मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने हाल ही में कहा कि अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ से भारत की जीडीपी पर वित्त वर्ष 2025-26 में लगभग 0.5 प्रतिशत तक का असर पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि ये टैरिफ कितने समय तक लागू रहते हैं। यदि ये टैरिफ लंबे समय तक बने रहते हैं, तो जीडीपी में 0.5 से 0.6 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है।
हालांकि, उन्होंने यह उम्मीद जताई कि यह स्थिति ज्यादा दिनों तक नहीं रहेगी। लेकिन यदि ये टैरिफ अगले वित्त वर्ष तक जारी रहते हैं, तो यह भारत की आर्थिक विकास दर के लिए बड़ा जोखिम बन सकता है,और इसका प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है।

वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी विकास दर 6.3 से 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान: नागेश्वरन
इन चुनौतियों के बावजूद, मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा कि भारत की वास्तविक जीडीपी विकास दर वित्त वर्ष 2025-26 में 6.3 से 6.8 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है। यह सरकार के अनुमान के अनुसार है। पहले तिमाही में अर्थव्यवस्था 7.8 प्रतिशत बढ़ी, जो पिछले एक साल में सबसे तेज़ गति थी। नागेश्वरन ने इसे आर्थिक सुधार और विकास के लिए एक सकारात्मक संकेत बताया।
जीएसटी सुधार से जीडीपी में 0.2 से 0.3 प्रतिशत तक की वृद्धि: नागेश्वरन
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने जीएसटी में हाल ही में हुए सुधारों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि नई जीएसटी व्यवस्था से भारत की जीडीपी में 0.2 से 0.3 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में जीएसटी सुधारों की घोषणा की थी, जिसके तहत पहले चार स्लैब की बजाय अब केवल दो स्लैब होंगे, 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत। इसके अलावा, सिंगल गुड्स पर फ्लैट 40 प्रतिशत की दर लागू होगी। नागेश्वरन ने बताया कि ये बदलाव व्यापार को आसान बनाएंगे और वस्तुओं की कीमतों में कमी आने से आम लोगों के लिए खरीदारी सरल और किफायती होगी।
पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.8 प्रतिशत रही-
वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत की जीडीपी ग्रोथ सालाना आधार पर 6.5 प्रतिशत से बढ़कर 7.8 प्रतिशत पर पहुंच गई है। यह पिछले पांच तिमाहियों में सबसे तेज़ वृद्धि है। मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस और एग्रीकल्चर सेक्टर के बेहतर प्रदर्शन के कारण इस तिमाही में जीडीपी में उछाल आया है।
RBI ने 6.5% इकोनॉमी ग्रोथ का अनुमान जताया था
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अपनी मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग (6 अगस्त) में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अर्थव्यवस्था की विकास दर का अनुमान 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखा। RBI गवर्नर ने कहा कि मौसमी हालात अच्छे हैं और मानसून सीजन ठीक चल रहा है। इसके अलावा, त्योहारों का सीजन भी नजदीक आने के कारण आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
अमेरिका के 50% टैरिफ से भारत पर असर
भारत से अमेरिका जाने वाले सामानों पर 27 अगस्त से 50% टैरिफ लागू हो गया है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, यह भारत के लगभग ₹5.4 लाख करोड़ के एक्सपोर्ट को प्रभावित कर सकता है।
इस टैरिफ के कारण कपड़े, ज्वेलरी, फर्नीचर और सी-फूड जैसे भारतीय उत्पाद अमेरिका में महंगे हो जाएंगे, जिससे इनकी मांग में लगभग 70% तक कमी आ सकती है। वहीं, चीन, वियतनाम और मेक्सिको जैसे कम टैरिफ वाले देश अपने उत्पाद सस्ते दाम पर बेचकर भारतीय कंपनियों की अमेरिकी बाजार में हिस्सेदारी घटा सकते हैं।
ट्रम्प ने भारत पर टैरिफ क्यों लगाया:
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने आरोप लगाया है कि भारत की रूसी तेल आयात से मॉस्को को युद्ध फंडिंग में मदद मिल रही है। इसके जवाब में उन्होंने भारत से आने वाले आयात पर शुल्क को दोगुना कर 50% कर दिया।
फायदे के लिए रूसी तेल खरीदता रहेगा भारत, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण-
भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता होने के नाते, आर्थिक रूप से फायदेमंद होने के कारण रूसी तेल की खरीद जारी रखेगा।
इस टैरिफ का असर भारत-अमेरिका के व्यापार पर भी पड़ा है। 2024 में दोनों देशों का दोतरफा व्यापार 129 बिलियन डॉलर रहा, जिसमें अमेरिका का व्यापार घाटा 45.8 बिलियन डॉलर दर्ज किया गया। विशेषज्ञों का अनुमान है कि ट्रंप के इन टैरिफ का असर भारत के लगभग 55% निर्यात, यानी 87 बिलियन डॉलर के माल पर पड़ सकता है, जिससे वियतनाम, बांग्लादेश और चीन जैसे प्रतिस्पर्धियों को लाभ मिल सकता है।
क्या अमेरिका भारत पर से टैरिफ हटा सकता है?
हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर से टैरिफ हटाने की कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की है। हालांकि, उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री को “दोस्त” कहकर संबोधित किया और भारत-अमेरिका संबंधों को सकारात्मक दिशा देने की इच्छा भी जताई है।
ट्रम्प ने भारत के रूस से तेल खरीदने पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंध अभी भी कई शर्तों और रणनीतिक हितों से प्रभावित होंगे।
भविष्य में टैरिफ हटाने या उसमें ढील देने का निर्णय अमेरिका की आर्थिक नीतियों, भारत की ऊर्जा नीति और दोनों देशों के रणनीतिक साझेदारी पर निर्भर करेगा। फिलहाल, स्थिति प्रतीक्षारत है और यह देखना होगा कि आने वाले समय में भारत-अमेरिका व्यापार किस ओर बढ़ता है।
आइए समझते है, जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के बारे में-
जीडीपी किसी देश की आर्थिक गतिविधियों का माप है और यह दर्शाता है कि एक निश्चित अवधि में देश की सीमाओं के भीतर कितनी अंतिम वस्तुएं और सेवाएं उत्पादित हुई हैं। यह देश की अर्थव्यवस्था के आकार और स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण संकेतक है। जीडीपी में वृद्धि अर्थव्यवस्था के विस्तार और जीवन स्तर में सुधार को दर्शाती है, जबकि गिरावट मंदी और आर्थिक कठिनाइयों का संकेत देती है।
जीडीपी की गणना कैसे की जाती है-
जीडीपी की गणना का फॉर्मूला है: GDP = C + G + I + NX
- जिसमें C = घरेलू खर्च
- G = सरकारी खर्च
- I = निवेश और
- NX = नेट एक्सपोर्ट (निर्यात – आयात) होता है।
इसे दो प्रकार में मापा जाता है- नॉमिनल GDP, जो वर्तमान कीमतों पर होती है, और रियल GDP, जो स्थिर कीमतों पर आधारित होती है।
जीडीपी पर कई कारक असर डालते हैं। उपभोक्ताओं की खरीदारी और प्राइवेट सेक्टर का विकास आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाते हैं, जबकि सरकारी खर्च भी GDP में योगदान देता है। इसके अलावा, निर्यात और आयात के अंतर (नेट डिमांड) का भी GDP पर प्रभाव पड़ता है; यदि आयात निर्यात से ज्यादा हों, तो इसका GDP पर नकारात्मक असर होता है।
जीडीपी का महत्व:
- जीडीपी किसी देश की अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन और स्वास्थ्य का मुख्य पैमाना है।
- इसका बढ़ना आर्थिक विकास को दर्शाता है, जिससे रोजगार और आय के अवसर बढ़ते हैं।
- जीडीपी का डेटा सरकारों को नीतियां बनाने और देश की आर्थिक स्थिति पर नज़र रखने में मदद करता है, वहीं निवेशकों के लिए यह यह तय करने का महत्वपूर्ण संकेत देता है कि किस क्षेत्र में निवेश करना लाभकारी होगा।
निष्कर्ष:
अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ का भारत की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ सकता है। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन के आकलन से यह स्पष्ट है कि यदि ये टैरिफ अल्पकालिक रहते हैं तो असर सीमित होगा, लेकिन लंबे समय तक बने रहने पर जीडीपी की वृद्धि दर में लगभग 0.5 से 0.6 प्रतिशत की गिरावट संभव है। इसका अर्थ यह है कि भारत को अपनी व्यापारिक रणनीति में विविधीकरण, निर्यात बाज़ारों के विस्तार और वैकल्पिक समझौतों पर ज़ोर देना होगा ताकि अमेरिकी टैरिफ से उत्पन्न जोखिम को कम किया जा सके।