उन्नाव रेप केस: कुलदीप सेंगर को मिली बेल, पीड़िता का धरना और विरोध

उन्नाव बलात्कार प्रकरण में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली उच्च न्यायालय ने जमानत प्रदान कर दी है। न्यायालय ने चार शर्तों के साथ कुलदीप सेंगर को जमानत स्वीकृत की है। हालांकि, फिलहाल कुलदीप सिंह सेंगर जेल में ही बने रहेंगे, क्योंकि बलात्कार पीड़िता के पिता की हत्या के प्रकरण में भी उन्हें 10 वर्ष की सजा मिली हुई है। इस मामले में उनकी जमानत अर्जी पर 28 दिसंबर को निर्णय आना निर्धारित है।

 

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने सेंगर की सजा को अपील पर सुनवाई समाप्त होने तक निलंबित कर दिया है। सेंगर ने अपनी सजा के विरुद्ध अपील दायर की थी।

Kuldeep Sengar granted bail

जमानत की शर्तें और प्रतिबंध

न्यायालय ने कुलदीप सिंह सेंगर को 15 लाख रुपए के व्यक्तिगत मुचलके पर सशर्त रिहाई का आदेश जारी किया है। साथ ही चार महत्वपूर्ण शर्तें भी लगाई गई हैं:

 

  1. दूरी बनाए रखना: पीड़िता से 5 किलोमीटर की दूरी बनाए रखनी होगी
  2. नियमित रिपोर्टिंग: प्रत्येक सोमवार को पुलिस को रिपोर्ट करना अनिवार्य होगा
  3. पासपोर्ट जमा करना: पासपोर्ट संबंधित प्राधिकरण के पास जमा करवाना होगा, ताकि देश छोड़कर पलायन न कर सकें
  4. शर्त उल्लंघन पर कार्रवाई: एक भी शर्त का उल्लंघन करने पर जमानत तत्काल रद्द कर दी जाएगी

 

इंडिया गेट पर धरना और पुलिस कार्रवाई

उच्च न्यायालय के इस निर्णय के विरुद्ध बलात्कार पीड़िता, उसकी माता और सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना मंगलवार की संध्या इंडिया गेट के समक्ष धरने पर बैठ गईं। आधी रात को पुलिस इंडिया गेट पहुंच गई और उन्हें वहां से हटने के लिए कहा। इस पर नोकझोंक और तर्क-वितर्क हुआ। अंततः तीनों को बलपूर्वक इंडिया गेट से हटा दिया गया। महिला पुलिसकर्मियों ने पीड़िता और उसकी माता को उठाकर अपने साथ ले गईं।

 

पुलिस तीनों को कहां ले गई, इसका स्पष्ट पता नहीं चल सका। सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना ने पुलिस पर गंभीर सवाल उठाए हैं। X (पूर्व में ट्विटर) पर उन्होंने लिखा- “एक सामूहिक बलात्कार पीड़िता के साथ ऐसा व्यवहार उचित है? उसकी यही गलती है कि न्याय की मांग कर रही है? ये कैसा न्याय है?”

 

पीड़िता का दर्दभरा बयान: “उसके लोग मार देंगे”

बलात्कार पीड़िता ने भावुक होते हुए कहा- “देश की बेटियां कैसे सुरक्षित रहेंगी, यदि बलात्कार के आरोपियों को बरी कर दिया जाएगा। आज मैं उच्च न्यायालय गई थी। आज निर्णय था। मुझे उस निर्णय को सुनकर अत्यंत दुख हुआ। मन में विचार आया कि मैं आत्महत्या कर लूं। मेरे दो मासूम बच्चे हैं, पति हैं, मेरा परिवार है, मेरा भाई है। इन सबके बारे में सोचकर लगा कि यदि मैं नहीं रहूंगी तो मेरा परिवार असुरक्षित हो जाएगा। मेरे परिवार के पास सुरक्षा भी नहीं है।”

 

उसने आगे कहा, “पहले मेरे चाचा की जमानत अस्वीकृत हो गई। इसके पश्चात मेरे परिवार की, मेरे समर्थकों की, मेरे जमानतदारों की सुरक्षा हटवा दी गई। इसके बाद सारी बहस संपन्न हुई। अब 3 महीने पश्चात निर्णय आ रहा है। बहस होने के 2-3 दिन बाद निर्णय होता तो सभी सुनते। उसे जमानत मिल गई है।”

 

पीड़िता ने अपना दर्द व्यक्त करते हुए कहा, “एक बेटी के साथ बलात्कार होता है, उसके पिता को मार दिया जाता है। उसके परिवार को दुर्घटना करवाई जाती है, मेरी दुर्घटना करवाई जाती है। सबको समाप्त कर दिया जाता है। मैं मृत्यु से संघर्ष कर बाहर आई हूं। सारा समझौता करके कुलदीप सेंगर को उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई। मेरा परिवार यह सब कैसे सहेगा। वह मेरे परिवार के 5 किलोमीटर दूर रहेगा। उनके लोग तो दूर नहीं हैं, वे तो आकर मार देंगे। उनके लोग तो सभी बाहर हैं।”

 

कार्यकर्ता योगिता भयाना का आरोप: चुनावी राजनीति

सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना ने कड़े शब्दों में कहा- “बच्ची के साथ अन्याय हुआ है। केवल बच्ची के साथ ही नहीं, जो भी बेटियां न्याय की आशा करती हैं, उनके साथ अन्याय हुआ है। इस प्रकरण में इससे भयावह कुछ नहीं हो सकता कि आप एक छोटी बच्ची के साथ बलात्कार करते हो, फिर उसका सामूहिक बलात्कार करते हो। इसके पश्चात उसके पिता को हिरासत में मरवा दो। इसके बाद उसकी बुआ को मरवा दो, मौसी को मरवा दो और वकील को मरवा दो।”

 

योगिता ने आगे कहा, “पूरे परिवार को मरवा दिया गया और उसके बाद इस लड़की की भी दुर्घटना करवाई गई। उसकी स्थिति अत्यंत गंभीर थी। उसे 120 से अधिक टांके लगे थे। वह 6 महीने अस्पताल में रही। 7 हड्डियां टूट गई थीं।”

 

“ऐसे में वह जीवित है और न्याय की आशा करती है, वह अपने आप में मिसाल है। लेकिन हमें न्याय नहीं मिलता है। इसी को लेकर हम यहां इंडिया गेट पर बैठे थे। इसके बाद पुलिस हम लोगों को खींचकर यहां से हटा देती है। पहली बात तो न्याय मिलता नहीं और यदि न्याय मांगो तो डंडे मिलते हैं।”

 

योगिता ने चुनावी राजनीति का आरोप लगाते हुए कहा, “हमारे वकील से बैठक हुई है। हम आगे की प्रक्रिया देख रहे हैं, लेकिन हमें न्याय व्यवस्था पर विश्वास नहीं है। क्योंकि उत्तर प्रदेश में चुनाव भी आने वाले हैं तो यह हमें सोची-समझी साजिश प्रतीत हो रही है। चुनाव जीतने के लिए उसे बाहर निकाला जा रहा है। पीड़िता की जान को खतरा है। यह देश की प्रतिष्ठा और सम्मान पर कितना बड़ा धब्बा है कि एक बलात्कारी को छोड़ दिया, क्योंकि आपको चुनाव की चिंता है।”

 

पीड़िता की बहन और निर्भया की मां की प्रतिक्रिया

उच्च न्यायालय के निर्णय से पीड़िता का परिवार टूट-सा गया है। परिवार के सदस्यों का कहना है कि उन्हें न तो राहत मिली है और न ही न्याय का एहसास है।

 

पीड़िता की बड़ी बहन ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, “न्यायालय को हमारे परिवार का दर्द नहीं दिखा। हमारे परिवार में एक-एक करके लोग समाप्त होते गए। यदि उन्हें बाहर निकाल दिया गया तो हमारी जान को खतरा है। अब हम पुनः लगातार भय के साए में जीने को विवश होंगे।”

 

दिल्ली सामूहिक बलात्कार पीड़िता निर्भया की माता आशा देवी ने कहा- “यह एक नया नियम बनाया जा रहा है, ऐसा नहीं होना चाहिए। आप 500 किलोमीटर दूर हों या घर पर, इससे कोई अंतर नहीं पड़ता। अंतर इससे पड़ता है कि आपने अपराध किया है और आपको सजा मिली है। न्यायालय को पीड़ित और उसके साथ जो हुआ, उसे ध्यान में रखते हुए इस पर निष्पक्ष सुनवाई करनी चाहिए।”

 

उन्होंने आगे कहा, “बिल्कुल भी जमानत नहीं मिलनी चाहिए। उस परिवार को अभी भी खतरा है। कई बार ऐसा हुआ है कि निचली अदालत और उच्च न्यायालय ने दोषी को सजा दी है, लेकिन फिर उन्हें सर्वोच्च न्यायालय से राहत मिल गई। न्यायालय स्वयं ही मजाक बना रहा है कि ऐसा निर्णय कैसे लिया जा सकता है।”

 

कुलदीप सेंगर के परिवार की खुशी

दूसरी ओर, दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय पर कुलदीप सेंगर की मौसी ने कहा- “मेरा भतीजा निर्दोष है। उसे झूठे मामले में फंसाया गया था। दिल्ली से खबर मिली है कि उसकी सजा निलंबित कर दी गई है। गांव में खुशी की लहर है, लोग मिलने आ रहे हैं, फोन आ रहे हैं। हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हमारा बेटा शीघ्र हमारे सामने आए। वह निर्दोष था, निर्दोष है और निर्दोष रहेगा।”

 

मौसी ने यह भी कहा, “राजनीतिक षड्यंत्र में मेरा भतीजा फंसा था। आज भी गांव का कोई भी व्यक्ति यह मानने को तैयार नहीं कि कुलदीप सिंह सेंगर ऐसा अपराध कर सकते हैं।”

 

मामले की पृष्ठभूमि: 17 वर्षीय से बलात्कार

उन्नाव में कुलदीप सेंगर और उसके सहयोगियों ने 2017 में एक नाबालिग लड़की का अपहरण कर बलात्कार किया था। इस मामले की जांच CBI ने की थी। दिल्ली की तीस हजारी न्यायालय ने दोषी कुलदीप सिंह सेंगर को 20 दिसंबर 2019 को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए उसे मृत्यु तक जेल में रखने के आदेश दिए थे। सेंगर पर 25 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया गया था। कुलदीप सेंगर की विधानसभा सदस्यता भी रद्द कर दी गई थी और भाजपा ने उसे पार्टी से निष्कासित कर दिया था।

 

सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप और ट्रायल

2017 में उन्नाव बलात्कार प्रकरण देशभर में अत्यधिक चर्चित रहा था। अगस्त 2019 में सर्वोच्च न्यायालय ने उन्नाव बलात्कार प्रकरण से संबंधित चार मामलों का ट्रायल दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था। आदेश दिया गया था कि इसे प्रतिदिन सुना जाए और 45 दिनों के भीतर पूर्ण किया जाए।

 

दिसंबर 2019 में ट्रायल न्यायालय ने कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सेंगर ने इस निर्णय को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

 

ट्रायल न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया था कि CBI पर्याप्त कदम उठाए, ताकि पीड़ित और उसके परिवार के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा की जा सके। इसमें परिवार की सहमति से पीड़ित के लिए आवास और पहचान परिवर्तन की व्यवस्थाएं शामिल थीं।

 

ट्रायल कोर्ट की सख्त टिप्पणी

न्यायालय ने सेंगर को अधिकतम सजा सुनाते हुए कहा था: “सेंगर के लिए कोई सहानुभूति नहीं है। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक लोक सेवक होने के नाते, सेंगर को लोगों का विश्वास प्राप्त था, जिसे उसने तोड़ा और दुराचार का एक ही कृत्य ऐसा करने के लिए पर्याप्त था।”

 

अदालत के निर्णय पर कुलदीप सेंगर न्यायाधीश के समक्ष गिड़गिड़ाने लगा था। उसने कहा था: “कृपया मुझे न्याय दें, मैं निर्दोष हूं। मुझे इस घटना की जानकारी तक नहीं थी। यदि मैंने कुछ गलत किया है तो मेरी आंखों में तेजाब डाल दें या फांसी पर लटका दें।”

 

42 महीनों में 4 मौतें: भयावह घटनाक्रम

इस मामले में 42 महीनों के दौरान चार मौतें हुई थीं:

  1. पीड़िता के पिता की मौत: 9 अप्रैल 2018 को जेल में पीड़िता के पिता की हालत बिगड़ती गई और उन्होंने जेल में ही दम तोड़ दिया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में शरीर पर 14 स्थानों पर चोट के निशान मिले थे।
  2. गवाह यूनुस की मौत: 18 अगस्त 2018 को बलात्कार मामले के मुख्य गवाह यूनुस की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।

3-4. दुर्घटना में चाची और मौसी की मौत: 28 जुलाई 2019 को रायबरेली के गुरुबख्शगंज थाना क्षेत्र में ट्रक और कार की टक्कर में पीड़िता की चाची और मौसी की मृत्यु हो गई। पीड़िता और उनके वकील गंभीर रूप से घायल हुए। पीड़िता को 120 से अधिक टांके लगे थे और 7 हड्डियां टूट गई थीं। वह 6 महीने अस्पताल में रही।

 

कुलदीप सेंगर का राजनीतिक सफर

कुलदीप सेंगर की गिनती उत्तर प्रदेश के दलबदलू नेताओं में होती है। चार बार लगातार विधायक रहा कुलदीप कभी चुनाव नहीं हारा। उसने उन्नाव जिले की अलग-अलग सीटों से तीन बार चुनाव जीता:

  • 2002: बसपा से उन्नाव सदर
  • 2007: सपा से बांगरमऊ
  • 2012: भगवंतनगर से
  • 2017: भाजपा से बांगरमऊ सीट

न्याय की लड़ाई जारी

यह मामला केवल कानूनी नहीं बल्कि मानवीय भी है। परिवार ने न्यायालय से मानवता के आधार पर सोचने और परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। प्रशासन भी स्थिति पर नजर बनाए हुए है, ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे और किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति उत्पन्न न हो।

 

यह प्रकरण न्याय प्रणाली, महिला सुरक्षा और राजनीतिक प्रभाव के बीच के जटिल संबंधों को उजागर करता है। पीड़िता और उसके परिवार की न्याय की लड़ाई अभी जारी है।