अमेरिका में अवैध प्रवासियों के खिलाफ चलाए जा रहे एक विशेष अभियान के कारण शिकागो शहर में स्थिति काफी तनावपूर्ण हो गई है। बीते रविवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शहर में 300 नेशनल गार्ड्स तैनात किए, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच कई जगहों पर तीव्र झड़पें हुईं। इन झड़पों में सुरक्षा बलों ने पेपर स्प्रे और रबर बुलेट्स का इस्तेमाल किया, जिससे कई लोग घायल हुए और करीब 1000 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया।
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता अबिगेल जैक्सन ने बताया कि ट्रंप का उद्देश्य शहरों में कानून और व्यवस्था बनाए रखना और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकना है।

अमेरिका में अवैध प्रवासियों के खिलाफ अभियान ‘ऑपरेशन मिडवे ब्लिट्ज’:
इस कार्रवाई की शुरुआत अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट (DHS) द्वारा शुरू किए गए अभियान “ऑपरेशन मिडवे ब्लिट्ज” के तहत हुई है. यह ऑपरेशन सितंबर 2025 में शुरू किया गया था और इसका उद्देश्य अवैध अप्रवासियों और आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करना है।
ऑपरेशन की पृष्ठभूमि:
यह अभियान केटी अब्राहम नामक एक लड़की की दर्दनाक मौत के बाद शुरू किया गया। हाल ही मे एक अवैध अप्रवासी नशे की हालत में तेज रफ्तार कार चला रहा था और उसने केटी को कुचल दिया। उसके साथ कार में सवार 21 वर्षीय उसकी मित्र क्लो पोर्जिन भी इस दुर्घटना में मारी गईं। पुलिस के अनुसार, ड्राइवर ने दुर्घटना के बाद मौके से फरार हो गया। कार में सवार अन्य तीन लोग भी गंभीर रूप से घायल हुए।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रिपब्लिकन नेताओं ने अब्राहम की मौत को उजागर किया और उसके माता-पिता को “एंजल पेरेंट्स” कहा, जो प्रशासन की उस शब्दावली में इस्तेमाल होता है जिसमें अवैध प्रवासियों के कारण अपने प्रियजन को खोने वाले परिवारों को दर्शाया जाता है। अब्राहम के परिवार ने इलिनॉय में संक्रियाशील शरण नीतियों (sanctuary policies) के खिलाफ आवाज उठाई, यह कहते हुए कि अगर कड़े आप्रवासीय जांच नियम लागू होते तो यह त्रासदी टाली जा सकती थी।
ट्रम्प के सैनिक भेजने पर इलिनॉय गवर्नर ने जताया विरोध, अदालत में देंगे चुनौती:
इलिनॉय के गवर्नर जेबी प्रिट्जकर ने आरोप लगाया है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उन्हें धमकी दी कि अगर वह सैनिक नहीं भेजेंगे, तो ट्रम्प खुद सैनिक तैनात कर देंगे। प्रिट्जकर ने कहा, “यह पूरी तरह गलत है। लोकल पुलिस पहले से ही हालात संभाल रही है, फिर भी ट्रम्प जबरन सैनिक भेज रहे हैं।”
गवर्नर ने घोषणा की है कि वह इस फैसले को अदालत में चुनौती देंगे, क्योंकि यह पॉसी कोमिटेटस एक्ट का उल्लंघन है। यह संघीय कानून घरेलू कानून-व्यवस्था में सेना के इस्तेमाल पर रोक लगाता है।
इलिनॉय के अटॉर्नी जनरल क्वामे राउल ने भी इस कदम के खिलाफ मुकदमा दायर करने की बात कही है, जिससे कानूनी लड़ाई और तेज होने की संभावना है।
ओरेगन की गवर्नर ने नेशनल गार्ड तैनाती की की निंदा:
ओरेगन की डेमोक्रेट गवर्नर टीना कोटेक ने बताया कि कैलिफोर्निया नेशनल गार्ड के सैनिक ओरेगन पहुंच चुके हैं। उन्होंने कहा कि 101 सैनिक, जो संघीय नियंत्रण में ले लिए गए हैं, कल रात हवाई जहाज से ओरेगन आए और उनकी जानकारी के अनुसार, आज और सैनिक आने वाले हैं।
गवर्नर कोटेक ने इस कदम की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि “ओरेगन में सैन्य हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है। यहां न कोई विद्रोह है, न राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा। ओरेगन हमारा घर है, कोई सैन्य निशाना नहीं।” उन्होंने ओरेगनवासियों से अपील की कि ट्रंप प्रशासन की गैरकानूनी कार्रवाइयों के खिलाफ अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग शांतिपूर्वक करें।
डेमोक्रेटिक पार्टी शासित शहरों में नेशनल गार्ड की तैनाती:
साल 2025 में, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के दौरान, संघीय सरकार ने कई डेमोक्रेटिक पार्टी-शासित शहरों में नेशनल गार्ड तैनात किए, जिससे राजनीतिक और संवैधानिक विवाद खड़े हो गए।
तैनाती का कारण: ट्रंप प्रशासन के अनुसार, इन तैनाती का उद्देश्य अपराध, बेघरता, अवैध आप्रवासन और विरोध प्रदर्शनों पर नियंत्रण रखना था। आलोचकों का कहना है कि यह कदम राजनीतिक रूप से प्रेरित था और सत्ता के दुरुपयोग का उदाहरण हो सकता है।
डेमोक्रेटिक गवर्नरों का विरोध: कई डेमोक्रेटिक गवर्नरों ने नेशनल गार्ड की तैनाती का विरोध किया और इसे “गैर-अमेरिकी” और “सत्ता का दुरुपयोग” बताया। उन्होंने अदालत में चुनौती देने और कानूनी लड़ाई लड़ने की कसम खाई।
कुछ प्रमुख शहरों में तैनाती और विरोध:
- शिकागो, इलिनोइस: गवर्नर जे.बी. प्रित्ज़कर ने ट्रंप के कदम का विरोध किया।
- पोर्टलैंड, ओरेगन: कैलिफोर्निया और ओरेगन के डेमोक्रेटिक गवर्नरों ने नेशनल गार्ड भेजने के ट्रंप के कदम का विरोध किया और अदालत में चुनौती दी।
- वॉशिंगटन डी.सी.: अगस्त 2025 में ट्रंप ने यहां भी नेशनल गार्ड तैनात किए।
शिकागो में बढ़ा अपराध ग्राफ:
व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट के अनुसार पिछले 13 वर्षों से लगातार शिकागो में देश के किसी भी अन्य शहर की तुलना में सबसे अधिक हत्याएं दर्ज की जा रही हैं।
कैरोलिन लेविट के अनुसार, 2024 में शिकागो में हत्या का दर न्यूयॉर्क और लॉस एंजेलिस जैसे अन्य प्रमुख अमेरिकी शहरों की तुलना में कहीं अधिक थी। 2025 में अब तक शहर में 147,899 अपराधों की रिपोर्ट दर्ज की जा चुकी है, जिनमें से केवल 16 प्रतिशत मामलों में ही गिरफ्तारी हुई है।
उन्होंने यह भी बताया कि शिकागो में अवैध हथियारों की बरामदगी की संख्या, न्यूयॉर्क सिटी और लॉस एंजेलिस को मिलाकर भी उनसे अधिक रही है। इसके अलावा, 2024 में मोटर वाहन चोरी के मामलों की संख्या 2021 की तुलना में दोगुनी से भी अधिक रही, जो शहर में बढ़ते अपराध का स्पष्ट संकेत है।
ट्रंप को कोर्ट से झटका: कोर्ट ने पोर्टलैंड में नेशनल गार्ड की तैनाती पर रोक लगाई:
अमेरिका की एक फेडरल कोर्ट ने ओरेगन के पोर्टलैंड शहर में 200 नेशनल गार्ड्स की तैनाती पर रोक लगा दी है। जज ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप का दावा कि पोर्टलैंड “युद्धग्रस्त” है और वहां हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं, सही नहीं है। उनके अनुसार, ये प्रदर्शन छोटे-मोटे और शांतिपूर्ण हैं, जिन्हें पोर्टलैंड पुलिस आसानी से संभाल रही है।
जज ने इस कार्रवाई को संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को राज्य की मंजूरी के बिना नेशनल गार्ड्स को फेडरल नियंत्रण में लेने का अधिकार तभी मिलता है जब विद्रोह या बड़ा खतरा हो, जो इस स्थिति में मौजूद नहीं है।
सर्वे में खुलासा: 58% अमेरिकन नेशनल गार्ड की तैनाती के खिलाफ:
CBS सर्वे के अनुसार, 58 प्रतिशत अमेरिकी नागरिक शहरों में नेशनल गार्ड की तैनाती का विरोध कर रहे हैं। यह सर्वे उस बयान के बाद सामने आया है, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले मंगलवार को अमेरिका के “भीतर से युद्ध” के लिए सेना के इस्तेमाल की बात कही थी।
ट्रंप ने अभी तक अपने कट्टरपंथी अभियान को पीछे हटाने या अपने बयानों को नरम करने का कोई संकेत नहीं दिया है। इस रुख से अमेरिकी राजनीति में तनाव और जन विभाजन और गहराने की आशंका जताई जा रही है।
नेशनल गार्ड क्या है?
नेशनल गार्ड अमेरिका का एक आरक्षित सैन्य बल है, जिसे जरूरत पड़ने पर सक्रिय ड्यूटी के लिए तैनात किया जा सकता है। यह प्राकृतिक आपदाओं और नागरिक अशांति जैसी घरेलू आपात स्थितियों में प्रतिक्रिया करता है और विदेशों में सैन्य अभियानों का समर्थन करता है।
शाखाएँ: आर्मी नेशनल गार्ड और एयर नेशनल गार्ड, जिनमें लगभग 431,000 सदस्य हैं। यह अमेरिकी सेना की दूसरी सबसे बड़ी शाखा है।
इसमें अंशकालिक सैनिक और वायुसैनिक शामिल होते हैं, जो आम तौर पर नागरिक नौकरियों के साथ महीने में एक सप्ताहांत और साल में दो सप्ताह प्रशिक्षण लेते हैं।
नेशनल गार्ड अमेरिकी सेना से किस प्रकार भिन्न है?
नेशनल गार्ड अमेरिका की सबसे पुरानी सैन्य संस्थाओं में से एक है, जिसकी स्थापना 1636 में हुई थी, यानी अमेरिका के 1776 में बनने से पहले। इसका विकास औपनिवेशिक मिलिशिया से हुआ, जो स्थानीय समुदायों की रक्षा के लिए बनाई गई थी, और समय के साथ आधुनिक नेशनल गार्ड में परिवर्तित हुई।
विशेषताएँ:
- प्रत्येक राज्य, क्षेत्र और वाशिंगटन, डीसी की अपनी नेशनल गार्ड इकाई होती है।
- इनकी दोहरी भूमिका होती है: राज्य और संघीय सरकार दोनों की सेवा करना।
अंतर:
- नियमित अमेरिकी सेना पूर्णकालिक संघीय बल है।
- इसके सक्रिय सदस्य देश और विदेश में संचालन पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- यह सीधे राष्ट्रपति के अधीन कमांडर-इन-चीफ के रूप में कार्य करती है।

नेशनल गार्ड की तैनाती कौन कर सकता है?
नेशनल गार्ड को राज्य के गवर्नर या राष्ट्रपति बुला सकते हैं, लेकिन अधिकांश तैनाती राज्य के गवर्नर द्वारा स्थानीय आपात स्थितियों जैसे प्राकृतिक आपदाएँ, नागरिक अशांति या सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट में की जाती है।
हालांकि, राष्ट्रपति राष्ट्रीय मिशनों के लिए नेशनल गार्ड का संघीयकरण कर सकते हैं, भले ही राज्यपाल इसके विरोध में हों। उदाहरण के लिए, कैलिफ़ोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूज़ॉम की आपत्तियों के बावजूद, इस साल लॉस एंजिल्स में ऐसा हुआ; यह 1965 के वाट्स दंगों के बाद पहला संघीयकरण था।
राष्ट्रीय गार्ड को किन कारणों से तैनात किया जा सकता है?

पहली बार संघीय तैनाती का उदाहरण: 1957 में लिटिल रॉक एकीकरण संकट के दौरान, नौ अफ्रीकी-अमेरिकी छात्रों (“लिटिल रॉक नाइन”) को पूर्ण रूप से श्वेत स्कूल में प्रवेश करने से रोकने के लिए नेशनल गार्ड का इस्तेमाल किया गया। इस पर राष्ट्रपति ड्वाइट आइजनहावर ने नेशनल गार्ड का संघीयकरण किया और संघीय सेना भेजी, जिससे राज्य और संघीय सत्ता के बीच निर्णायक टकराव हुआ। इतिहास में नेशनल गार्ड को स्थानीय और क्षेत्रीय संकटों के लिए भी सैकड़ों बार सक्रिय किया गया है।
निष्कर्ष:
अमेरिका में हाल ही में राष्ट्रपति के आदेश और संवैधानिक अधिकारों के बीच टकराव स्पष्ट हो गया है। राष्ट्रपति की इच्छा से किसी शहर में सेना भेजने का कदम विवादित साबित हुआ है, इस स्थिति ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि राष्ट्रपति भी अपनी पूरी इच्छा से सैन्य कार्रवाई नहीं कर सकते और उन्हें संविधान की सीमाओं का पालन करना अनिवार्य है।