भूगोल और स्थान
घाना पश्चिमी अफ्रीका में स्थित है, जो गिनी की खाड़ी के किनारे, कोट डी आइवोर और टोगो के बीच में है (अक्षांश 8° उत्तर, देशांतर 2° पश्चिम)। इसका कुल क्षेत्रफल 2,38,533 वर्ग किलोमीटर है, जो ओरेगन (अमेरिका का एक राज्य) से थोड़ा छोटा है। इसकी स्थलीय सीमाएँ 2,420 किमी लंबी हैं और समुद्री तटरेखा 539 किमी लंबी है। घाना की समुद्री दावेदारी में 12 नॉटिकल मील क्षेत्रीय समुद्र, 24 नॉटिकल मील सटे क्षेत्र, और 200 नॉटिकल मील विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र शामिल हैं।
- Capital: Accra
- Area: 238,535 sq km
- Population: 32.1 million
- Languages: English, Dagaare, Dagbanli, Dangme, Ewe, Frafra, Ga, Gonja, Nzema, Twi, Fante
- Life expectancy: 63 years (men) 65 years (women)

इतिहास
12वीं सदी में अकरान राज्यों ने सोने के व्यापार की शुरुआत की। 15वीं सदी में पुर्तगाली और अन्य यूरोपीय देशों ने व्यापार चौकियाँ बनाईं। बाद में दास व्यापार मुख्य बन गया।
1701 में अशांति साम्राज्य उभरा और दो शताब्दियों तक क्षेत्र पर राज किया। 19वीं सदी में ब्रिटेन ने अशांति से कई युद्धों के बाद पूरे क्षेत्र को 1901 में अपने उपनिवेश में मिला लिया।
1948 में स्वतंत्रता आंदोलन तेज हुआ और 1957 में घाना आज़ाद हुआ, क्वामे एनक्रूमा पहले प्रधानमंत्री बने।
1966 में सैन्य तख्तापलट के बाद अस्थिर शासन चला। 1981 में जेरी रॉलिंग्स सत्ता में आए और 1992 में लोकतंत्र बहाल हुआ।
2007 में तेल की खोज हुई और 2010 में उत्पादन शुरू हुआ। 2017 में समुद्री सीमा विवाद सुलझाने की दिशा में कदम उठे।
घाना को सदियों से “गोल्ड कोस्ट” यानी “सोने का तट” कहा जाता है। यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यहां प्राचीन काल से ही सोने के विशाल भंडार मौजूद थे और यही सोना घाना की आर्थिक और सांस्कृतिक पहचान का आधार बना।
स्वर्ण इतिहास की स्वर्णिम कहानी
घाना में सोने का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है। प्राचीन काल में यहां का अशांती साम्राज्य (Ashanti Empire) अपनी संपन्नता और शक्ति के लिए प्रसिद्ध था। अशांती राजा सोने के गहनों, सोने की ईंटों और स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित महलों में रहते थे। घाना का सोना केवल स्थानीय स्तर पर ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार का भी हिस्सा था। अरब और यूरोपीय व्यापारी यहां से सोना खरीदने आते थे और इसी व्यापार ने घाना को अफ्रीकी महाद्वीप का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र बना दिया। यही कारण है कि यूरोपीय उपनिवेशवादी ताकतों ने भी घाना पर कब्जा जमाने के प्रयास किए, ताकि वे यहां के सोने के व्यापार पर नियंत्रण पा सकें।
अर्थव्यवस्था में सोने की महत्वपूर्ण भूमिका
आज भी घाना की अर्थव्यवस्था का बड़ा आधार सोना है। घाना अफ्रीका का दूसरा सबसे बड़ा सोना उत्पादक देश है और विश्व के शीर्ष सोना निर्यातक देशों में शामिल है। देश की कुल निर्यात आय का एक बड़ा हिस्सा सोने से आता है, और लाखों लोग सोने की खदानों में काम करके अपनी आजीविका कमाते हैं। घाना के अशांती, पश्चिमी और उत्तरी क्षेत्र सोने की खदानों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।
सोने के उत्पादन ने घाना को अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक मजबूत आर्थिक स्थिति दिलाई है। देश की कई प्रसिद्ध खदानें जैसे ओबुआसी गोल्ड माइन (Obuasi Gold Mine), टार्क्वा गोल्ड माइन (Tarkwa Gold Mine) और अहाफो गोल्ड माइन (Ahafo Gold Mine) आज भी बड़े पैमाने पर उत्पादन कर रही हैं।
संस्कृति और स्वर्णिम परंपरा
घाना में सोना सिर्फ व्यापार और अर्थव्यवस्था का हिस्सा नहीं बल्कि संस्कृति और परंपरा की धरोहर भी है। अशांती समाज में सोने को सम्मान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यहां के पारंपरिक त्योहारों, शादियों और धार्मिक अनुष्ठानों में सोने के गहनों का उपयोग आम बात है। यह परंपरा आज भी घाना के सांस्कृतिक जीवन में गहराई से जुड़ी हुई है।
चुनौतियां और विवाद
हालांकि सोने ने घाना को समृद्धि दी है, लेकिन इसके साथ कई समस्याएं भी सामने आई हैं। अवैध खनन (Illegal Mining), जिसे स्थानीय भाषा में “गालम्से” (Galamsey) कहा जाता है, पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन चुका है। अवैध खनन के कारण नदियों का पानी प्रदूषित हो रहा है और वनों की कटाई बढ़ रही है। इसके अलावा, सोने की खदानों में काम करने वाले मजदूर अक्सर खराब परिस्थितियों और कम मजदूरी का सामना करते हैं, जिससे सामाजिक असंतोष भी बढ़ता है।
घाना के पारिस्थितिकी तंत्र
घाना की 560 किमी तटरेखा रेत, लैगून और मैन्ग्रोव दलदलों से भरी है, जो मछलियों और पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण हैं। दक्षिणी क्षेत्र के वर्षा वन जैव विविधता से भरपूर हैं, जिनमें दुर्लभ जीव-जंतु और एंडेमिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। ये पारिस्थितिक तंत्र स्थानीय आजीविका और संरक्षण के लिए बेहद आवश्यक हैं।
भारत के लिए घाना कितना महत्वपूर्ण?
घाना भारत का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है, जो आर्थिक और तकनीकी सहयोग में सक्रिय है। प्रधानमंत्री मोदी की 2025 यात्रा ने दोनों देशों के संबंधों को मजबूत किया, खासकर व्यापार, डिजिटल भुगतान और रक्षा क्षेत्रों में। घाना की खनिज संपदा और स्थिर लोकतंत्र भारत की अफ्रीका नीति में इसे केंद्रीय भूमिका देते हैं।
भारत–घाना संबंध
भारत और घाना के बीच मजबूत ऐतिहासिक रिश्ते हैं, जो व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य, डिजिटल तकनीक और विकास सहयोग जैसे क्षेत्रों में गहराते गए हैं। भारत ने घाना में कई बुनियादी परियोजनाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के जरिए सहयोग किया है। हाल ही में पीएम मोदी की यात्रा के दौरान डिजिटल भुगतान, आयुर्वेद, संस्कृति और मानकीकरण जैसे क्षेत्रों में नए समझौते हुए, जिससे द्विपक्षीय साझेदारी और भी सशक्त हुई है।
भारत–घाना व्यापार
भारत और घाना के बीच व्यापार मुख्यतः सोना, कोकोआ, काजू और लकड़ी जैसे कच्चे उत्पादों के निर्यात तथा दवाएँ, कृषि मशीनरी, वाहन और इस्पात जैसे औद्योगिक उत्पादों के आयात पर आधारित है। 2022-23 में द्विपक्षीय व्यापार 2.87 अरब डॉलर तक पहुंचा, जिसमें सोने के आयात के कारण व्यापार संतुलन घाना के पक्ष में रहा। 2023-24 में भारत ने घाना को लगभग 1.10 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया, जबकि घाना से 1.42 अरब डॉलर का आयात किया गया। दोनों देश डिजिटल भुगतान (UPI), नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य, कृषि और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों में सहयोग को लगातार बढ़ा रहे हैं, जिससे यह आर्थिक साझेदारी संतुलित, व्यापक और लगातार प्रगति करती हुई दिखाई देती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घाना यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2025 में घाना की ऐतिहासिक यात्रा ने भारत-घाना संबंधों को नई दिशा दी है। मोदी को घाना का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “Officer of the Order of the Star of Ghana” से सम्मानित किया गया और वे घाना की संसद को संबोधित करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने। दोनों देशों ने चार अहम समझौते किए और अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार दोगुना करने, रक्षा, डिजिटल भुगतान, कृषि, स्वास्थ्य और समुद्री सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया। इस साझेदारी को “समग्र साझेदारी” का दर्जा देकर दोनों देशों ने अपने आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूती प्रदान की है, जिससे वैश्विक दक्षिण में भारत की भूमिका और घाना की रणनीतिक महत्वता बढ़ेगी।
निष्कर्ष:
- घाना और भारत के बीच मजबूत ऐतिहासिक और आर्थिक संबंध हैं।
- दोनों देश व्यापार, तकनीक, रक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्रों में गहरा सहयोग कर रहे हैं।
- प्रधानमंत्री मोदी की 2025 यात्रा ने साझेदारी को नई ऊँचाई दी है।
- यह सहयोग दोनों देशों के विकास और वैश्विक भूमिका को और मजबूत बनाएगा।