टेस्ला की भारत में पहली कार लॉन्च: मॉडल Y के दो वेरिएंट्स के साथ एंट्री

दुनिया की अग्रणी इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी टेस्ला ने आखिरकार भारत में अपने सफर की औपचारिक शुरुआत कर दी है। एलन मस्क की इस कंपनी ने मुंबई के प्रमुख व्यापारिक केंद्र बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) में अपना पहला शोरूम खोलते हुए भारतीय बाजार में बहुप्रतीक्षित इलेक्ट्रिक SUV Model Y को लॉन्च कर दिया है।

कंपनी का दावा है कि यह प्रीमियम इलेक्ट्रिक SUV एक बार फुल चार्ज होने पर 622 किलोमीटर तक की रेंज देती है। इसमें सेफ्टी के लिए 8 एयरबैग और लेवल-2 ADAS (Advanced Driver Assistance System) जैसे एडवांस्ड फीचर्स शामिल हैं, जो इसे भारत की सबसे उन्नत इलेक्ट्रिक कारों में शामिल करते हैं।

  • Model Y भारत में लॉन्च:

    कीमत और उपलब्धता: टेस्ला ने भारत में अपनी पहली इलेक्ट्रिक SUV Model Y दो वेरिएंट्स में लॉन्च की है:

    • Standard RWD की ऑन-रोड शुरुआती कीमत: ₹61.07 लाख
    • Long Range RWD की कीमत: ₹69.15 लाख

    यह SUV शुरुआत में दिल्ली, गुरुग्राम और मुंबई जैसे शहरों में उपलब्ध होगी और इसकी डिलीवरी 2025 की तीसरी तिमाही (Q3) से शुरू की जाएगी। बुकिंग के लिए ₹22,000 शुल्क देना होगा, जो नॉन-रिफंडेबल है।

    बैटरी और रेंज: Model Y के दोनों वेरिएंट्स में अलग-अलग बैटरियां दी गई हैं:

    • Standard RWD: 60kWh की LFP बैटरी, 500 किमी तक की रेंज, 0-100 किमी/घंटा की स्पीड लगभग 5.6 सेकंड में।
    • Long Range RWD: 75kWh की NMC बैटरी, 622 किमी की रेंज, 0-100 किमी/घंटा की रफ्तार 5 सेकंड से कम में।

    उन्नत फीचर्स: Model Y को भारत में कई High-Tech फीचर्स के साथ पेश किया गया है:

    • ओवर-द-एयर सॉफ़्टवेयर अपडेट्स
    • रियर टचस्क्रीन और इलेक्ट्रिक एडजस्टेबल रियर सीटें
    • Tesla ऐप के जरिए रियल-टाइम कंट्रोल
    • प्रीमियम साउंड सिस्टम

     

    भारत में टेस्ला महंगी क्यों है?

    भारत में टेस्ला की कारें अमेरिकी बाजार के मुकाबले कहीं ज्यादा महंगी हैं। उदाहरण के तौर पर, अमेरिका में जहां Tesla Model Y RWD की कीमत टैक्स के बाद करीब 32 लाख रुपये है, वहीं भारत में इसकी एक्स-शोरूम कीमत 59.89 लाख रुपये है, यानी लगभग 27.89 लाख रुपये अधिक। इसी तरह, Model Y Long Range RWD की अमेरिकी कीमत करीब 36 लाख रुपये है, जबकि भारत में इसकी कीमत 67.89 लाख रुपये है — करीब 31.89 लाख रुपये ज्यादा।

    इस भारी अंतर की मुख्य वजह है कि भारत में टेस्ला की कारें CBU (Completely Built Unit) फॉर्म में आयात की जा रही हैं, यानी ये गाड़ियां पूरी तरह बनकर विदेश से भारत आती हैं। इस पर भारत सरकार द्वारा 70% से लेकर 100% तक की इंपोर्ट ड्यूटी लगाई जाती है, जो कीमत को दोगुना कर देती है।

     

    टैक्स क्रेडिट की वजह से अमेरिका में सस्ती

    अमेरिका में ग्राहकों को EV पर Federal Tax Credit (करीब $7,500) का लाभ मिलता है, जिससे इनकी कीमत और घट जाती है। भारत में फिलहाल ऐसा कोई प्रत्यक्ष टैक्स लाभ नहीं मिलता।

     

    भारत में Tesla Model Y के कलर, इंटीरियर

    भारत में लॉन्च की गई Tesla Model Y को लेकर कंपनी ने कई कलर और इंटीरियर विकल्प पेश किए हैं। इसका स्टैंडर्ड कलर ‘स्टील्थ ग्रे’ होगा, जिसे ग्राहक बिना किसी अतिरिक्त भुगतान के चुन सकते हैं। हालांकि, अन्य प्रीमियम कलर विकल्प जैसे पर्ल व्हाइट मल्टी-कोट और डायमंड ब्लैक के लिए ₹95,000, ग्लेशियर ब्लू के लिए ₹1,25,000, जबकि क्विक सिल्वर और अल्ट्रा रेड के लिए ₹1,85,000 अतिरिक्त देने होंगे। ये सभी कीमतें दोनों वेरिएंट्स—Standard RWD और Long Range RWD—पर लागू होंगी।

    इंटीरियर की बात करें तो Tesla Model Y में ऑल-ब्लैक इंटीरियर स्टैंडर्ड तौर पर दिया जाएगा। ग्राहक चाहें तो ₹95,000 अतिरिक्त भुगतान करके इसे ब्लैक एंड व्हाइट डुअल-टोन इंटीरियर में अपग्रेड कर सकते हैं, जिससे केबिन को और प्रीमियम लुक मिलता है।

     

    भारत में इन कारों से होगा मुकाबला:

    प्रतिस्पर्धा की बात करें तो टेस्ला की यह SUV भारतीय बाजार में सीधे तौर पर Mercedes-Benz EQB (₹77.75 लाख), BYD Seal Performance (₹53 लाख), BMW iX1 और Volvo XC40 Recharge जैसी प्रीमियम इलेक्ट्रिक गाड़ियों से टक्कर लेती है। वहीं, Tata Nexon EV (₹14.49 लाख) और MG ZS EV (₹18.98 लाख) जैसे किफायती विकल्पों की तुलना में Tesla Model Y एक अलग ही प्रीमियम कैटेगरी में आती है।

    इस प्रकार, Tesla Model Y उन ग्राहकों को लक्षित करती है जो तकनीक, लग्जरी और परफॉर्मेंस के बेहतरीन संतुलन की तलाश में हैं, और भारत के प्रीमियम EV मार्केट को नया आकार देने की क्षमता रखती है।

     

    भारत में विस्तार की तैयारी में टेस्ला, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं

    टेस्ला भारत में अपने विस्तार को लेकर तेजी से कदम बढ़ा रही है। मुंबई में पहला शोरूम खोलने के बाद अब कंपनी इस महीने के अंत तक नई दिल्ली में अपना दूसरा शोरूम खोलने की योजना में है। भारत में यह एंट्री ऐसे समय हो रही है जब टेस्ला अपने दो सबसे बड़े बाजार अमेरिका और चीन में मंदी और प्रतिस्पर्धा की मार झेल रही है।

    चीन, जो कभी टेस्ला का सबसे मजबूत विदेशी बाजार था, अब वहां BYD जैसी घरेलू कंपनियों के चलते टेस्ला की बाजार हिस्सेदारी में गिरावट आ रही है। अमेरिका में भी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और मांग में धीमापन टेस्ला के लिए चिंता का कारण बना हुआ है।

    ऐसे में भारत टेस्ला के लिए एक संभावनाओं से भरा नया बाजार बनकर उभर रहा है। हालांकि भारत का इलेक्ट्रिक वाहन बाजार अभी शुरुआती चरण में है और यहां की बुनियादी ढांचे, कीमत और उपभोक्ता आदतों जैसी चुनौतियां टेस्ला के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं होंगी।

    फिर भी, यदि टेस्ला भारतीय बाजार के अनुरूप अपनी रणनीति बनाती है, तो यह कंपनी के लिए लंबी दौड़ की रेस साबित हो सकती है।

     

    आइए अब टेस्ला के बारे में जान लेते है:

    अमेरिकी कंपनी टेस्ला न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के लिए जानी जाती है, बल्कि यह दुनिया को सतत ऊर्जा की ओर ले जाने के मिशन पर काम कर रही है। कंपनी इलेक्ट्रिक कारों के साथ-साथ सोलर पैनल और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों का भी निर्माण और बिक्री करती है। एलन मस्क के नेतृत्व में टेस्ला नवाचार और स्थायित्व की दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है।

    टेस्ला की शुरुआत 1 जुलाई 2003 से होती है, जब मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग नामक दो इंजीनियरों ने मिलकर एक ऐसी कंपनी बनाने की ठानी, जो पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना भविष्य की कार बनाए। उनका सपना था एक तेज, स्टाइलिश और प्रदूषण मुक्त इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बनाना। उस समय इलेक्ट्रिक वाहनों को अव्यवहारिक माना जाता था, लेकिन दोनों अपने विचार पर अडिग रहे। उन्होंने कंपनी का नाम महान वैज्ञानिक निकोला टेस्ला के सम्मान में टेस्ला मोटर्स रखा। निकोला टेस्ला ने AC करंट की खोज की थी, जिससे दुनियाभर में बिजली क्रांति आई।

    2004 में टेस्ला की किस्मत बदल गई जब एलन मस्क ने कंपनी में Series A फंडिंग के दौरान 6.5 मिलियन डॉलर का निवेश किया और कंपनी के चेयरमैन बन गए। मस्क उस समय तक PayPal और SpaceX जैसी कंपनियों के लिए पहचाने जा चुके थे। उन्होंने धीरे-धीरे टेस्ला के प्रोडक्ट डिजाइन, विजन और मार्केटिंग को अपने हाथ में लिया।

    2008 में जब टेस्ला आर्थिक संकट में थी, तब मस्क ने सीईओ के रूप में कमान संभाली और कंपनी को दिवालिया होने से बचा लिया। शुरुआत में सिर्फ निवेशक रहे मस्क, बाद में कानूनी लड़ाई जीतकर टेस्ला के को-फाउंडर भी बन गए। इसके चलते एबरहार्ड ने उन पर मानहानि का केस किया, लेकिन 2009 में फैसला मस्क के पक्ष में गया।

    2008 में टेस्ला की पहली कार: रोडस्टर इसी साल टेस्ला ने अपनी पहली कार रोडस्टर लॉन्च की। यह एक हाई-परफॉर्मेंस स्पोर्ट्स इलेक्ट्रिक कार थी, जो 0 से 100 किमी/घंटा की स्पीड महज 3.9 सेकंड में पकड़ सकती थी। एक बार फुल चार्ज होने पर यह कार लगभग 320 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती थी। रोडस्टर ने दुनिया को दिखा दिया कि इलेक्ट्रिक कारें भी तेज, शक्तिशाली और स्टाइलिश हो सकती हैं।

    इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण में अग्रणी: टेस्ला ने Model S, Model 3, Model X, Model Y जैसे लोकप्रिय इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ Cybertruck और Tesla Semi जैसे बड़े वाणिज्यिक वाहन भी लॉन्च किए हैं। इन सभी मॉडलों में लंबी ड्राइविंग रेंज, तेज एक्सेलेरेशन और अत्याधुनिक तकनीक देखने को मिलती है।

    ऊर्जा उत्पादन और भंडारण का समाधान: टेस्ला सोलर पैनल, सोलर रूफ टाइल्स और बैटरी स्टोरेज सिस्टम जैसे Powerwall और Powerpack के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति को बढ़ावा देती है। इससे घरों और ग्रिड-स्केल पर हरित ऊर्जा का उपयोग संभव हो पाया है।

    सतत ऊर्जा की ओर दुनिया को ले जाने का लक्ष्य: टेस्ला का उद्देश्य है जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करना और दुनिया को क्लीन एनर्जी की ओर ले जाना। कंपनी के सभी उत्पाद इसी विज़न के अनुरूप बनाए जाते हैं।

    नवाचार में अग्रणी भूमिका: सेल्फ-ड्राइविंग टेक्नोलॉजी, ऑटोमैटिक सॉफ्टवेयर अपडेट्स और बैटरी तकनीक में टेस्ला लगातार नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। यही वजह है कि वह न सिर्फ एक वाहन निर्माता, बल्कि एक टेक्नोलॉजी लीडर भी बन चुकी है।

    वैश्विक विस्तार: टेस्ला की उत्पादन इकाइयां अमेरिका, चीन और जर्मनी में हैं और इसकी मौजूदगी एशिया-पैसिफिक और यूरोप जैसे बाजारों में लगातार बढ़ रही है।

    निष्कर्ष:
    टेस्ला आज सिर्फ कार बनाने वाली कंपनी नहीं, बल्कि हरित भविष्य की दिशा में एक क्रांतिकारी प्रयास है, जो तकनीक और स्थायित्व को एक साथ जोड़कर दुनिया को स्वच्छ ऊर्जा की ओर ले जा रही है।

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