अमेरिकी रिपोर्ट में 7-10 मई के संघर्ष में भारत पर पाकिस्तान की जीत का दावा: जबकि चीन ने किया अपने हथियारों का प्रचार-प्रसार, जानिए पूरी खबर..

US-चीन आर्थिक एवं सुरक्षा समीक्षा आयोग (USCC) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चले संघर्ष को चीन ने रणनीतिक रूप से अपने हित में इस्तेमाल किया। रिपोर्ट का दावा है कि चीन ने फर्जी सोशल मीडिया खातों के ज़रिए राफेल जेट पर गलत जानकारी फैलाकर अपने J-35 लड़ाकू विमान को बढ़ावा दिया। साथ ही रिपोर्ट में यह भी दावा है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू हुए इस छोटे लेकिन तीखे संघर्ष में पाकिस्तान को कुछ बढ़त मिली।

US report claims Pakistan victory over India in the May 7-10 conflict

रिपोर्ट की मुख्य बातें:

रिपोर्ट के अनुसार, मई 2025 में हुए भारत–पाकिस्तान संघर्ष ने दुनिया का ध्यान इसलिए खींचा क्योंकि पाकिस्तान की सेना बड़ी मात्रा में चीनी हथियारों पर निर्भर थी और उसे चीनी खुफिया जानकारी से भी मदद मिल रही थी। इस वजह से संघर्ष में चीन की अप्रत्यक्ष भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी गई।

 

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पहलगाम में हुए हमले को भारत ने आतंकवादी हमला माना, लेकिन अमेरिकी रिपोर्ट इसे अलग तरह से प्रस्तुत करती है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चली भिड़ंत “भारत द्वारा अपने विवादित जम्मू-कश्मीर इलाके में 26 नागरिकों की हत्या करने वाले एक घातक विद्रोही हमले की प्रतिक्रिया” के रूप में हुई। यानी रिपोर्ट ने इस घटना को पाकिस्तान समर्थित आतंकी हमले के बजाय एक स्थानीय विद्रोही घटना के रूप में पेश किया।

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USCC क्या है?

यूएस-चीन आर्थिक और सुरक्षा समीक्षा आयोग (USCC) अमेरिकी कांग्रेस द्वारा वर्ष 2000 में बनाया गया एक स्वतंत्र और दोनों दलों का संयुक्त आयोग है। इसका काम यह देखना और रिपोर्ट करना है कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार और आर्थिक संबंधों का अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा और अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ता है।

अपनी वार्षिक रिपोर्ट में आयोग तकनीक, व्यापार, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर 28 सिफारिशें देता है। रिपोर्ट यह भी जांचती है कि चीन किस तरह अपनी औद्योगिक नीतियों का इस्तेमाल करके उभरती प्रौद्योगिकियों में सबसे आगे रहने की कोशिश कर रहा है।

 

चीन ने कैसे फैलाया दुष्प्रचार?

अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने बड़ी चालाकी से फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स बनाकर गलत जानकारी फैलानी शुरू की। इन अकाउंट्स से AI और वीडियो गेम की मदद से तैयार की गई नकली तस्वीरें पोस्ट की गईं, जिनमें दिखाया गया कि चीन के हथियारों ने राफेल जैसे लड़ाकू विमानों को गिरा दिया है।

इन तस्वीरों का असली मकसद था राफेल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाना और दुनिया को यह विश्वास दिलाना कि चीन का J-35 लड़ाकू विमान ज्यादा आधुनिक और ताकतवर है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत-पाकिस्तान के संघर्ष को चीन ने एक “मौका” मानकर अपने हथियारों का प्रचार तेज कर दिया, ताकि वह वैश्विक हथियार बाज़ार में अपनी पकड़ बढ़ा सके।

 

चीन ने क्यों फैलाया दुष्प्रचार?

रिपोर्ट के मुताबिक, मई 2025 में भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष खत्म होने के बाद चीन ने अपना हथियार बाज़ार मजबूत करने के लिए दुष्प्रचार अभियान शुरू किया। चीन ने यह दावा किया कि सीमावर्ती देशों की झड़प में उसके हथियार बेहद प्रभावी साबित हुए। इसका फायदा उठाकर उसने अपनी हथियार बिक्री बढ़ाने की कोशिश की। रिपोर्ट के अनुसार, राफेल की खरीद को लेकर इंडोनेशिया पहले ही काफी आगे बढ़ चुका था, लेकिन चीन के दुष्प्रचार और दबाव के कारण वह सौदा रुक गया, जिससे चीन को क्षेत्र के और देशों की रक्षा खरीद में दखल देने का मौका मिल गया।

 

रिपोर्ट में पाक–चीन सैन्य अभ्यास का ज़िक्र:

अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत-पाकिस्तान संघर्ष से कुछ महीने पहले ही चीन और पाकिस्तान ने अपने सैन्य सहयोग को और मजबूत किया था। दोनों देशों ने तीन हफ्ते तक चलने वाले वॉरियर-VIII आतंकवाद-रोधी अभ्यास में हिस्सा लिया। इसके अलावा, नवंबर और दिसंबर 2024 में भी उनके बीच कई रक्षा सहयोग गतिविधियाँ हुईं, और फरवरी 2025 में चीनी नौसेना ने पाकिस्तान के बहुराष्ट्रीय अमन नौसैनिक अभ्यास में भाग लिया।

 

पाकिस्तान को चीन द्वारा प्राप्त हथियार:

अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार, 2019 से 2023 तक पाकिस्तान के कुल हथियार आयात का लगभग 82% चीन ने पूरा किया, और 7–10 मई के भारत–पाकिस्तान संघर्ष में पहली बार चीन की आधुनिक सैन्य प्रणालियों जैसे HQ-9 वायु रक्षा प्रणाली, PL-15 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और J-10 लड़ाकू विमान का असली युद्ध में इस्तेमाल हुआ, जिसे चीन ने अपने हथियारों के “वास्तविक क्षेत्र परीक्षण” के रूप में देखा।

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि जून 2025 में चीन ने पाकिस्तान को 40 J-35 पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान, KJ-500 एयरबोर्न अर्ली-वॉर्निंग विमान और बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली बेचने की पेशकश की। इसी दौरान, पाकिस्तान ने अपने 2025-2026 रक्षा बजट में 20% की बढ़ोतरी करने की घोषणा भी की थी।

 

कुछ महीने पहले फ्रांस ने भी किया था ऐसा दावा:

यह अमेरिकी रिपोर्ट ठीक उसी तरह के आरोपों को दोहराती है, जैसा फ्रांस कुछ महीने पहले लगा चुका है। फ्रांसीसी सेना और खुफिया एजेंसियों ने दावा किया था कि चीन जानबूझकर उनके राफेल लड़ाकू विमानों के खिलाफ दुष्प्रचार फैला रहा है।

एसोसिएटेड प्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, फ्रांस की खुफिया एजेंसियों ने पाया था कि कई देशों में मौजूद चीनी दूतावासों के रक्षा अताशे(attachés) राफेल की बिक्री को कमजोर करने की कोशिश कर रहे थे यानि चीन विभिन्न देशों को राफेल खरीदने से रोककर अपने लड़ाकू विमानों को आगे बढ़ाना चाहता था।

 

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी पर साधा निशाना:

20 नवंबर को किए गए अपने पोस्ट में रमेश ने कहा कि 800 पन्नों की इस रिपोर्ट के पन्ना 108 और 109 सबसे चौंकाने वाले हैं। इनमें पहलगाम के आतंकी हमले, जिसे भारत पाकिस्तान समर्थित आतंकियों की कार्रवाई मानता है, को रिपोर्ट में “विद्रोही हमला” बताया गया है। साथ ही चार दिन चले संघर्ष को लेकर यह दावा किया गया है कि पाकिस्तान को भारत पर सैन्य बढ़त मिली। उन्होंने USCC रिपोर्ट पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री मोदी की सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने इस रिपोर्ट को “आश्चर्यजनक और समझ से परे” बताया और मांग की कि भारत का विदेश मंत्रालय इस पर तुरंत आपत्ति दर्ज कराए।

भाजपा की ओर से अमित मालवीय ने दी प्रतिक्रिया:

अमेरिकी रिपोर्ट सामने आने के बाद भाजपा की ओर से अमित मालवीय ने बिना किसी का नाम लिए सवाल उठाया। उन्होंने एक पोस्ट में पूछा, “कौन था जो लगातार खोए हुए विमानों की संख्या पूछता रहा – जबकि भारतीय वायुसेना ने साफ कहा था कि उसके सभी विमान सुरक्षित हैं? संघर्ष के दौरान ऐसे संचालन संबंधी विवरण मांगना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा होता है।”

 

ऑपरेशन सिंदूर के बारे में:  

पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे, की हत्या के बाद भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। इस अभियान का उद्देश्य पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद आतंकी ढाँचों को नष्ट करना था। भारत ने जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षण शिविरों सहित कई ठिकानों पर निशाना साधा और 100 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया। यह लड़ाई 7 मई से 10 मई तक चली और अंत में एक युद्धविराम के साथ सीमापार झड़पें थम गईं।

 

निष्कर्ष:

USCC की रिपोर्ट दिखाती है कि मई 2025 का भारत–पाकिस्तान संघर्ष चीन के लिए एक रणनीतिक अवसर बन गया। चीन ने दुष्प्रचार के जरिए अपने J-35 को बढ़ावा दिया और इस पूरे घटनाक्रम को हथियार बाज़ार में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए इस्तेमाल किया।