गाज़ा में अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल भेजने के लिए अमेरिका द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पेश किए गए नए प्रस्ताव का रूस, चीन और कुछ अरब देशों ने विरोध किया है। उनका कहना है कि क्षेत्र के अस्थायी प्रशासन के लिए प्रस्तावित बोर्ड अभी बना ही नहीं है और फिलिस्तीनी प्राधिकरण की संक्रमणकालीन भूमिका को भी इसमें जगह नहीं दी गई है, जिससे वे असहज हैं। चीन और रूस ने तो राष्ट्रपति ट्रंप की युद्धविराम योजना से इस पूरे बोर्ड को हटाने की मांग भी कर दी है।
पिछले हफ़्ते भेजा गया मसौदा प्रस्ताव:
अमेरिका ने पिछले हफ़्ते संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य देशों को एक मसौदा प्रस्ताव भेजा था। इसमें सुझाव दिया गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल को 2027 के अंत तक गाज़ा में सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जाए और वह उस अस्थायी शांति बोर्ड के साथ मिलकर काम करे, जो अभी तक बना नहीं है। अरब देशों और कुछ अन्य राष्ट्रों ने, जो इस बल में सैनिक भेजने में रुचि रखते हैं, कहा है कि ऐसा मजबूत अंतरराष्ट्रीय अधिदेश उनके लिए आवश्यक है।
ख़बरों के मुताबिक, रूस, चीन और अल्जीरिया ने मसौदे का विरोध किया, जबकि सुरक्षा परिषद के दो सदस्यों को छोड़कर बाकी सभी देशों ने इसमें संशोधन सुझाए हैं।
प्रस्ताव की भाषा में बदलाव की मांग:
अमेरिका के प्रस्ताव पर कई देशों की प्रतिक्रियाएँ दिखाती हैं कि अभी भी मसौदे की भाषा और कई बिंदुओं पर विस्तृत बातचीत चल रही है। लेकिन संक्रमणकालीन बोर्ड पर उठी आपत्तियाँ यह बताती हैं कि दो साल से ज्यादा चले युद्ध के बाद अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कई प्रभावशाली सदस्य देशों के बीच इस मुद्दे पर गहरा मतभेद बन गया है। एक राजनयिक के अनुसार, कुछ देशों का यह भी कहना है कि तेज़ी से कार्रवाई करने से शांति प्रक्रिया में चल रही प्रगति रुकनी नहीं चाहिए।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी प्रस्ताव को जल्दी पास करने की जरूरत पर ज़ोर दिया। कनाडा में जी-7 विदेश मंत्रियों की बैठक से लौटते समय उन्होंने पत्रकारों से कहा कि प्रस्ताव की भाषा पर अच्छी प्रगति हो रही है और उम्मीद है कि जल्द ही इस पर कदम उठाया जाएगा। उन्होंने कहा, “हम इस प्रक्रिया की गति खोना नहीं चाहते।”
अमेरिकी मसौदे में क्या है?
अमेरिका के नए मसौदे में गाज़ा को पूरी तरह से विसैन्यीकृत करने और गैर-राज्य सशस्त्र समूहों के हथियार हमेशा के लिए ख़त्म करने की बात कही गई है। ट्रंप की 20-चरणों वाली शांति योजना का सबसे बड़ा सवाल यह है कि हमास को कैसे निरस्त्र किया जाए, क्योंकि हमास इस प्रस्ताव को मानने को तैयार नहीं है।
मसौदे में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल सीमा क्षेत्रों की सुरक्षा में मदद करेगा, और एक प्रशिक्षित फ़िलिस्तीनी पुलिस बल के साथ मिलकर मानवीय सहायता के सुचारु वितरण को सुनिश्चित करेगा। इसके लिए मिस्र और इज़राइल के साथ करीबी समन्वय करने पर भी जोर दिया गया है। दस्तावेज़ में संयुक्त राष्ट्र, रेड क्रॉस और रेड क्रीसेंट के माध्यम से गाज़ा को पूरी सहायता बहाल करने पर बल दिया गया है, ताकि ज़रूरी सामान को कहीं और न भेजा जाए।
फिलिस्तीन को राज्य का दर्जा मिलने की संभावना:
मसौदे के अनुसार, अगर फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण में सुधार ईमानदारी से लागू होते हैं और गाज़ा का पुनर्निर्माण आगे बढ़ता है, तो फ़िलिस्तीनियों के आत्मनिर्णय और राज्य का दर्जा मिलने की परिस्थितियाँ बन सकती हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि अमेरिका इज़राइल और फ़िलिस्तीनियों के बीच बातचीत शुरू करेगा, ताकि भविष्य में शांतिपूर्ण और सुरक्षित सह-अस्तित्व के लिए एक राजनीतिक रास्ता तय किया जा सके।
विवाद क्यों हो रहा है?
विवाद की मुख्य वजह यह है कि कई देश गाज़ा से इज़राइली सेना की वापसी की समय-सीमा और एक स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राज्य के भविष्य को लेकर असहमत हैं। नए मसौदे में यह कहा गया है कि अमेरिका भविष्य में फ़िलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य का रास्ता देने की संभावना से इनकार नहीं कर रहा, लेकिन यह कोई पक्का वादा भी नहीं है।
सुरक्षा परिषद के देशों ने माँगा स्पष्टीकरण:
संयुक्त अरब अमीरात, जो अमेरिका का एक महत्वपूर्ण सहयोगी है, ने इस हफ़्ते साफ कहा कि उसे गाज़ा में प्रस्तावित स्थिरीकरण बल की कोई स्पष्ट योजना नहीं दिख रही है। इसलिए वह मौजूदा हालात में इसमें हिस्सा नहीं लेगा। इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू फ़िलिस्तीनी राज्य और फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण द्वारा गाज़ा के शासन का विरोध करते हैं, जबकि ट्रंप की योजना की भाषा फ़िलिस्तीनी राज्य की भूमिका को बढ़ावा देती दिखाई देती है।
सुरक्षा परिषद के कई अन्य सदस्यों ने भी शांति बोर्ड को लेकर और जानकारी मांगी है; जैसे कि इसमें कौन सदस्य होंगे और यह किस तरह काम करेगा। नए मसौदे में इस बोर्ड को लेकर कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है।
रूस ने भी पेश किया अपना मसौदा:
रूस ने गाज़ा पर संयुक्त राष्ट्र के लिए अपना अलग प्रस्ताव पेश किया है, जिससे अमेरिका के उस मसौदे को सीधी चुनौती मिलती है जो राष्ट्रपति ट्रंप की गाज़ा शांति योजना का समर्थन करता है।
संयुक्त राष्ट्र में रूस के मिशन ने सुरक्षा परिषद के सदस्यों को भेजे एक नोट में कहा कि उसका यह “प्रति-प्रस्ताव” अमेरिकी मसौदे से प्रेरित है। नोट में लिखा है कि उनका उद्देश्य सुरक्षा परिषद को ऐसा संतुलित और स्वीकार्य रास्ता तय करने में मदद करना है, जिससे गाज़ा में लड़ाई हमेशा के लिए खत्म हो सके और एक साझा एवं टिकाऊ समाधान बनाया जा सके।
7 अक्टूबर 2023 को हमास ने किया इज़राइल पर हमला:
7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इज़राइल पर अचानक हमला किया गया, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए और कई बंधक बनाए गए। इसके बाद इज़राइल ने गाज़ा में बड़े पैमाने पर हमले और जमीनी अभियान शुरू किए। युद्ध में अब तक 69,000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी मारे गए हैं, गाज़ा का बड़ा हिस्सा नष्ट हो चुका है और लगभग पूरी आबादी विस्थापित हो गई है। बार-बार हुए युद्धविराम टूटते रहे, जिससे मानवीय संकट और गहरा गया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दोनों पक्षों पर युद्ध अपराधों के आरोप लगे हैं और यह संघर्ष पूरे क्षेत्र में तनाव बढ़ाने के साथ वैश्विक राजनीति को भी प्रभावित कर रहा है। 7 अक्टूबर का दिन इज़राइल के इतिहास का सबसे घातक दिन माना जाता है।
निष्कर्ष:
अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल पर अमेरिकी प्रस्ताव का विरोध दिखाता है कि गाज़ा के प्रशासन और फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण की भूमिका पर गहरे मतभेद बने हुए हैं। प्रस्तावित अस्थायी बोर्ड की अस्पष्टता ने देशों की चिंताएँ बढ़ा दी हैं। ऐसे में स्पष्ट, सर्वमान्य और सभी पक्षों को शामिल करने वाला ढांचा ही गाज़ा में स्थायी शांति का आधार बन सकता है।
