थाईलैंड और कंबोडिया के बीच एक बार फिर हिंसक झड़पें भड़क उठी हैं। CNN की रिपोर्ट के अनुसार थाईलैंड ने सोमवार की सुबह अपने F-16 फाइटर जेट से कंबोडिया स्थित एक कैसीनो पर हवाई हमला किया।
थाई सशस्त्र बलों का आरोप है कि यह कैसीनो वास्तविकता में कंबोडियाई सैन्य बलों का गुप्त अड्डा बन गया था, जहां भारी हथियार और ड्रोन संग्रहित किए जा रहे थे। इसके अतिरिक्त कंबोडिया अपनी सैन्य टुकड़ियों को नए क्षेत्रों में तैनात कर रहा था। इन्हीं कारणों से थाईलैंड को वायु सेना का सहारा लेना पड़ा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दोनों पक्षों की सशस्त्र बलों के मध्य गोलाबारी में अब तक 4 कंबोडियाई नागरिकों और 1 थाई सैनिक की जान चली गई है। दोनों राष्ट्रों के बीच मई माह में पांच दिवसीय युद्ध हुआ था, जिसमें 30 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई थी। इसके पश्चात अक्टूबर माह में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की उपस्थिति में दोनों देशों ने शांति संधि पर हस्ताक्षर किए थे।
विवाद की वजह: प्राचीन शिव मंदिर
थाईलैंड और कंबोडिया के मध्य दीर्घकालिक सीमा विवाद प्रीह विहियर और ता मुएन थॉम जैसे प्राचीन शिव मंदिरों को केंद्र में रखकर चल रहा है। ये पवित्र मंदिर दोनों राष्ट्रों की सीमाओं के अत्यंत निकट स्थित हैं, और आसपास के भू-भाग पर दोनों पक्ष अपना-अपना स्वामित्व जताते हैं।
कंबोडिया का पलटवार: थाई सेना पर उकसावे का आरोप
कंबोडिया ने थाईलैंड के सभी आरोपों को निराधार बताया है। उसका स्पष्ट मत है कि उसने किसी प्रकार का आक्रमण नहीं किया और वह समस्त मुद्दों का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है। किंतु कंबोडिया का आरोप है कि थाई सशस्त्र बल कई दिनों से उत्तेजक गतिविधियां कर रहे हैं।
इस सशस्त्र संघर्ष के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में निवास करने वाले थाईलैंड के अनेक नागरिक अपने आवास त्यागने पर विवश हो गए हैं। थाई प्रशासन का दावा है कि उसने लगभग 70% नागरिकों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा दिया है।
इस दौरान एक नागरिक की मृत्यु भी हुई है, परंतु सरकारी पक्ष का कहना है कि उसकी मृत्यु बीमारी के कारण हुई है। तीन नागरिक भी थाई गोलीबारी में घायल हुए हैं और उन्हें चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है।
इस बीच मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने बढ़ते संघर्ष पर गहन चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि ये झड़पें उन प्रयासों को विफल कर सकती हैं, जिनके कारण दोनों राष्ट्रों के संबंध कुछ स्थिर हुए थे।
118 साल पुराना सीमा विवाद: इतिहास की गहराई में
थाईलैंड और कंबोडिया के मध्य सीमा विवाद 118 वर्ष पुराना है। इसका केंद्रबिंदु प्रीह विहियर और ता मुएन थॉम जैसे प्राचीन मंदिर हैं, जो दोनों राष्ट्रों की सीमाओं के अत्यधिक समीप स्थित हैं।
1907 में, जब कंबोडिया फ्रांसीसी औपनिवेशिक शासन के अधीन था, दोनों देशों के बीच 817 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा खींची गई। थाईलैंड ने इसका कड़ा विरोध किया, क्योंकि मानचित्र में प्रीह विहियर मंदिर कंबोडिया के क्षेत्र में प्रदर्शित किया गया था। ता मुएन थॉम मंदिर को थाईलैंड के हिस्से में दिखाया गया, जिसे कंबोडिया अपनी विरासत मानता है।
यह विवाद 1959 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय तक पहुंच गया। 1962 में अदालत ने निर्णय सुनाया कि प्रीह विहियर मंदिर कंबोडिया का अंग है। थाईलैंड ने न्यायिक निर्णय को स्वीकार किया, किंतु आसपास की भूमि पर दावा आज भी जारी है।
ऐतिहासिक रूप से भी खमेर साम्राज्य (कंबोडिया) और सियाम साम्राज्य (थाईलैंड) के मध्य सीमाओं और प्रभाव क्षेत्रों को लेकर संघर्ष दीर्घकाल तक चलता रहा, जिसका प्रभाव आज भी दृष्टिगोचर होता है।
युद्ध की शुरुआत: एमरॉल्ड ट्राइंगल पर टकराव
दोनों राष्ट्रों की सशस्त्र सेनाओं के बीच 28 मई को एमरॉल्ड ट्राइंगल क्षेत्र पर भीषण टकराव हुआ, जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक की मृत्यु हो गई। यह वह विशेष स्थान है जहां थाईलैंड, कंबोडिया और लाओस की सीमाएं परस्पर मिलती हैं। थाईलैंड और कंबोडिया दोनों ही इस क्षेत्र पर अपना स्वामित्व जताते हैं।
कंबोडियाई सशस्त्र बलों के अनुसार थाई सैनिकों ने सीमावर्ती क्षेत्र के समीप ता मुएन थॉम मंदिर को घेरकर उसके चारों ओर कंटीले तार लगा दिए थे। इसके पश्चात थाई सैनिकों ने ड्रोन उड़ाए और आकाशीय गोलीबारी की।
दूसरी ओर, थाई सैन्य बलों का दावा है कि पहले कंबोडियाई सैनिकों ने संघर्ष प्रारंभ किया। थाईलैंड ने वार्ता के माध्यम से तनाव कम करने का प्रयास किया, परंतु जब समझौता नहीं हो पाया तो गोलीबारी आरंभ हो गई।
ता मुएन थॉम मंदिर: विवाद का प्रमुख केंद्र
ता मुएन थॉम मंदिर दोनों राष्ट्रों की सीमा के उस भाग में आता है जो स्पष्ट रूप से निर्धारित नहीं है। यही कारण है कि इस पर दोनों देश अपना दावा प्रस्तुत करते हैं।
यह मंदिर थाईलैंड की दिशा में स्थित है, किंतु कंबोडिया का दावा है कि यह उसकी ऐतिहासिक विरासत है, क्योंकि यह खमेर साम्राज्य के समयकाल में निर्मित हुआ था।
खमेर साम्राज्य कंबोडिया की एक शक्तिशाली और प्रभावशाली सभ्यता थी, जो 9वीं से 15वीं शताब्दी तक विद्यमान रही। इस साम्राज्य ने कंबोडिया के अतिरिक्त लाओस, थाईलैंड और वियतनाम के अनेक क्षेत्रों पर शासन किया।
वहीं, थाईलैंड का तर्क है कि मंदिर भले ही कंबोडिया का हो सकता है किंतु उसके परिवेश की भूमि पर उसका अधिकार है।
मंदिर की विशेषताएं
प्रसाद ता मुएन थॉम मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर दांगरेक पर्वतमाला में अवस्थित है। यह लगभग 1000 वर्ष प्राचीन मंदिर है जो खमेर शैली की स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है।
11वीं शताब्दी में खमेर शासक उदयादित्यवर्मन द्वितीय ने इसका निर्माण कराया। मंदिर की विशिष्टता इसका गर्भगृह है, जहां चट्टान को ही शिवलिंग के रूप में तराशा गया है। काले बलुआ पत्थर की नक्काशी और खमेर शैली के पुष्प डिजाइन इसे अद्वितीय बनाते हैं।
यह मंदिर अंगकोरवाट मंदिर से थाईलैंड के फिमाई मंदिर तक जाने वाले प्राचीन खमेर मार्ग पर स्थित है। दोनों मंदिरों में जाने वाले श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन करने आते थे और यहां विश्राम करते थे।
मंदिर का प्रवेश द्वार दक्षिण दिशा की ओर है, जो खमेर परंपरा से भिन्न एक दुर्लभ उदाहरण है। यह मंदिर दोनों देशों से पहुंचा जा सकता है।
दोनों राष्ट्रों की सशस्त्र सेनाएं इस मंदिर के परिवेश में नियमित रूप से गश्त करती हैं, जिससे यहां प्रायः झड़पें हो जाती हैं। इस बार की झड़प भी इसी मंदिर के समीप हुई।
प्रीह विहियर मंदिर: अंतरराष्ट्रीय न्यायालय तक पहुंचा विवाद
प्रीह विहियर मंदिर पर दोनों राष्ट्रों में विवाद अधिक तीव्र है। थाईलैंड इस मंदिर पर नियंत्रण स्थापित करने के प्रयास में निरंतर लगा रहा, जिसके कारण 1959 में कंबोडिया यह मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में लेकर गया।
वर्ष 1962 में अदालत ने निर्णय सुनाया कि मंदिर कंबोडिया का है। न्यायालय ने थाईलैंड को अपने सैनिक हटाने का आदेश दिया। तब थाईलैंड ने इसे स्वीकार किया, परंतु परिवेश की भूमि को लेकर विवाद निरंतर बनाए रखा।
यूनेस्को विरासत स्थल बनने पर विवाद बढ़ा
2008 में यह विवाद तब और तीव्र हो गया जब इस मंदिर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल में शामिल कर लिया। मंदिर को मान्यता मिलने के पश्चात दोनों राष्ट्रों की सशस्त्र सेनाओं में पुनः झड़पें प्रारंभ हो गईं और 2011 में तो परिस्थितियां इतनी गंभीर हो गईं कि हजारों लोग अपने आवास त्यागने पर विवश हो गए।
वर्ष 2013 में न्यायालय ने अपने पूर्व निर्णय को स्पष्ट करते हुए कहा कि मंदिर ही नहीं, उसके परिवेश का क्षेत्र भी कंबोडिया का है। साथ ही थाईलैंड को अपनी सैन्य टुकड़ियां वहां से पूर्णतः हटाने का निर्देश दिया गया। हालांकि सीमा का मुद्दा अब तक पूर्णतः हल नहीं हो पाया है।
मंदिर की भव्यता
भगवान शिव को समर्पित यह प्राचीन हिंदू मंदिर दांगरेक पर्वतमाला के शिखर पर निर्मित है। 9वीं से 12वीं शताब्दी के मध्य विभिन्न खमेर शासकों ने इसका निर्माण कराया। यह उत्तर से दक्षिण तक 800 मीटर की दूरी में विस्तृत है।
मंदिर में शिव, विष्णु, ब्रह्मा, अप्सराओं और पौराणिक दृश्यों की मूर्तियां उत्कीर्ण हैं। समुद्र मंथन की नक्काशी, नंदी पर विराजमान शिव की नक्काशी और गरुड़ पर आसीन विष्णु की नक्काशी विशेष उल्लेखनीय हैं।
मंदिर में एक मुख्य गर्भगृह है, जिसमें शिवलिंग स्थापित था। वर्तमान में यह लुप्त है। कंबोडिया इस मंदिर को राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक मानता है।
प्रधानमंत्री की कुर्सी गई विवाद सुलझाने में
दोनों राष्ट्रों के बीच विवाद बढ़ने के पश्चात 15 जून को थाईलैंड की प्रधानमंत्री पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा ने कंबोडिया के नेता हुन सेन से दूरभाष पर वार्ता की थी। इस संवाद में उन्होंने थाई सैन्य कमांडर की आलोचना की थी। इसे थाईलैंड में अत्यंत गंभीर मामला माना जाता है, क्योंकि सशस्त्र बलों का वहां अत्यधिक प्रभाव है।
इस वार्तालाप के सार्वजनिक होने के बाद देशव्यापी रोष फैल गया था। इसके परिणामस्वरूप न्यायालय ने प्रधानमंत्री को पद से हटा दिया। हालांकि, पाइतोंग्तार्न ने क्षमा मांगते हुए कहा था कि उनकी टिप्पणी केवल विवाद सुलझाने के लिए थी, किंतु इसका कोई लाभ नहीं हुआ।
थाईलैंड-कंबोडिया विवाद की समयरेखा
28 मई 2025: सीमा पर दोनों सशस्त्र बलों की झड़प, एक कंबोडियाई सैनिक की मृत्यु
7 जून 2025: थाईलैंड और कंबोडिया ने सीमा पर अतिरिक्त सैनिक तैनात किए
15 जून 2025: थाई प्रधानमंत्री और कंबोडियाई नेता हुन सेन में दूरभाष वार्ता
18 जून 2025: वार्ता की ऑडियो सोशल मीडिया पर सार्वजनिक हो गई
1 जुलाई 2025: थाई प्रधानमंत्री पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा को पद से हटाया गया
16 जुलाई 2025: थाईलैंड के 4 सैनिक घायल, कंबोडिया पर सीमा के समीप बारूदी सुरंग बिछाने का आरोप
24 जुलाई 2025: थाईलैंड-कंबोडिया के बीच शिव मंदिरों को लेकर गोलीबारी प्रारंभ
27 जुलाई 2025: ट्रम्प के प्रयासों से थाईलैंड-कंबोडिया युद्धविराम पर सहमत
26 अक्टूबर 2025: ट्रम्प ने दोनों राष्ट्रों के बीच संघर्ष विराम कराया
8 दिसंबर 2025: थाईलैंड ने कंबोडिया पर पुनः हवाई हमला किया
निष्कर्ष:
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच यह संघर्ष केवल सीमा विवाद नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय गौरव का प्रश्न है। प्राचीन शिव मंदिर जो कभी खमेर साम्राज्य की भव्यता के प्रतीक थे, आज दो राष्ट्रों के बीच संघर्ष का कारण बन गए हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय और क्षेत्रीय शक्तियों को इस विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है, ताकि इन अमूल्य ऐतिहासिक धरोहरों की रक्षा हो सके और क्षेत्रीय शांति बनी रहे।
