21 सितंबर को आयोजित स्नातक स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा, जिसके तीन पन्नों के प्रश्नपत्र के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। इस घटना ने न केवल हंगामा खड़ा कर दिया, बल्कि सरकारी परीक्षाओं की सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल उठाए। अब मामले की जांच उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी.एस. वर्मा की निगरानी और पुलिस अधीक्षक ऋषिकेश जया बलोनी के नेतृत्व में बनी SIT कर रही है, लेकिन छात्रों ने सरकार द्वारा गठित SIT को “लीपापोती की कार्रवाई” करार दिया है।

क्या है पूरा मामला?
21 सितंबर को UKSSSC ने 416 पदों के लिए स्नातक स्तर की परीक्षा कराई। इसी दौरान हरिद्वार के बहादुरपुर जट स्थित आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज से पेपर के तीन पन्नों की तस्वीरें लीक हो गईं और इंटरनेट पर वायरल हो गईं। मुख्य आरोपी खालिद परीक्षा देने गया था और उस पर आरोप है कि उसने पेपर की तीन तस्वीरें अपनी बहन सबिया को भेजीं। सबिया ने ये तस्वीरें खालिद के दोस्त सुमन को भेजीं ताकि सवाल हल करवा सके।
टिहरी के एक कॉलेज में प्रोफेसर सुमन ने प्रश्न हल किए लेकिन उत्तर नहीं भेजे। इसके बाद युवा नेता बॉबी पंवार ने ये तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल कर दीं। खालिद की सुमन से तब जान-पहचान हुई थी जब वह ऋषिकेश में जूनियर इंजीनियर था और सुमन नगर निगम में अधिकारी थीं।
CCTV में लगाईं गई थी पन्नियां?
बेरोजगार संघ के अध्यक्ष राम कंडवाल ने पूछा कि कई परीक्षा कक्षों में सीसीटीवी कैमरों पर पन्नियां क्यों लगाई गई थीं। एसएसपी ने बताया कि आयोग की तरफ से कैमरे लगाने थे, इसलिए पहले से लगे कैमरे बंद किए गए या उन पर पन्नियां लगा दी गईं। कंडवाल ने फिर कहा कि आयोग की ओर से एक भी कैमरा किसी कक्ष में नहीं लगाया गया।
मामले पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने क्या कहा?
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 24 सितंबर 2025 को कहा कि यह पेपर लीक एक सोची-समझी साजिश है जिसे नकल माफिया कर रहे हैं ताकि राज्य में अशांति फैल सके। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार नकल रोकने के लिए कड़े कानून ला चुकी है। उन्होंने बताया कि पिछले चार वर्षों में 25,000 से अधिक लोगों को सरकारी नौकरी मिली है और 2022 से अब तक 100 से ज्यादा लोगों को पेपर लीक के मामलों में गिरफ्तार किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि सरकार नकल माफियाओं को बख्शेगी नहीं और जब तक वे सलाखों के पीछे नहीं पहुँचते सरकार चैन से नहीं बैठेगी।
भाजपा सरकार के कानून नकल माफियाओं के लिए कोई बाधा नहीं: छात्र
देहरादून के परेड ग्राउंड में विरोध कर रहे छात्रों ने ‘पेपर चोर कुर्सी छोड़ो’ जैसे नारे लिखे बैनर और तख्तियां उठा रखी थीं। हरिद्वार और अल्मोड़ा में भी छात्रों ने एक दिवसीय प्रदर्शन किया और सड़कों पर रात बिताई। उनका आरोप है कि भाजपा सरकार का 2023 में लागू होने वाला नकल-रोधी कानून नकल माफियाओं को रोकने में नाकाम है और यही माफिया प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं।
CBI जांच की मांग की मांग कर रहे छात्र:
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तर की परीक्षा में पेपर लीक विवाद लगातार बढ़ रहा है। छात्र उत्तराखंड बेरोजगार संघ के बैनर तले परेड ग्राउंड में धरने पर डटे रहे। DM देहरादून सविन बंसल शुक्रवार को धरना स्थल पहुंचे और छात्रों को सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जांच के लिए SIT बनाई गई है और इसकी निगरानी हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश करेंगे। इसके बावजूद छात्र CBI जांच की मांग पर डटे रहे।
CBI जांच का विकल्प मौजूद: DM
DM सविन बंसल ने बेरोजगारों को समझाया कि राज्य सरकार ने CBI जांच को नकारा नहीं है, जरूरत पड़ी तो उस पर भी विचार होगा। CBI भी जांच से पहले प्रारंभिक रिपोर्ट मांगती है। ऐसे में शासन प्रारंभिक जांच करा रहा है।
धरना छोड़कर पढ़ाई पर ध्यान दे युवा: DM
SSP ने युवाओं के शांतिपूर्ण व्यवहार की तारीफ की और कहा कि सरकार उनके भविष्य को लेकर गंभीर है। उन्होंने युवाओं से प्रशासन और सरकार के साथ सहयोग करने की अपील की। DM ने कहा कि जांच पूरी होने तक छात्र धरना छोड़कर अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें।
हाई कोर्ट के मौजूदा जज की निगरानी में हो जांच: कांग्रेस
कांग्रेस ने भी छात्रों की मांग का समर्थन करते हुए राज्यभर में धरना दिया। पार्टी नेताओं ने कहा कि जांच सीबीआई से होनी चाहिए और इसकी निगरानी हाई कोर्ट के मौजूदा जज करें। कांग्रेस ने चेतावनी दी कि अगर मांगें नहीं मानी गईं तो 3 अक्टूबर को मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया जाएगा। देहरादून में यह प्रदर्शन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के नेतृत्व में हुआ। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ पूरी मजबूती से लड़ाई लड़ें।
अब तक की सरकार की कार्रवाई:
सरकार ने परीक्षा में लापरवाही पर सख्त कदम उठाए हैं। हरिद्वार में परीक्षा ड्यूटी पर लगे सेक्टर मजिस्ट्रेट केएन तिवारी, इंस्पेक्टर रोहित कुमार और कांस्टेबल ब्रह्मादत्त जोशी को निलंबित कर दिया गया है। टिहरी के एक कॉलेज की सहायक प्राध्यापक सुमन, जिन्होंने सॉल्वर की भूमिका निभाई, उन्हें भी निलंबित किया गया है।
मुख्य आरोपी खालिद मलिक हो चुका है गिरफ्तार:
UKSSSC पेपर लीक मामले के मुख्य आरोपी खालिद मलिक को हरिद्वार पुलिस ने मंगलवार को लक्सर से गिरफ्तार कर लिया। वह तीन दिन से फरार था। बाद में उसे आगे की जांच के लिए देहरादून पुलिस को सौंप दिया गया। जांच में पता चला कि खालिद परीक्षा में अभ्यर्थी बनकर गया था और उसने हरिद्वार के बहादुरपुर जट गाँव स्थित कॉलेज के अंदर से प्रश्नपत्र के तीन पन्नों की फोटो लेकर अपनी बहन सबिया को भेजी थीं। परीक्षा शुरू होते ही ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं।
पेपर लीक में खालिद के परिवार की भूमिका:
पेपर लीक मामले में खालिद के परिवार की भी भूमिका सामने आई है। पुलिस के अनुसार, उसकी 35 साल की बहन सबिया ने खालिद से मिली प्रश्नपत्र की तस्वीरें टिहरी की सहायक प्रोफेसर सुमन को भेजीं और वहीं से खालिद को नकल करने के लिए उत्तर मिले। सबिया को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि दूसरी बहन हिना की भूमिका की जांच चल रही है। हरिद्वार एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोबाल ने बताया कि छापेमारी के दौरान खालिद के घर में अवैध बिजली कनेक्शन भी मिला, जिस पर उसके पिता के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
आरोपियों पर अब तक क्या कार्यवाही हुई?
जांच अधिकारी और ऋषिकेश की एसपी जया बलूनी ने बताया कि सबूतों से खालिद की भूमिका साफ हो गई है। सबिया ने पेपर सुमन को भेजा और खालिद के लिए उत्तर लिए, इसलिए उसे गिरफ्तार किया गया। खालिद भी पकड़ा जा चुका है। पुलिस ने केंद्र के प्रधानाचार्य, कक्ष निरीक्षक और जैमर लगाने वाले कर्मचारियों से पूछताछ की है। अब तक खालिद, उसकी बहन सबिया और टिहरी की सहायक प्रोफेसर सुमन पर कार्रवाई हो चुकी है, जबकि बाकी की जांच जारी है।
प्रशासन ने खालिद की दुकान को किया ध्वस्त:
UKSSSC पेपर लीक मामले में प्रशासन ने कड़ा कदम उठाया और गुरुवार को लक्सर के सुल्तानपुर में मुख्य आरोपी खालिद की दुकान ध्वस्त कर दी। यह कदम राज्य सरकार की इस घोटाले में शामिल लोगों के प्रति सख्त रुख को दिखाने के लिए लिया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर भारी पुलिस बल के साथ यह कार्रवाई की गई। SP देहात शेखर सुयाल मौके पर मौजूद रहे। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी के खिलाफ कड़ा संदेश देने के लिए जरूरी था।
अन्य राज्यों में पेपर लीक की स्थिति (सोर्स: इंडिया टुडे):
- राजस्थान: 2015 से 2023 के बीच 14 से ज्यादा पेपर लीक की घटनाएँ हुईं, जिनमें 2022 में वरिष्ठ सरकारी स्कूल शिक्षकों की भर्ती परीक्षा भी शामिल है।
- गुजरात: पिछले सात सालों में 14 पेपर लीक हुए, जिनमें GPSC, तलाटी, शिक्षक योग्यता, मुख्य सेविका और अन्य भर्ती परीक्षाएँ शामिल हैं।
- उत्तर प्रदेश: 2017 से 2024 के बीच कम से कम 9 पेपर लीक हुए। 2024 में कांस्टेबल परीक्षा लीक होने से 48 लाख से ज्यादा उम्मीदवार प्रभावित हुए।
- अन्य राज्य: पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, बिहार और हरियाणा में भी पिछले सात वर्षों में कई पेपर लीक की घटनाएँ हुई हैं।
पेपर लीक में शामिल कारक:
- जाँच में पता चला कि लीक में भारी धन का लेन-देन हुआ।
- कई मामलों में सरकारी अधिकारी, शिक्षक और प्रिंटिंग प्रेस के कर्मचारी भी इसमें शामिल रहे।
- सोशल मीडिया ने लीक हुए पेपरों को तेजी से हजारों छात्रों तक पहुँचाने में मदद की, अक्सर पैसे के बदले।
पेपर लीक के खिलाफ कानून:
संसद ने 2024 में पेपर लीक पर कड़ा कानून बनाया है, जिसमें 10 साल जेल और 1 करोड़ रुपये जुर्माने का प्रावधान है। लेकिन इसका असर कम दिख रहा है। जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार और भाजपा पर परीक्षाओं को निष्पक्ष नहीं कराने और पेपर लीक बढ़ने का आरोप लगाया।
रद्दीकरण के बाद छात्रों को करना पड़ता है लंबा इंतजार:
पेपर लीक के बाद परीक्षाओं के पुनर्निर्धारण में लंबा इंतजार छात्रों के लिए बड़ी समस्या बन गया है। 20 मामलों में परीक्षा लीक के लगभग एक साल बाद ही परीक्षा हुई, जबकि 6 मामलों में छात्रों को दो साल तक इंतजार करना पड़ा। 11 मामलों में उम्मीदवार अभी भी परिणाम या समाधान का इंतजार कर रहे हैं। इससे छात्रों का मनोबल गिरता है और उनका भविष्य प्रभावित होता है।
अप्रतिबंधित परीक्षा लीक:
कई मौकों पर, पेपर लीक की समय पर सूचना नहीं दी गई और लोगों ने इसका फायदा उठाकर नौकरी पा ली। बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी ‘नौकरी के बदले ज़मीन’ के कई मामले सामने आए हैं। इससे युवा और नौकरी चाहने वाले ठगे हुए महसूस करते हैं। इसके अलावा, ऐसे लोगों पर भरोसा करना मुश्किल है, खासकर जब उनकी नौकरी सुरक्षा या जीवन से जुड़ी हो।
निष्कर्ष:
21 सितंबर की स्नातक स्तरीय परीक्षा में पेपर लीक की घटना ने सरकारी परीक्षाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामले की जांच SIT कर रही है, लेकिन छात्रों का मानना है कि यह केवल लीपापोती की कार्रवाई है। इससे स्पष्ट है कि परीक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और सख्त सुरक्षा सुनिश्चित करना अब बेहद जरूरी हो गया है।