“सड़क से सुप्रीम कोर्ट तक: पाकिस्तान में नागरिक शासन का संकट”

दक्षिण एशिया में स्थित पाकिस्तान, 1947 में भारत के विभाजन के उपरांत एक स्वतंत्र मुस्लिम राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में आया। यह देश अपनी ऐतिहासिक, भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधता के साथ-साथ राजनीतिक घटनाक्रमों, सैन्य हस्तक्षेप और सामाजिक बदलावों के कारण वैश्विक चर्चाओं में बना रहा है। आर्थिक अस्थिरता, सामाजिक विघटन और आतंरिक संघर्षों के बावजूद पाकिस्तान अनेक संभावनाओं से परिपूर्ण एक महत्वपूर्ण राष्ट्र बना हुआ है।

इस लेख में हम पाकिस्तान की भूगोल, इतिहास, संस्कृति, अर्थव्यवस्था तथा समकालीन चुनौतियों से संबंधित प्रमुख तथ्यों का सम्यक् विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं।

  1. भूगोल एवं भौगोलिक संरचना
  • स्थान: पाकिस्तान दक्षिण एशिया में स्थित एक भू-राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण देश है।
  • अक्षांश: 30.3753° उत्तरी अक्षांश
  • देशांतर: 69.3451° पूर्वी देशांतर
  • क्षेत्रफल: 8,81,640 वर्ग किलोमीटर
  • सीमाएं:
    • पश्चिम में ईरान
    • उत्तर-पश्चिम में अफगानिस्तान
    • पूर्व में भारत
    • दक्षिण में अरब सागर
  • भौगोलिक विविधता:
    • उत्तर में हिमालय की तलहटी,
    • दक्षिण में तटीय मैदान,
    • केंद्र में सिंधु नदी की उपजाऊ घाटी,
    • पश्चिम में बलूचिस्तान    का पठार।
  • टेक्टोनिक स्थिति: भारतीय और यूरेशियन प्लेटों पर स्थित — पंजाब एवं सिंध भारतीय प्लेट पर, जबकि बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा तथा गिलगित-बल्तिस्तान यूरेशियन प्लेट पर।
  1. सामान्य परिचय
  • राजधानी: इस्लामाबाद
  • जनसंख्या: लगभग 24.75 करोड़ (2023)
  • राष्ट्रीय भाषा: उर्दू
  • मुद्रा: पाकिस्तानी रुपया (PKR)
  • औसत आयु: 66.43 वर्ष (2022)
  • इतिहास: 1947 में भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान की स्थापना हुई, जिसमें पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान शामिल थे।
  • 1948 में भारत के साथ कश्मीर को लेकर पहला युद्ध हुआ।
  • 1971 में पूर्वी पाकिस्तान ने स्वतंत्रता की कोशिश की और भारत के सहयोग से बांग्लादेश बना।
  • 1999 में जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने तख्तापलट कर प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को हटा दिया।
  • 2007 में पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो की चुनाव प्रचार के दौरान हत्या हो गई।
  • 2018 में इमरान खान प्रधानमंत्री बने और भ्रष्टाचार व वंशवाद के खिलाफ अभियान चलाया, लेकिन 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए उन्हें सत्ता से हटा दिया गया। उनके हटने के बाद शाहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बने, लेकिन देश राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट और न्यायिक विवादों से जूझता रहा। इमरान खान पर कई मामलों में मुकदमे चले और उन्हें जेल भी जाना पड़ा, जिससे देश में गहरा राजनीतिक ध्रुवीकरण देखने को मिला।
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  • प्रकृति और जैव विविधता: पाकिस्तान में भौगोलिक विविधता के कारण कई प्रकार के वन, पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता पाई जाती है। यहाँ नदियों के किनारे रिवरीन वन, समुद्री तटों पर मैन्ग्रोव वन, बलूचिस्तान के तट पर कोरल, और पहाड़, रेगिस्तान, घास के मैदान तथा झाड़ियाँ पाई जाती हैं।
  • देश में 195 स्तनधारी, 668 पक्षी, 177 सरीसृप, 22 उभयचर, 198 मीठे पानी की मछलियाँ और 5,700 फूलों वाले पौधों की प्रजातियाँ हैं

हालाँकि, मानवीय गतिविधियों और प्राकृतिक आवासों के क्षरण के कारण जैव विविधता तेजी से घट रही है।

उदाहरणस्वरूप, हज़ारा डिवीजन के सिरान क्षेत्र में 1967 से 1992 के बीच 52% वन समाप्त हो गए। पाकिस्तान अब दुनिया में दूसरे सबसे तेज़ वनों की कटाई वाले देशों में माना जा रहा है। विशेष रूप से, सिंधु डेल्टा के मैन्ग्रोव वन, जो विश्व के सबसे बड़े शुष्क क्षेत्रीय मैन्ग्रोव हैं, उनका क्षेत्र 20 वर्षों में आधा हो गया है। इस विनाश के कारण पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं की कई प्रजातियाँ लुप्त होने की कगार पर हैं।

 

  • लोग और संस्कृति: पाकिस्तान की संस्कृति तुर्क, ईरानी, अरब और उत्तर भारतीय परंपराओं के मेल से बनी एक समृद्ध और विविध संस्कृति है। यहां के विभिन्न जातीय समूह जैसे पंजाबी, सिंधी, पश्तून, बलोच अपनी-अपनी खास सांस्कृतिक परंपराएं, पहनावा, भोजन और धार्मिक रीति-रिवाज निभाते हैं।
  • 1979 तक पाकिस्तान एक अपेक्षाकृत उदार इस्लामी पहचान रखता था, लेकिन उस साल शुरू हुई इस्लामीकरण की नीतियों ने समाज को अधिक धार्मिक और रूढ़िवादी बना दिया। इससे सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में बड़ा बदलाव आया।
  • पारंपरिक रूप से संयुक्त परिवार प्रणाली प्रचलित है, हालांकि अब आर्थिक कारणों से एकल परिवारों की संख्या भी बढ़ रही है।
  • शलवार कमीज़ देश का पारंपरिक पहनावा है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में पुरुषों द्वारा जीन्स और शर्ट भी पहने जाते हैं।
  • पाकिस्तान में मनाए जाने वाले त्योहार जैसे ईद, रमज़ान, होली, दिवाली, क्रिसमस और ईस्टर मुख्यतः धार्मिक होते हैं। हालाँकि, धार्मिक कट्टरता बढ़ने से अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने जैसी घटनाएं भी सामने आती है।
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  • अर्थव्यवस्था: पाकिस्तान एक विकासशील देश है जिसकी अर्थव्यवस्था कृषि और वस्त्र उद्योग पर निर्भर है। यह दुनिया में PPP के हिसाब से 25वीं और GDP में 38वीं बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय काफी कम है।
  • शुरू में निजी उद्योगों पर निर्भर रहने वाली अर्थव्यवस्था को 1970 के दशक में ज़ुल्फिकार अली भुट्टो के कार्यकाल में राष्ट्रीयकृत किया गया।
  • 1980 के दशक में जिया-उल-हक के शासन में इस्लामी अर्थव्यवस्था अपनाई गई, जबकि 1990 के दशक में फिर से निजीकरण शुरू हुआ।
  • CPEC जैसी परियोजनाओं से विकास में मदद की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन हुआ नहीं ।
  • देश अब भी जनसंख्या वृद्धि, गरीबी, कर्ज और राजनीतिक अस्थिरता जैसी समस्याओं से जूझ रहा है।
  • 2025 के मध्य तक पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में तेज़ वृद्धि दर्ज की गई, जो बढ़कर $18.09 बिलियन हो गया है।

 

  • पाकिस्तान के सामने चुनौतियाँ: पाकिस्तान को राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। राजनीतिक स्तर पर, देश में लोकतंत्र अभी भी मजबूत नहीं हो पाया है और सेना का राजनीति में हस्तक्षेप लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करता है। इसके अलावा, राजनीतिक अस्थिरता और सत्ता संघर्ष भी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में रुकावट डालते हैं।

आर्थिक चुनौतियाँ, पाकिस्तान को भारी ऋण, बढ़ती मुद्रास्फीति और व्यापक गरीबी जैसी समस्याएं परेशान कर रही हैं। सामाजिक दृष्टि से, देश आतंकवाद, धार्मिक असहिष्णुता और जातीय तनावों से जूझ रहा है। साथ ही, मानवाधिकारों के उल्लंघन और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार जैसी समस्याएं भी समाज में असंतोष को बढ़ाती हैं।

 

  • निष्कर्ष: पाकिस्तान एक सांस्कृतिक, भौगोलिक और ऐतिहासिक रूप से समृद्ध देश है, जो अनेक विविधताओं और विरासतों को समेटे हुए है। हालांकि, आज यह देश गंभीर राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों से जूझ रहा है। सैन्य हस्तक्षेप, लोकतांत्रिक संस्थाओं की कमजोरी, आर्थिक अस्थिरता, और सामाजिक विभाजन ने उसके विकास पथ को बाधित किया है। इसके बावजूद, पाकिस्तान में प्राकृतिक संसाधनों, युवा जनसंख्या और रणनीतिक स्थान जैसी कई संभावनाएं मौजूद हैं। यदि राजनीतिक स्थिरता, प्रभावी शासन और सामाजिक समरसता सुनिश्चित की जाए, तो पाकिस्तान एक प्रगतिशील और समावेशी राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ सकता है। इसके लिए दृढ़ नेतृत्व, संस्थागत सुधार और सामाजिक न्याय की आवश्यकता है।

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