UDISE रिपोर्ट 2024-25 के अनुसार देश में पहली बार किसी शैक्षणिक सत्र में शिक्षकों की संख्या 1 करोड़ से अधिक हो गई है। यह आंकड़ा अब 1.01 करोड़ तक पहुंच गया है, जो पिछले साल के 98 लाख से कहीं ज्यादा है, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (UDISE+) रिपोर्ट के अनुसार यह उपलब्धि छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की गारंटी तथा शिक्षकों की उपलब्धता में क्षेत्रीय असमानताओं को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
2022-23 की तुलना में वर्तमान शैक्षणिक वर्ष में शिक्षकों की संख्या में 6.7% की वृद्धि दर्ज की गई है। साथ ही, 2024-25 के दौरान स्कूलों में छात्रों की स्थायित्व दर और सकल नामांकन अनुपात में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:
- पुरुषों से अधिक महिला शिक्षक: रिपोर्ट के अनुसार, देश में अब महिला शिक्षकों की संख्या पुरुष शिक्षकों से अधिक हो गई है। 2014 से अब तक नियुक्त हुए 51.36 लाख शिक्षकों में 61% महिलाएँ रही हैं। वर्तमान में महिला शिक्षकों की संख्या 54.81 लाख है, जबकि पुरुष शिक्षकों की संख्या 46.41 लाख है।
- छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार: विभिन्न शैक्षिक स्तरों पर छात्र-शिक्षक अनुपात में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया है। यह अनुपात राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा सुझाए गए 1:30 मानक से भी बेहतर है। इससे शिक्षकों और छात्रों के बीच व्यक्तिगत ध्यान और संवाद की गुणवत्ता बढ़ी है, जिसके परिणामस्वरूप बेहतर शिक्षण अनुभव और उच्च शैक्षणिक परिणाम सामने आए हैं।
- ड्रॉपआउट दर में गिरावट: 2024-25 में स्कूल छोड़ने की दर में उल्लेखनीय कमी देखी गई है।
- प्राथमिक स्तर: 7% से घटकर 2.3%
- मध्य स्तर: 2% से घटकर 3.5%
- माध्यमिक स्तर: 9% से घटकर 8.2%
साथ ही, पढ़ाई जारी रखने (Retention Rate) की दर में भी वृद्धि हुई है।
- आधारभूत स्तर: 0% से बढ़कर 98.9%
- प्राथमिक स्तर: 4% से बढ़कर 92.4%
- माध्यमिक स्तर: 0% से बढ़कर 82.8%
- छात्रों की रिटेंशन दर में सुधार: 2024-25 में छात्रों के स्कूल में बने रहने की दर में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। विशेषकर माध्यमिक स्तर पर यह सुधार अधिक स्कूलों में माध्यमिक शिक्षा की उपलब्धता और बेहतर पहुँच के कारण संभव हुआ है। यह शिक्षा प्रणाली में प्रगति और लक्षित पहलों के सकारात्मक प्रभाव का स्पष्ट संकेत है।
- शून्य नामांकन और एकल-शिक्षक स्कूलों में कमी: समीक्षाधीन वर्ष के दौरान शून्य नामांकन वाले स्कूलों की संख्या में लगभग 38% की भारी कमी आई है। वहीं, एकल-शिक्षक वाले स्कूलों की संख्या में भी करीब 6% की गिरावट दर्ज की गई है। यह परिवर्तन सरकारी नीतियों और पहलों की सफलता को दर्शाता है।
- विद्यालयी बुनियादी ढांचे में सुधार: शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में विद्यालयी अवसंरचना, विशेषकर डिजिटल सुविधाओं में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। कंप्यूटर सुविधा वाले विद्यालयों की संख्या 57.2% (2023-24) से बढ़कर 64.7% (2024-25) हो गई है। यह बदलाव तकनीक-संचालित शिक्षा और डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- बुनियादी सुविधाओं और डिजिटल पहुंच में सुधार
- देशभर के स्कूलों में बुनियादी ढांचे और सुविधाओं में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
- 3% स्कूलों में पीने का पानी उपलब्ध है।
- 6% स्कूलों में बिजली की सुविधा है।
- 3% स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय उपलब्ध हैं।
- डिजिटल पहुंच में भी प्रगति हुई है, इंटरनेट कनेक्टिविटी पिछले वर्ष के 9% से बढ़कर इस वर्ष 63.5% हो गई है।
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भारत में शिक्षा असमानता:
भारत की शिक्षा प्रणाली में राज्यों के बीच भारी असमानताएँ देखने को मिलती हैं, जो छात्र-शिक्षक अनुपात, स्कूलों की उपलब्धता और नामांकन स्तर में स्पष्ट हैं।
- छात्र-शिक्षक अनुपात: उच्चतर माध्यमिक स्तर पर झारखंड में प्रत्येक शिक्षक औसतन 47 छात्रों को पढ़ा रहे हैं, जबकि सिक्किम में यह आंकड़ा केवल 7 छात्रों का है। यह क्षेत्रीय असमानता को दर्शाता है।
- स्कूल वितरण: प्राथमिक विद्यालयों की संख्या में भी अंतर है। पश्चिम बंगाल में देश के प्राथमिक स्कूलों का 80% हिस्सा है, जबकि चंडीगढ़ में केवल 3% स्कूल हैं। परिणामस्वरूप, प्रति स्कूल छात्रों की संख्या भी भिन्न है, चंडीगढ़ में प्रति स्कूल 1,222 छात्र हैं, जबकि लद्दाख में यह केवल 59 है।
- सकल नामांकन अनुपात (GER): बिहार सभी स्तरों पर पीछे है, जहां ऊपरी प्राथमिक में GER 69%, माध्यमिक में 51%, और उच्चतर माध्यमिक में 38% है, जिससे पता चलता है कि कई योग्य बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। इसके विपरीत, चंडीगढ़ में नामांकन दर बहुत अधिक है, ऊपरी प्राथमिक 120%, माध्यमिक 110%, और उच्चतर माध्यमिक 107%, जो मजबूत भागीदारी और कुछ मामलों में उम्र से अधिक या कम उम्र के छात्रों के नामांकन को दर्शाता है।
आइए जानते है, यूडीआइएसई प्लस (UDISE+) क्या है?
UDISE+ (यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस) भारत की केंद्रीकृत शिक्षा प्रबंधन सूचना प्रणाली है, जिसे शिक्षा मंत्रालय संचालित करता है। यह सभी स्कूलों, शिक्षकों और छात्रों के वास्तविक समय डेटा को एकत्र करता है। इसका उद्देश्य सटीक और विश्वसनीय आंकड़ों के आधार पर नीति निर्माण करना, शिक्षा की गुणवत्ता सुधारना और प्रभावी निगरानी सुनिश्चित करना है।
मुख्य कार्य:
- डेटा संग्रह: स्कूलों, शिक्षकों और छात्रों के बारे में जानकारी एकत्र करता है, जैसे स्कूल का स्थान, शिक्षक और छात्र संख्या, नामांकन, बुनियादी ढांचा (शौचालय, बिजली आदि) और शिक्षा से संबंधित अन्य विवरण।
- गुणवत्ता सुधार: शैक्षिक डेटा की सटीकता और विश्वसनीयता बढ़ाता है।
- नीति निर्माण: आंकड़ों के आधार पर सरकार को साक्ष्य-आधारित नीतियां बनाने और संसाधनों का प्रभावी आवंटन करने में मदद करता है।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: ऑनलाइन डेटा प्रविष्टि, स्वचालित डेटा सत्यापन और उपयोगकर्ता-अनुकूल इंटरफेस जैसी तकनीकों का उपयोग करता है।
मुख्य लाभ:
- बेहतर पारदर्शिता: शिक्षा प्रणाली में जवाबदेही बढ़ती है।
- डेटा-संचालित निर्णय: नीति निर्माताओं को त्वरित और सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाता है।
- मानकीकरण: डेटा संग्रह की प्रक्रिया को मानकीकृत करता है, जिससे डेटा की गुणवत्ता बढ़ती है।
- प्रभावी निगरानी: शैक्षिक कार्यक्रमों और पहलों की प्रभावी निगरानी और मूल्यांकन संभव बनाता है।
निष्कर्ष:
रिपोर्ट शिक्षा के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाती है। शिक्षा क्षेत्र में यह सुधार न केवल विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण और सुलभ शिक्षा उपलब्ध कराने में सहायक होगा, बल्कि समाज में समानता, समावेशिता और डिजिटल सशक्तिकरण को भी प्रोत्साहित करेगा। भविष्य में यह सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि यह प्रगति सतत बनी रहे, ताकि प्रत्येक बच्चे को बेहतर शैक्षिक अवसर प्राप्त हों और राष्ट्र के समग्र विकास में उनका योगदान सशक्त हो।