केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने शुक्रवार को घोषणा की कि बक्सर का गोकुल जलाशय और पश्चिम चंपारण की उदयपुर झील को रामसर स्थल का दर्जा मिला है। इसके साथ ही बिहार में ऐसे स्थलों की संख्या अब 5 हो गई है। यह केवल कागजी उपलब्धि नहीं है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों की सोच और मेहनत का परिणाम भी है।

मंत्री ने एक्स. पर लिखा,
भारत ने बिहार में दो नए रामसर स्थलों – बक्सर जिले में गोकुल जलाशय (448 हेक्टेयर) और पश्चिम चंपारण जिले में उदयपुर झील (319 हेक्टेयर) को जोड़कर आर्द्रभूमि संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत किया है।
PM मोदी ने की तारीफ:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के X पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बहुत ही अच्छी खबर है। उन्होंने कहा कि आर्द्रभूमियां सतत विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। साथ ही, उन्होंने बिहार के लोगों की प्रशंसा की, जिन्होंने अपने विचार और कर्म से दिखाया कि पर्यावरण संरक्षण में अग्रणी कैसे बने।

आर्द्रभूमि क्या है ?
आर्द्रभूमि वे क्षेत्र होते हैं जहाँ पानी स्थिर या बहता है। इनमें दलदल, दलदली भूमि, पीटलैंड या प्राकृतिक और कृत्रिम जलाशय शामिल हैं। कभी-कभी इसमें छह मीटर से अधिक गहराई वाले समुद्री क्षेत्र भी आते हैं।
- आर्द्रभूमि इकोटोन के रूप में काम करती है, यानी यह स्थलीय और जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के बीच का संक्रमण क्षेत्र होती है।
बिहार के 5 रामसर स्थल:
- कांवर झील पक्षी अभयारण्य: एशिया की सबसे बड़ी ऑक्सबो झील होने के कारण यह बिहार का पहला रामसर स्थल है, जिसे 2020 में घोषित किया गया था.
- नागी पक्षी अभयारण्य: यह जमुई जिले में स्थित एक मानव निर्मित आर्द्रभूमि है.
- नकटी पक्षी अभयारण्य: यह भी जमुई जिले में स्थित एक मानव निर्मित जलाशय है, जो नागी के साथ रामसर सूची में शामिल किया गया है.
- गोकुल जलाशय: यह बिहार के बक्सर जिले में स्थित एक जलाशय है, जिसे हाल ही में रामसर स्थल घोषित किया गया है.
- उदयपुर झील: यह पश्चिम चंपारण जिले में स्थित एक ऑक्सबो झील है और इसे हाल ही में रामसर स्थल का दर्जा मिला है.
गोकुल जलाशय, बक्सर: गोकुल जलाशय गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित एक महत्वपूर्ण आर्द्रभूमि है। यह ऑक्सबो झील का प्रकार है।
- पारिस्थितिक भूमिका: यह आसपास के गांवों के लिए प्राकृतिक बाढ़ अवरोधक का काम करता है और 50 से अधिक पक्षी प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करता है। गर्मियों में इसका दलदली और कृषि क्षेत्र उजागर हो जाता है, जबकि मानसून में जलभराव बढ़ जाता है। बाढ़ के समय यह आसपास के गांवों के लिए प्राकृतिक बफर का काम करता है.
- सामुदायिक उपयोग: स्थानीय लोग इस जलाशय पर मछली पकड़ने, खेती और सिंचाई के लिए निर्भर हैं।
- स्थानीय परंपरा: हर साल एक पारंपरिक पर्व के दौरान ग्रामीण सामूहिक रूप से जलाशय की सफाई और खरपतवार हटाने का काम करते हैं, जिससे यह क्षेत्र स्वच्छ और सुरक्षित बना रहता है।
उदयपुर झील, पश्चिम चंपारण: उदयपुर झील एक प्राकृतिक ऑक्सबो झील है, जो एक गांव के चारों ओर फैली हुई है और रामसर सूची में स्थल संख्या 2577 है। यह झील उदयपुर वन्यजीव अभयारण्य से घिरी हुई है।
- जैव विविधता: यहाँ 280 से अधिक पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें भारत में पाए जाने वाला स्थानिक पौधा एलिसिकार्पस रोक्सबर्गियानस भी शामिल है।
- पक्षी जीवन: झील 35 प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण शीतकालीन स्थल है, जिसमें संकटग्रस्त कॉमन पोचार्ड भी शामिल है।
सरकार की कितनी भूमिका?
- राज्य की आर्द्रभूमियों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में भूमिका।
- जैव विविधता संरक्षण, जलवायु संतुलन और सतत आजीविका में अग्रणी भूमिका
- सामुदायिक सहभागिता और सही नीतियों से पर्यावरण और विकास का संतुलन संभव
भारत में रामसर स्थलों की स्थिति:
भारत में कुल रामसर स्थलों की संख्या 2012 में 26 थी, जो 2025 में बढ़कर 93 हो गई है। ये स्थल लगभग 13.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैले हुए हैं, जिनमें से 51 स्थल 2020 से अब तक जोड़े गए हैं।
वैश्विक स्तर पर कुल 2,544 रामसर स्थल हैं। भारत इस मामले में एशिया में पहले स्थान और दुनिया में ब्रिटेन (176) व मेक्सिको (144) के बाद तीसरे स्थान पर है।
रामसर कन्वेंशन क्या है?
रामसर कन्वेंशन 1971 में ईरान के रामसर में अपनाया गया था। जिसका मुख्यालय ग्लैंड, स्विट्जरलैंड में है। इसका उद्देश्य आर्द्रभूमि का संरक्षण करना और उनका सतत उपयोग सुनिश्चित करना है। भारत इसमें 1982 में शामिल हुआ।
- पहला रामसर स्थल ऑस्ट्रेलिया में कोबर्ग प्रायद्वीप था, जिसे 1974 में नामित किया गया था ।
- सबसे बड़े रामसर स्थलों में शामिल हैं:
- ब्राज़ील में रियो नीग्रो: 120,000 वर्ग किमी
- कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में न्गिरि-तुम्बा-मेनडोम्बे: 60,000 वर्ग किमी से अधिक
- कनाडा में क्वीन माउड खाड़ी: 60,000 वर्ग किमी से अधिक
- कुछ रामसर स्थल 1 हेक्टेयर जितने छोटे हैं ।
मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड सूची:
मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड (संकटग्रस्त सूची) उन आर्द्रभूमियों की सूची है, जिनका पारिस्थितिक तंत्र मानवीय गतिविधियों या प्रदूषण के कारण बिगड़ रहा हो। भारत की दो आर्द्रभूमियाँ मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड में शामिल हैं:
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, राजस्थान (1990): एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल।
- लोकतक झील, मणिपुर (1993): पूर्वोत्तर भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील, अपनी फुमदी (तैरती वनस्पति और मिट्टी) के लिए प्रसिद्ध।
चिल्का झील को 1993 में मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड में शामिल किया गया था, लेकिन 2002 में इसे हटा दिया गया; यह एशिया का पहला ऐसा स्थल था।
निष्कर्ष:
बिहार के गोकुल जलाशय और उदयपुर झील का रामसर स्थल बनना न केवल राज्य, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण है। यह कदम आर्द्रभूमियों के संरक्षण को मजबूत करेगा और स्थानीय समुदायों की आजीविका, जैव विविधता, तथा जलवायु संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।