दो सरकारी बैंक बनेंगे दुनिया के टॉप-20 का हिस्सा, बैंकिंग सुविधाओं में होगा बड़ा बदलाव:

भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) के लिए एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। वित्त मंत्रालय की ओर से नई दिल्ली में आयोजित पीएसबी मंथन 2025 में वरिष्ठ अधिकारियों ने पुष्टि की कि सरकार की कोशिश है कि कम से कम दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक परिसंपत्तियों के आधार पर दुनिया के शीर्ष 20 बैंकों में जगह बना सकें।

सूत्रों के मुताबिक, इस बार की योजना में बैंकों के एकीकरण (consolidation) को शामिल नहीं किया गया है। यानी सरकार अब पहले की तरह विलय-आधारित सुधारों के बजाय एक नई रणनीति के तहत बैंकों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में काम कर रही है।

Two government banks will become part of the world's top-20

भारतीय बैंकों को टॉप 20 में लाने पर मंथन:

 

‘पीएसबी मंथन 2025’ बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि कम-से-कम दो भारतीय बैंक स्वाभाविक रूप से इतने मजबूत बनें कि वे दुनिया के शीर्ष 20 बैंकों की सूची में जगह बना सकें।

बैठक की अध्यक्षता डीएफएस सचिव एम नागराजू ने की। इसमें मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एसबीआई चेयरमैन सी एस शेट्टी, पीएनबी सीईओ अशोक चंद्रा और अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शीर्ष प्रबंधन ने भाग लिया। बैठक को मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन, आरबीआई डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे, तथा पूर्व डीएफएस सचिव और इरडा प्रमुख देबाशीष पांडा ने भी संबोधित किया।

बैठक मे कुछ अन्य मुद्दो पर भी हुई चर्चा-

  • बैंकों की स्वायत्तता बढ़ाने
  • निदेशक मंडल की भूमिका मजबूत करने
  • एनपीए अनुपात कम रखने,
  • प्रौद्योगिकी व साइबर सुरक्षा चुनौतियों से निपटने
  • ग्राहक सेवा एवं शिकायत निवारण को बेहतर बनाने पर जोर दिया गया
  • कृषि और MSME सेक्टर की फंडिंग बढ़ाने पर जोर

 

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (public sector banks) क्या है?

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक वे बैंक होते हैं जिनमें सरकार की हिस्सेदारी कुल शेयरों का 50% से अधिक होती है। इन बैंकों के लिए सभी वित्तीय नीतियां सरकार ही तय करती है। सरकार के अधीन काम करने के कारण इन बैंकों में जनता को यह भरोसा रहता है कि उनकी जमा पूंजी सुरक्षित है।

 

भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक लगातार जनहित में योजनाएं लाते रहते हैं, ताकि ग्राहकों को लाभ मिल सके। निजी बैंकों की तुलना में ये बैंक अपनी सेवाओं पर कम शुल्क लेते हैं। जनहित में कार्य करने के साथ-साथ भारत के राष्ट्रीयकृत बैंक बड़े पैमाने पर लाभ भी कमाते हैं।

 

भारत के बैंकों की ग्लोबल स्थिति:

वर्तमान में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) दुनिया के सबसे बड़े बैंकों की सूची में 43वें स्थान पर है। वहीं, निजी क्षेत्र का एचडीएफसी (HDFC) बैंक 73वें स्थान पर आता है।

 

सरकार का लक्ष्य: अधिकारियों के अनुसार, भारत का लक्ष्य है कि आने वाले समय में देश के कम-से-कम दो बैंक स्वाभाविक रूप से इतने मजबूत बनें कि वे दुनिया के शीर्ष 20 बैंकों की सूची में शामिल हो सकें। यह कदम भारत की वैश्विक वित्तीय ताकत को नई ऊँचाई देगा।

 

2025 में दुनिया के शीर्ष बैंक:

जुलाई 2025 तक के आँकड़ों के आधार पर दुनिया के सबसे बड़े बैंकों की सूची उनके बाज़ार पूंजीकरण पर तय की गई है। इस सूची में अमेरिकी और चीनी बैंकों का दबदबा साफ़ दिखाई देता है। अमेरिका का जेपी मॉर्गन चेस पहले स्थान पर है, जबकि चीन के चार बड़े बैंक शीर्ष 10 में शामिल हैं।

बैंक का बाज़ार पूंजीकरण क्या है?

 

किसी बैंक का बाज़ार पूंजीकरण (Market Capitalization) उसके सभी शेयरों के कुल मूल्य को कहते हैं। इसे बैंक की कुल मार्केट वैल्यू भी समझा जा सकता है।

 

यह क्यों महत्वपूर्ण है?

बाज़ार पूंजीकरण से निवेशकों और विशेषज्ञों को बैंक के आकार और वित्तीय ताकत का अंदाज़ा मिलता है। यह बैंक की साख और भविष्य में अतिरिक्त धन जुटाने की क्षमता को भी प्रभावित करता है।

 

बैंक के परिचालन पर असर

  • बड़ा मार्केट कैप होने से बैंक को विस्तार, निवेश और ऋण वितरण के लिए अधिक संसाधन मिलते हैं।
  • यह बैंक की वित्तीय स्थिरता को मज़बूत करता है।
  • बड़े बैंकों के अधिग्रहण (Takeover) होने की संभावना भी कम हो जाती है।

 

विकसित भारत 2047 क्या है?

विकसित भारत का अर्थ है “Developed India”विकसित भारत 2047 का लक्ष्य है कि भारत अपनी आजादी के 100वें वर्ष (2047) तक एक पूरी तरह विकसित राष्ट्र बने।

यह दृष्टि चार स्तंभों पर आधारित है:

  • युवा (Yuva): भारत की युवा शक्ति को सशक्त बनाना।
  • गरीब (Garib): समावेशी विकास और गरीबी उन्मूलन।
  • महिलाएँ (Mahilayen): महिला सशक्तिकरण और भागीदारी।
  • अन्नदाता (Annadata): किसानों को सहयोग और सम्मान।

 

विकसित भारत 2047 के उद्देश्य:

  • भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना।
  • अगले दो दशकों में भारत की अर्थव्यवस्था को 30 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचाना।
  • हर वर्ग की समान भागीदारी सुनिश्चित करना।
  • एक समृद्ध, आत्मनिर्भर और टिकाऊ भारत का निर्माण करना।

 

व्यापक रणनीति

  • इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना।
  • सामाजिक कल्याण योजनाओं का विस्तार।
  • सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा।
  • Ease of Living और Ease of Doing Business में सुधार।
  • भारत को 2047 तक समृद्ध और आत्मनिर्भर विकसित राष्ट्र बनाना।

 

निष्कर्ष:

यह पहल न केवल भारत के बैंकिंग क्षेत्र को वैश्विक पहचान दिलाने में मदद करेगी बल्कि देश की वित्तीय स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के विश्वास को भी मजबूत करेगी। यदि भारत के कम से कम दो बैंक विश्व के शीर्ष 20 बैंकों में स्थान बनाने में सफल होते हैं, तो यह भारत के विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य (विकसित भारत 2047) की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि साबित होगी।