, पशु-चिकित्सा देखभाल, पशु कल्याण, मृत्यु दर और उसके कारण, जलवायु और स्थान संबंधी शिकायतों की जांच।
- संग्रह और प्रजनन कार्यक्रम: निजी संग्रह बनाने के आरोप, प्रजनन और संरक्षण कार्यक्रम, जैव विविधता संसाधनों का उपयोग, कानूनी उल्लंघन, वन्यजीव तस्करी और पशु उत्पादों के व्यापार।
- वित्तीय और प्रशासनिक अनुपालन: वित्तीय अनुपालन, मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य संबंधित मुद्दों की शिकायतें।
- सूचना संग्रह: जरूरत पड़ने पर याचिकाकर्ताओं, अधिकारियों, नियामकों, हस्तक्षेपकर्ताओं और पत्रकारों से भी जानकारी ली जा सकेगी।
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि SIT की जांच केवल सत्य और तथ्य जानने के उद्देश्य से है, ताकि अदालत सही जानकारी के आधार पर निर्णय ले सके। यह आदेश यह नहीं बताता कि वनतारा या कोई सरकारी संस्था गलत कर रही है।
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हथिनी माधुरी विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने वनतारा शिफ्टिंग का आदेश बरकरार रखा, बॉम्बे HC और CJI की सुनवाई भी रही अहम
16 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि हथिनी माधुरी को गुजरात के वनतारा वाइल्डलाइफ रेस्क्यू सेंटर में शिफ्ट किया जाए। यह आदेश PETA इंडिया की ओर से माधुरी की स्वास्थ्य समस्याओं, गठिया और मानसिक तनाव को लेकर जताई गई चिंताओं के बाद दिया गया।
इससे पहले दिसंबर 2024 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी हथिनी के स्वास्थ्य और कल्याण को ध्यान में रखते हुए उसे वनतारा स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था। इसके बाद 29 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को बरकरार रखा। यह मामला 2023 से लंबित है।
माधुरी को वनतारा शिफ्ट किए जाने के बाद कोल्हापुर में जुलाई के आखिरी हफ्ते में विरोध प्रदर्शन हुए। स्थानीय लोगों ने हस्ताक्षर अभियान चलाकर हथिनी को वापस लाने की मांग की और आरोप लगाया कि यह धार्मिक परंपराओं और भावनाओं के खिलाफ है।
14 अगस्त 2025 को अदालत ने याचिका में वनतारा को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया। इस दिन जस्टिस पंकज मित्तल और पीबी वराले की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि वे वनतारा पर आरोप लगा रहे हैं, जबकि उसे याचिका में शामिल ही नहीं किया गया था।
अदालत ने वनतारा को पक्षकार बनाने और मामले में लौटने का निर्देश दिया, साथ ही सुनवाई की अगली तारीख 25 अगस्त तय की। इससे पहले, 11 अगस्त को CJI बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने हथिनी को वनतारा भेजने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई को सहमति दी थी।