अमेरिका स्थित हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग फर्म Jane Street ने भारतीय बाजार नियामक सेबी (Securities and Exchange Board of India) के खिलाफ मामला दायर किया है। सेबी ने Jane Street पर भारतीय शेयर बाजार में मार्केट मैनिपुलेशन (Market Manipulation) करने का आरोप लगाया था।
कंपनी ने यह अपील Securities Appellate Tribunal (SAT) में दाखिल की है, जो सेबी के फैसलों के खिलाफ पहला अपीलीय मंच है। इस अपील की सुनवाई 8 सितंबर को निर्धारित की गई है।

Jane Street ने SEBI पर लगाया आरोप:
अमेरिका स्थित ट्रेडिंग फर्म Jane Street ने SEBI के खिलाफ SAT में अपील दायर की है। कंपनी का आरोप है कि सेबी उन्हें वह डेटा और दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं करा रहा, जो मार्केट मैनिपुलेशन के आरोपों का जवाब देने के लिए जरूरी हैं।
सूत्रों के मुताबिक, Jane Street ने अपनी अपील में SAT से अनुरोध किया है कि सेबी को निर्देश दिया जाए कि वह कंपनी को सभी आवश्यक दस्तावेज और डेटा उपलब्ध कराए, ताकि वे अपने बचाव में सही तरीके से जवाब दे सकें।
Jane Street और SEBI विवाद: पूरा मामला
3 जुलाई 2025 को सेबी (SEBI) ने अमेरिकी ट्रेडिंग फर्म Jane Street पर भारतीय शेयर बाजार में बैंक निफ्टी और निफ्टी इंडेक्स में हेरफेर करने का आरोप लगाया। सेबी का कहना था कि जेन स्ट्रीट ने निफ्टी 50 और बैंक निफ्टी में हेराफेरी की, जिससे उसे भारी मुनाफा हुआ।
इसके चलते सेबी ने कंपनी को बाजार से अस्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया और उसके 48.4 अरब रुपये (लगभग 567 मिलियन डॉलर) जब्त करने का आदेश दिया, जिसे सेबी ने “अवैध लाभ” बताया। सेबी का दावा है कि Jane Street ने डेरिवेटिव्स मार्केट में बड़े पैमाने पर ट्रेडिंग कर इंडेक्स की कीमतों को प्रभावित किया, जिससे छोटे निवेशकों को नुकसान हुआ।
Jane Street ने ऑप्शंस ट्रेडिंग से कमाया 44,358 करोड़ रुपये का मुनाफा:
सेबी का आरोप है की अमेरिका स्थित ट्रेडिंग फर्म Jane Street ने ऑप्शंस ट्रेडिंग के जरिए 44,358 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया, जो कंपनी के कुल प्रॉफिट में बड़ी हिस्सेदारी रखता है। हालांकि, फर्म को स्टॉक फ्यूचर्स में 7,208 करोड़ रुपये, इंडेक्स फ्यूचर्स में 191 करोड़ रुपये, और कैश मार्केट में 288 करोड़ रुपये का नुकसान भी हुआ। इन घाटों को घटाने के बाद Jane Street का कुल प्रॉफिट 36,671 करोड़ रुपये रहा।
जेन स्ट्रीट ने हेराफेरी के आरोपों को गलत बताया था
वहीं, Jane Street ने आरोपों को खारिज किया है और कहा कि उनकी ट्रेडिंग रणनीति केवल “बेसिक इंडेक्स आर्बिट्राज” थी, जो पूरी तरह से वैध है। कंपनी ने सेबी के आरोपों को “अत्यधिक भड़काऊ” बताया और कहा कि वह कानूनी रास्ता अपनाकर इसका जवाब दे रही है।
सेबी का आरोप है कि Jane Street ने बैंक निफ्टी इंडेक्स के शेयर और फ्यूचर्स में सुबह बड़े पैमाने पर खरीदारी की, जिससे इंडेक्स की कीमतें बढ़ीं। दिन के अंत में इन शेयरों को बेचकर इंडेक्स को नीचे लाया गया और ऑप्शंस मार्केट में बड़े मुनाफे कमाए गए। सेबी ने इसे “पंप-एंड-डंप” रणनीति करार दिया, जिससे बाजार की निष्पक्षता प्रभावित हुई।
आगे क्या हो सकता है?
Jane Street ने Securities Appellate Tribunal (SAT) से मांग की है कि सेबी को निर्देश दिया जाए कि वह कंपनी के बचाव के लिए जरूरी डॉक्युमेंट्स और डेटा साझा करे। इस मामले का नतीजा न केवल Jane Street के लिए महत्वपूर्ण होगा, बल्कि यह भारत के डेरिवेटिव्स मार्केट और विदेशी निवेशकों के लिए नियामक माहौल पर भी असर डाल सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि SAT का फैसला भारत में हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग और विदेशी निवेशकों के लिए नियमों की स्पष्टता और सुरक्षा के दृष्टिकोण से अहम होगा।
सिक्योरिटीज अपील ट्रिब्यूनल (SAT) क्या है?
Securities Appellate Tribunal (SAT) एक क़ानूनी निकाय है, जिसे Securities and Exchange Board of India Act, 1992 के तहत स्थापित किया गया है।
यह एक अर्ध-न्यायिक संस्था है, जिसका मुख्य उद्देश्य SEBI या अधिनियम के तहत किसी नियुक्त अधिकारी द्वारा दिए गए आदेशों के खिलाफ अपील सुनना और निपटाना है।
SAT का क्षेत्राधिकार पूरे भारत में है और इसका संचालन मुंबई से होता है। SAT इन संस्थाओं के आदेशों के खिलाफ भी अपील सुनता है:
- भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा जारी आदेश
- पेंशन निधि नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) द्वारा जारी आदेश
इन अपीलों को कोई भी व्यक्ति दाखिल कर सकता है, जो SEBI के फैसलों से प्रभावित हो, जिसमें बाजार प्रतिभागी, सूचीबद्ध कंपनियां, मध्यस्थ संस्थाएं या निवेशक शामिल हैं।
सिक्योरिटीज अपील ट्रिब्यूनल (SAT) के प्रमुख अधिकार–
- अपील और न्यायिक समीक्षा: SAT SEBI, IRDAI और PFRDAद्वारा जारी आदेशों के खिलाफ अपील सुनता है।
- इसे यह अधिकार प्राप्त है कि वह निचली नियामक संस्थाओं के आदेशों कोस्वीकृत, संशोधित या रद्द कर सकता है।
- SAT यह सुनिश्चित करता है कि नियामक संस्थाओं की कार्रवाईकानून के अनुरूप हो और सभी प्रक्रियाओं में निष्पक्षता बरती गई हो।
- सिविल कोर्ट जैसे अधिकार: SAT के पाससिविल प्रक्रिया संहिता के तहत सिविल कोर्ट जैसी शक्तियांहोती हैं।
- यह गवाहों को तलब करने, उनकीशपथ पर पूछताछ करने, दस्तावेज़ों की खोज और प्रस्तुति कराने और शपथपत्रों पर साक्ष्य स्वीकार करने का अधिकार रखता है।
- SAT गवाहों या दस्तावेजों की जाँच के लिए आयोगभी जारी कर सकता है।
- साथ ही, यहअपने ही निर्णयों की समीक्षा, डिफ़ॉल्ट के आधार पर आवेदन खारिज करने या बिना विरोधी पक्ष के (ex parte) मामले तय करने का भी अधिकार रखता है।
- अंतरिम राहत: आपातकालीन मामलों में, SAT अस्थायी आदेशजारी कर सकता है ताकि सुनवाई के दौरानअपरिवर्तनीय नुकसान से बचा जा सके।
- इसमेंजुर्माने या अन्य नियामक कार्रवाई को अस्थायी रूप से स्थगित करना भी शामिल हो सकता है।
Jane Street क्या है?
Jane Street एक वैश्विक ट्रेडिंग फर्म है, जो क्वांटिटेटिव स्ट्रेटेजीज, हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग और अपने विशेष एल्गोरिदम के लिए जानी जाती है। यह फर्म इक्विटी, ऑप्शंस और ETF के लेन-देन में सक्रिय है और डेटा-आधारित, ऑटोमेटेड मॉडल का उपयोग करके वैश्विक बाजारों में ट्रेडिंग करती है।
इसकी शुरुआत 2000 में न्यूयॉर्क में हुई थी। इसे कुछ ट्रेडर्स और टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स ने मिलकर शुरू किया था। आज इस कंपनी के 45 देशों में ऑफिस हैं और 2,600 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं।
निष्कर्ष:
अमेरिकी ट्रेडिंग कंपनी जेन स्ट्रीट द्वारा SEBI के खिलाफ SAT (सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल) में अपील दायर करना भारतीय पूंजी बाजार के नियामकीय ढांचे के लिए एक बड़ा घटनाक्रम है। यह मामला केवल शेयर बाजार में हेरफेर के आरोपों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विदेशी कंपनियों और भारतीय नियामकों के बीच पारदर्शिता, जवाबदेही और न्यायिक प्रक्रिया की कसौटी भी बनेगा। यदि SAT का फैसला जेन स्ट्रीट के पक्ष में आता है तो यह SEBI की जांच और प्रवर्तन तंत्र पर सवाल खड़े करेगा, वहीं अगर SEBI का पक्ष मजबूत रहा तो यह विदेशी निवेशकों को सख्त निगरानी का संदेश देगा।