भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) और दूरसंचार विभाग (DoT) जल्द ही कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (CNAP) सेवा शुरू करने वाले हैं। इस सेवा से मोबाइल उपयोगकर्ताओं को इनकमिंग कॉल के दौरान कॉल करने वाले व्यक्ति का नाम और नंबर दोनों दिखाई देंगे। इसका उद्देश्य कॉलिंग सिस्टम को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाना है। TRAI ने सुझाव दिया है कि यह सुविधा सभी ग्राहकों के लिए डिफ़ॉल्ट रूप से सक्रिय हो, लेकिन उपयोगकर्ता चाहें तो इसे बंद भी कर सकें।
चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित होगा CNAP:
CNAP सेवा को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। शुरुआत 4जी और 5जी जैसे आधुनिक नेटवर्क से की जाएगी, और जब तकनीकी आधार तैयार हो जाएगा, तब इसे धीरे-धीरे पुराने 2जी नेटवर्क तक बढ़ाया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, इस तरीके से सेवा शुरू करने से यह सुनिश्चित होगा कि पहले उन जगहों पर काम शुरू हो जहाँ तकनीकी सुविधा और नेटवर्क बेहतर हैं, ताकि पुराने सिस्टम पर कोई असर न पड़े।
TRAI ने की थी सिफारिशें?
ट्राई ने टेलीकॉम कंपनियों को जल्द से जल्द CNAP सेवा लागू करने की सलाह दी है। नियामक का कहना है कि इस सेवा में कॉल करने वाले व्यक्ति का नाम वही दिखेगा, जो उसने सिम लेते समय कंज्यूमर एप्लिकेशन फॉर्म (CAF) में भरा था। इससे कॉल रिसीव करने वाले व्यक्ति को आसानी से पता चल जाएगा कि कॉल किसने किया है, और स्कैम या फर्जी कॉल्स को रोका जा सकेगा।
ट्राई ने यह भी बताया कि आजकल कई इंटरनेट-बेस्ड कॉल्स (VoIP) होती हैं, जो सामान्य 10 अंकों के मोबाइल नंबर से आती दिखती हैं, लेकिन असल में वे टेलीकॉम कंपनियों के पास रजिस्टर्ड नहीं होतीं। स्कैमर्स इन्हीं कॉल्स का इस्तेमाल धोखाधड़ी के लिए करते हैं। CNAP लागू होने के बाद, यूजर को असल कॉलर और इंटरनेट कॉलर में फर्क पहचानने में आसानी होगी, जिससे धोखाधड़ी के मामले कम हो सकेंगे।
दूरसंचार विभाग ने की थी सिफारिशों में संशोधन की मांग:
दूरसंचार विभाग ने ट्राई की फरवरी 2024 की सिफारिशों में कुछ बदलाव करने की मांग की थी। पहले ट्राई ने CNAP को एक वैकल्पिक सेवा के रूप में प्रस्तावित किया था, लेकिन अब विभाग चाहता था कि इसे डिफ़ॉल्ट सुविधा बनाया जाए।
28 अक्टूबर को ट्राई ने अपने नए जवाब में इस बात से सहमति जताई, जिससे अब पूरे देश में CNAP को डिफ़ॉल्ट रूप से लागू करने का रास्ता खुल गया है।
CNAP क्या है ?
CNAP यानी कॉलर नेम प्रेजेंटेशन एक ऐसी सेवा है, जिसमें आपके फोन पर आने वाली कॉल में कॉल करने वाले व्यक्ति का नाम और नंबर दोनों दिखाई देंगे। यह ट्रू-कॉलर जैसी ऐप्स से अलग है, क्योंकि इसमें जो नाम दिखेगा, वह वही होगा जो व्यक्ति ने सिम कार्ड लेते समय अपनी ID पर दर्ज किया था। हालांकि, इस सेवा को लागू करने में कुछ तकनीकी चुनौतियाँ हैं और यूज़र्स की प्राइवेसी को लेकर भी चिंताएँ जताई गई हैं।
मुख्य चुनौतियाँ क्या है?
CNAP को लागू करने में कुछ मुख्य चुनौतियाँ भी हैं। टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि कई बिजनेस कनेक्शन ऐसे होते हैं जहाँ एक ही कंपनी के नाम पर बहुत सारे सिम कार्ड लिए जाते हैं। ऐसे में कॉल आने पर यह तय करना मुश्किल है कि कंपनी का नाम दिखाया जाए, ब्रांड का या उस व्यक्ति का जो कॉल कर रहा है।
इसी तरह, फैमिली पोस्टपेड प्लान में भी एक ही आईडी पर कई सिम कार्ड होते हैं। ऐसे मामलों में यह स्पष्ट नहीं है कि कॉलर के नाम में किस सदस्य का नाम दिखाया जाए। टेलीकॉम कंपनियाँ इन सवालों के जवाब का इंतज़ार कर रही हैं, क्योंकि अभी तक दूरसंचार विभाग की ओर से इस पर कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं मिला है।
CNAP से क्या फायदे होंगे?
CNAP सेवा से मोबाइल उपयोगकर्ताओं को कई फायदे मिलेंगे। यह सेवा स्पैम और फर्जी कॉल्स से बचाव में मदद करेगी, क्योंकि कॉल उठाने से पहले ही कॉल करने वाले का असली नाम दिखाई देगा। इससे लोग धोखाधड़ी वाली कॉल्स से सावधान रह सकेंगे।
रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी कंपनियों ने नोकिया और डेल टेक्नोलॉजीज के साथ मिलकर 4G और उससे ऊपर के नेटवर्क पर CNAP का सफल परीक्षण भी पूरा कर लिया है।
इसे संभव बनाने के लिए क्या है TRAI की प्लानिंग?
CNAP सेवा को शुरू करने के लिए ट्राई ने एक साफ योजना बनाई है। इसके तहत मोबाइल कंपनियों को एक सुरक्षित डेटाबेस बनाना होगा, जिसमें ग्राहकों के नाम और मोबाइल नंबर आपस में जुड़े होंगे। जिन लोगों ने अपनी पहचान छिपाने का विकल्प चुना है, वे इस सेवा से बाहर रहेंगे।
ट्राई ने यह भी सुझाव दिया है कि भारत में बेचे जाने वाले सभी नए मोबाइल और नेटवर्क उपकरण सरकार की अधिसूचना के छह महीने के भीतर CNAP-सपोर्ट वाले होने चाहिए। इसके अलावा, ट्राई ने कॉलिंग लाइन आइडेंटिफिकेशन (CLI) से जुड़े नियमों में बदलाव का प्रस्ताव दिया है ताकि कॉल करने वाले का नाम और नंबर दोनों दिखाए जा सकें। इससे CNAP सेवा को औपचारिक रूप से दूरसंचार व्यवस्था का हिस्सा बनाया जा सकेगा।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) के बारे में:
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की स्थापना 20 फरवरी 1997 को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 के तहत की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य देश में दूरसंचार सेवाओं के विकास को प्रोत्साहित करना और इसके लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना है।
ट्राई टैरिफ यानी कॉल, डेटा और अन्य सेवाओं की दरें तय करने तथा दूरसंचार सेवाओं को नियंत्रित करने का कार्य करता है, जो पहले केंद्र सरकार के अधीन था। इसका लक्ष्य दूरसंचार क्षेत्र में पारदर्शिता बनाए रखना और कंपनियों के बीच निष्पक्ष एवं स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है। ट्राई का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
TRAI के मुख्य कार्य:
- ट्राई का काम दूरसंचार क्षेत्र में सुधार और पारदर्शिता बनाए रखना है। यह नई सेवाओं की जरूरत, लाइसेंस रद्द करने, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और तकनीकी सुधार जैसे मुद्दों पर सरकार को सिफारिशें देता है।
- ट्राई यह सुनिश्चित करता है कि कंपनियाँ लाइसेंस के नियमों का पालन करें, सेवाओं की गुणवत्ता बनी रहे, और देश-विदेश में कॉल या डेटा की दरें समय पर तय की जाएँ।
- ट्राई की सिफारिशें सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं होतीं; यदि सरकार चाहे तो उन्हें संशोधन या पुनर्विचार के लिए वापस भेज सकती है।
TRAI की प्रमुख शक्तियाँ क्या है ?
- सूचना मांगने की शक्ति: ट्राई किसी भी सेवा प्रदाता से उसके कामकाज से जुड़ी जानकारी या स्पष्टीकरण लिखित रूप में मांग सकता है।
- जांच कराने की शक्ति: ट्राई किसी भी कंपनी या सेवा प्रदाता के मामलों की जांच के लिए अधिकारियों की नियुक्ति कर सकता है।
- निरीक्षण करने की शक्ति: ट्राई अपने अधिकारियों को किसी भी कंपनी के खाते या दस्तावेज़ों की जांच करने का आदेश दे सकता है।
- निर्देश देने की शक्ति: ट्राई जरूरत पड़ने पर सेवा प्रदाताओं को आवश्यक निर्देश जारी कर सकता है, जिनका पालन कंपनियों के लिए जरूरी होता है।
निष्कर्ष:
कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (CNAP) सेवा का क्रियान्वयन भारत के दूरसंचार क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और सुधारात्मक कदम है। इससे न केवल संचार व्यवस्था में पारदर्शिता और विश्वास बढ़ेगा, बल्कि स्पैम, धोखाधड़ी और फर्जी कॉल्स जैसी समस्याओं पर भी प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकेगा।
