केंद्रीय कैबिनेट ने मनरेगा का नाम बदला, अब ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ होगी नई पहचान

केंद्र की मोदी सरकार ने शुक्रवार को एक अहम फैसला लेते हुए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) का नामकरण बदलने का निर्णय लिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस योजना को अब ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ नाम देने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। न्यूज एजेंसी PTI द्वारा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार ने इस बिल को मंजूरी दे दी है।

 

इस फैसले के साथ ही एक और महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। अब तक जहां ग्रामीण परिवारों को सालाना 100 दिनों के रोजगार की गारंटी मिलती थी, वहीं अब इस अवधि को बढ़ाकर 125 दिन कर दिया जाएगा। यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को और मजबूत करने की दिशा में उठाया गया है।

MNREGA

क्या है यह योजना और कैसे करती है काम

यह योजना भारत सरकार की एक विशेष पहल है जिसे वर्ष 2005 में पूरे देश में लागू किया गया था। इसका प्राथमिक उद्देश्य ग्रामीण परिवारों को आजीविका की सुरक्षा प्रदान करना है। योजना के अंतर्गत प्रत्येक ऐसे परिवार को एक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 100 दिनों के वेतन युक्त कार्य की गारंटी दी जाती है, जिसके वयस्क सदस्य अकुशल श्रम कार्य करने के लिए स्वेच्छा से तैयार होते हैं।

 

इस कार्यक्रम के तहत 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी ग्रामीण नागरिक आवेदन कर सकता है। योजना में सड़क निर्माण, तालाब खुदाई, नहर विकास, खेतों की मेड़बंदी, और जल संरक्षण जैसे विभिन्न कार्य शामिल हैं। रोजगार देना सरकार की कानूनी जिम्मेदारी है और मजदूरी की राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते या डाकघर खाते में ट्रांसफर की जाती है।

 

योजना में एक खास प्रावधान यह है कि यदि आवेदन के 15 दिनों के भीतर काम नहीं मिलता, तो बेरोजगारी भत्ता देने की व्यवस्था है। इसके अलावा, कार्यक्रम में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए यह अनिवार्य किया गया है कि कम से कम एक-तिहाई कामगार महिलाएं हों। सोशल ऑडिट के माध्यम से कार्यों और भुगतान की निगरानी भी की जाती है।

 

कांग्रेस नेताओं ने उठाए सवाल

वायनाड से कांग्रेस की सांसद प्रियंका गांधी ने इस निर्णय पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें नाम परिवर्तन के पीछे का तर्क समझ नहीं आता। उन्होंने इसे फिजूलखर्ची बताते हुए कहा कि यह महात्मा गांधी का नाम है और जब इसे बदला जाता है, तो सरकारी संसाधनों का पुनः व्यय होता है। कार्यालयों से लेकर स्टेशनरी तक, सभी जगह नाम परिवर्तन की आवश्यकता होगी, जो एक महंगी प्रक्रिया है।

 

कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत ने एक वीडियो साझा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनरेगा का नाम बदलकर पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार स्कीम रख दिया है। उन्होंने याद दिलाया कि मोदी जी पहले इस योजना को कांग्रेस की असफलताओं का प्रतीक बताते थे, लेकिन वास्तविकता यह है कि यह योजना ग्रामीण भारत के लिए संजीवनी साबित हुई है।

 

क्या यह पहली बार हुआ है?

कांग्रेस का दावा है कि पिछले 11 वर्षों में मोदी सरकार ने UPA शासनकाल की 32 योजनाओं के नाम बदले हैं। सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया पर उन योजनाओं की सूची साझा की जिन्हें कांग्रेस ने प्रारंभ किया था और बाद में उनके नाम परिवर्तित कर दिए गए।

 

इन योजनाओं में निर्मल भारत अभियान को स्वच्छ भारत मिशन, इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना को प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना, राजीव आवास योजना को सरदार पटेल नेशनल मिशन, स्वावलंबन योजना को अटल पेंशन योजना, इंदिरा आवास योजना को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना जैसे कई नाम शामिल हैं। इसके अलावा बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट अकाउंट्स को जन धन अकाउंट्स, जन औषधि योजना को प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना में बदला गया।

 

विपक्ष ने कहा – ध्यान भटकाने की कोशिश

शिवसेना (UBT) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस फैसले को फ्रस्ट्रेशन का नतीजा बताया। उन्होंने कहा कि यह जनता का ध्यान भटकाने का एक और प्रयास है। उन्होंने वंदे मातरम पर हुई चर्चा का उल्लेख करते हुए कहा कि जनता को अब इतिहास के वास्तविक संस्करण और सोशल मीडिया संस्करण में अंतर समझ आ गया है।

 

उन्होंने कहा कि जो लोग सोशल मीडिया पर प्रचारित सूचनाओं पर विश्वास करते हैं, वे गांधी परिवार से नाराज हो सकते हैं, लेकिन जो लोग वास्तविक इतिहास जानते हैं, वे गांधी परिवार के योगदान का हमेशा सम्मान करेंगे।

 

आगे क्या होगा

अब संसद में इस बिल को पारित कराया जाएगा। एक बार कानून बन जाने के बाद, योजना का नया नाम आधिकारिक रूप से लागू हो जाएगा और कार्य दिवसों की संख्या भी 125 दिन हो जाएगी। यह बदलाव ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

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