केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को देश की अगली राष्ट्रव्यापी जनगणना आयोजित करने के लिए 11,718 करोड़ रुपये के बजट को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह जनगणना 2027 में संपन्न होगी और यह भारत के लिए प्रशासनिक एवं तकनीकी रूप से एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस निर्णय की घोषणा करते हुए इसे “राष्ट्रीय महत्व का महत्वपूर्ण कार्य” बताया।
भारत में पिछली पूर्ण जनगणना वर्ष 2011 में हुई थी। कोविड-19 महामारी के कारण 2021 की निर्धारित जनगणना स्थगित करनी पड़ी, जिससे आधिकारिक जनसंख्या आंकड़ों में लंबा अंतराल आ गया। इस स्वीकृति के साथ, सरकार ने औपचारिक रूप से पुष्टि कर दी है कि आगामी जनगणना 2027 में आयोजित की जाएगी, जिसकी संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि निर्धारित की गई है।
150 वर्षों की विरासत और 16वीं जनगणना
इस अभ्यास के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए, वैष्णव ने बताया कि भारत में 150 वर्षों से अधिक समय से जनगणना के अभिलेख सुरक्षित रखे जा रहे हैं, जो इस व्यापक जनसांख्यिकीय डेटाबेस की निरंतरता और महत्व को दर्शाता है। आगामी जनगणना भारत की कुल मिलाकर 16वीं जनगणना होगी और स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात 8वीं जनगणना होगी।
वर्ष 2027 की जनगणना गांव, कस्बे और वार्ड स्तर पर विस्तृत जानकारी प्रदान करेगी। इसमें आवासीय स्थितियों, मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता, जनसंख्या विशेषताओं, शिक्षा के स्तर, आर्थिक गतिविधियों, प्रवासन के पैटर्न सहित अनेक संकेतकों का समावेश होगा। संपूर्ण प्रक्रिया जनगणना अधिनियम 1948 और जनगणना नियम 1990 के प्रावधानों के अंतर्गत संचालित की जाएगी।
दो चरणों में होगी जनगणना
16 जून 2025 को राजपत्र में अधिसूचित यह जनगणना दो अलग-अलग चरणों में आयोजित होगी।
प्रथम चरण में गृह सूचीकरण और आवास गणना का कार्य अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच संपन्न होगा। प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासनिक सुविधा के अनुसार 30 दिनों की समयावधि में यह चरण पूरा करेंगे।
द्वितीय चरण में जनसंख्या गणना (PE) फरवरी 2027 में होगी। हालांकि, अत्यधिक मौसमी परिस्थितियों को देखते हुए, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बर्फीले क्षेत्रों में जनसंख्या गणना का कार्य पहले ही, सितंबर 2026 में पूरा कर लिया जाएगा।
भारत की प्रथम पूर्णतः डिजिटल जनगणना
वर्ष 2027 की जनगणना भारत की पहली पूर्णरूपेण डिजिटल जनगणना होगी। आंकड़ों का संग्रह एंड्रॉयड और iOS दोनों प्लेटफार्मों पर मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से किया जाएगा, जिससे तेज, अधिक सटीक और कागज रहित संचालन सुनिश्चित होगा। संपूर्ण प्रक्रिया की निगरानी नवीन रूप से विकसित सेंसस मैनेजमेंट एंड मॉनिटरिंग सिस्टम (CMMS) पोर्टल के माध्यम से वास्तविक समय में की जाएगी।
कई नए डिजिटल उपकरण प्रस्तुत किए जा रहे हैं, जिनमें हाउस लिस्टिंग ब्लॉक क्रिएटर वेब-आधारित मानचित्र उपकरण शामिल है। इसके अलावा, नागरिकों के लिए स्व-गणना का विकल्प भी उपलब्ध होगा, जिससे वे अपना विवरण सीधे प्रस्तुत कर सकेंगे।
जनगणना का डेटा सरकारी मंत्रालयों को सेंसस-एज़-ए-सर्विस (CaaS) मॉडल के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा, जो सुनिश्चित करेगा कि जानकारी स्वच्छ, मशीन-पठनीय और कार्यान्वयन योग्य प्रारूप में प्रदान की जाए।
स्वतंत्रता के बाद पहली बार होगी जाति गणना
एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने 2027 की जनगणना में जाति गणना को शामिल करने की स्वीकृति पहले ही दे दी है। जाति संबंधी आंकड़े गणना के दौरान इलेक्ट्रॉनिक रूप से दर्ज किए जाएंगे। यह स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात पहला अवसर होगा जब दशकीय जनगणना के अंतर्गत जाति का विवरण एकत्रित किया जा रहा है।
व्यापक जनजागरूकता अभियान और कार्यबल तैनाती
अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए, जनगणना 2027 को एक केंद्रीकृत और व्यापक राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान का समर्थन प्राप्त होगा। यह अभियान समावेशिता, अंतिम छोर तक पहुंच और क्षेत्रीय कार्यों के समर्थन पर केंद्रित होगा। उद्देश्य समन्वित संचार प्रयासों के माध्यम से सटीक, आधिकारिक और समयबद्ध सूचना प्रदान करना है।
लगभग 30 लाख क्षेत्रीय कार्यकर्ता तैनात किए जाएंगे, जिनमें गणनाकर्ता, पर्यवेक्षक, मास्टर प्रशिक्षक और जिला एवं राज्य स्तर के अधिकारी शामिल होंगे। अधिकांश गणनाकर्ता सरकारी स्कूल शिक्षक होंगे, जो अपनी नियमित जिम्मेदारियों के साथ-साथ जनगणना कार्य निष्पादित करेंगे। इस विशाल अभियान में शामिल सभी क्षेत्रीय कर्मचारियों को मानदेय का भुगतान किया जाएगा।
रोजगार और कौशल विकास पर प्रभाव
जनगणना से 1.02 करोड़ मानव-दिवसों का रोजगार सृजित होने की संभावना है। इसके अतिरिक्त, 18,600 से अधिक तकनीकी कर्मियों को लगभग 550 दिनों तक डिजिटल संचालन, डेटा प्रबंधन और निगरानी में सहायता के लिए तैनात किया जाएगा। सरकार के अनुसार, यह क्षमता निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देगा और शामिल व्यक्तियों के लिए भविष्य में बेहतर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएगा।
निष्कर्ष:
यह जनगणना न केवल जनसांख्यिकीय आंकड़े एकत्रित करने का एक अभ्यास है, बल्कि यह भारत के डिजिटल परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। जाति गणना का समावेश सामाजिक न्याय और नीति निर्माण के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेगा। तकनीकी उन्नति के साथ-साथ रोजगार सृजन और कौशल विकास पर इसके सकारात्मक प्रभाव इस अभियान को और अधिक महत्वपूर्ण बनाते हैं।
