वियतनाम: सांस्कृतिक, भौगोलिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से एक उभरता राष्ट्र

परिचय:
वियतनाम दक्षिण-पूर्व एशिया का एक आकर्षक, ऐतिहासिक और विविधताओं से परिपूर्ण राष्ट्र है, जिसे उसकी सांस्कृतिक समृद्धि, प्राचीन विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त है। आर्थिक प्रगति, रणनीतिक भौगोलिक स्थिति और पर्यटन क्षेत्र में तीव्र विकास के चलते, यह देश आज वैश्विक मंच पर एक प्रभावशाली भूमिका निभा रहा है।

भारत और वियतनाम के मध्य ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक संबंध लंबे समय से विद्यमान हैं। वियतनाम, भारत की एक्ट ईस्ट नीति” के अंतर्गत एक प्रमुख साझेदार है। व्यापार, रक्षा सहयोग, बौद्ध विरासत तथा क्षेत्रीय स्थिरता जैसे विविध आयामों में दोनों देशों का सहयोग सतत रूप से सुदृढ़ हो रहा है।

 

भूगोल एवं स्थान:

  • वियतनाम दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित एक लंबा और संकीर्ण आकार वाला देश है, जिसका आकार अंग्रेज़ी अक्षर ‘S’ के समान प्रतीत होता है।
  • यह इंडोचाइना प्रायद्वीप के पूर्वी छोर पर अवस्थित है।
  • सीमाएँ: उत्तर में चीन, पश्चिम में लाओस और कंबोडिया, जबकि पूर्व और दक्षिण में दक्षिण चीन सागर से घिरा हुआ है।
  • देश का सबसे संकीर्ण हिस्सा मात्र 48 किलोमीटर चौड़ा है।
  • प्रमुख भौगोलिक संरचनाओं में अन्नम पर्वत श्रृंखला (पश्चिम) और लगभग 1,600 किलोमीटर लंबा समुद्री तट (पूर्व) शामिल हैं।
  • दो प्रमुख नदियाँ – रेड रिवर (उत्तर) और मेकॉन्ग (दक्षिण) – समुद्र में विशाल डेल्टाओं के रूप में समाप्त होती हैं।
  • वियतनाम 8°24’ से 23°23’ उत्तरी अक्षांश और 102° से 110° पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है।
    • राजधानी: हनोई
    • क्षेत्रफल: 3,31,690 वर्ग किलोमीटर
    • जनसंख्या: 10.1 करोड़ (2024)
    • आधिकारिक भाषा: वियतनामी
    • मुद्रा: वियतनामी डोंग
    • औसत आयु प्रत्याशा: 74.59 वर्ष (2023)

     

    ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य:

    • वियतनाम पर 19वीं शताब्दी में फ्रांसीसी उपनिवेश का शासन था, और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान ने इस पर नियंत्रण कर लिया।
    • 1945 में, हो ची मिन्ह ने स्वतंत्रता की घोषणा की।
    • 1954 में फ्रांस की हार के पश्चात देश उत्तर और दक्षिण वियतनाम में विभाजित हो गया।
    • इसके बाद दो दशकों तक चला वियतनाम युद्ध, जिसमें अमेरिका ने दक्षिण वियतनाम का समर्थन किया।
    • 1975 में, उत्तर वियतनाम की विजय के साथ देश एकीकृत हो गया।
    • 1979 में, वियतनाम ने कंबोडिया में खमेर रूज शासन को हटाया, जिससे चीन के साथ सैन्य तनाव उत्पन्न हुआ।
    • 1986 में व्यापक आर्थिक सुधार नीतियाँ लागू हुई ।
    • 1995 में अमेरिका से संबंध सामान्य हुए और 2007 में WTO की सदस्यता प्राप्त हुई।
    • 2024 में एक $44 अरब के आर्थिक घोटाले ने देश को झकझोरा, जिसमें अरबपति ट्रुओंग मी लान को मृत्युदंड दिया गया।
    • इसके पश्चात वियतनाम ने प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधार, भ्रष्टाचार विरोधी अभियानों, तथा तकनीकी व ऊर्जा क्षेत्र में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास किए हैं।

    जलवायु:

    वियतनाम की जलवायु को दो प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है:

    1. उत्तरी वियतनाम (हाई वान दर्रे के उत्तर):
    • यहाँ आर्द्र उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु पाई जाती है।
    • चार स्पष्ट ऋतुएँ होती हैं: वसंत, ग्रीष्म, शरद और शीत
    • वर्ष भर पूर्वोत्तर और दक्षिण-पूर्व मानसून का प्रभाव बना रहता है।
    1. दक्षिणी वियतनाम (हाई वान दर्रे के दक्षिण):
    • यहाँ वर्ष भर गर्म और मध्यम तापमान रहता है, तथा दो ऋतुएँ – वर्षा और शुष्क – प्रमुख होती हैं। वार्षिक औसत तापमान 21°C से 27°C के मध्य होता है।
    • सर्दियों में, उत्तर के पहाड़ी क्षेत्रों में तापमान 0°C तक गिर सकता है और बर्फबारी संभव होती है। और यह औसत वार्षिक वर्षा 1,500–2,000 मिमी और आर्द्रता लगभग 80% रहती है।

     

    लोग, संस्कृति और पर्यटन

    वियतनाम की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा अब भी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है, विशेषकर देश के उत्तरी और दक्षिणी डेल्टा क्षेत्रों में, जहाँ कृषि आजीविका का प्रमुख आधार है। हालांकि, हाल के वर्षों में हनोई और हो ची मिन्ह सिटी जैसे प्रमुख शहरी केंद्रों की ओर तेज़ी से शहरी पलायन देखा गया है, जिससे शहरीकरण की दर में वृद्धि हुई है। यह बदलाव देश की आर्थिक संरचना और सामाजिक गतिशीलता में परिवर्तन का संकेत देता है।

    वियतनामी समाज की सांस्कृतिक पहचान अनेक परंपराओं, विश्वासों और बाहरी प्रभावों का मिश्रण है। पारंपरिक रूप से, यहां के लोग “तीन शिक्षाओं”  कन्फ्यूशियसवाद, ताओवाद और बौद्ध धर्म  से गहराई से प्रभावित हैं, जो उनके सामाजिक व्यवहार, नैतिक मूल्यों और जीवन के प्रति दृष्टिकोण को दिशा प्रदान करती हैं। यद्यपि वियतनाम एक समाजवादी राज्य है और यहां कोई आधिकारिक धर्म नहीं है, फिर भी नागरिकों को पूरी धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है और वे अपनी आस्था के अनुसार उपासना करने के लिए स्वतंत्र हैं। यही धार्मिक सहिष्णुता इसे एक बहुलतावादी सांस्कृतिक देश बनाती है।

    वियतनामी व्यंजन भी इसकी विविध सांस्कृतिक परंपराओं को दर्शाते हैं। यहाँ के भोजन में चीनी और थाई प्रभावों का समावेश स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। समुद्री भोजन, ताजे फल-सब्जियाँ, और जड़ी-बूटियों का उपयोग यहाँ की भोजन परंपरा को विशेष बनाता है। वहीं, खेल गतिविधियाँ भी यहाँ की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं — फुटबॉल, टेबल टेनिस, वॉलीबॉल और पारंपरिक मार्शल आर्ट देश के प्रमुख खेल हैं, जो युवा वर्ग में अत्यंत लोकप्रिय हैं।

     

    पर्यटन:

    पर्यटन की दृष्टि से वियतनाम ने हाल के वर्षों में असाधारण प्रगति की है। वियतनाम नेशनल अथॉरिटी ऑफ टूरिज्म (NAT) के अनुसार, 2 फरवरी 2025 तक टेट (लूनर न्यू ईयर) अवकाश के दौरान, देश की आठ प्रमुख पर्यटन स्थलों ने 1 ट्रिलियन वियतनामी डोंग (लगभग $39.5 अरब अमेरिकी डॉलर) से अधिक का राजस्व अर्जित किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में एक बड़ी छलांग है। इस वृद्धि का प्रमुख कारण विदेशी पर्यटकों की संख्या में 30% की बढ़ोतरी रहा।

    घूमने के लिए वियतनाम में कई अद्भुत स्थान हैं, जिनमें विशेष रूप से हनोई (राजधानी), हो ची मिन्ह सिटी (वाणिज्यिक केंद्र), हालोंग बे (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल), फोंग न्हा–के बैंग राष्ट्रीय उद्यान और होई एन जैसे ऐतिहासिक शहर शामिल हैं। ये स्थल न केवल प्राकृतिक सौंदर्य बल्कि सांस्कृतिक विरासत, स्थापत्य कला और परंपरागत जीवनशैली का भी समृद्ध परिचय कराते हैं।

     

    भारत-वियतनाम संबंध:

    भारत और वियतनाम के द्विपक्षीय संबंध ऐतिहासिक गहराई और राजनीतिक समर्थन की मजबूत नींव पर आधारित हैं। भारत ने वियतनाम की स्वतंत्रता के लिए उसके संघर्ष का समर्थन किया था और 1960 के दशक में वियतनाम में अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप का खुलकर विरोध किया था। अमेरिका के साथ युद्ध के बाद 1975 में जब वियतनाम एकीकृत हुआ, भारत उस प्रक्रिया को मान्यता देने वाला प्रारंभिक देशों में से एक था।

     

    रणनीतिक साझेदारी और द्विपक्षीय सहयोग

    भारत और वियतनाम के संबंधों को 2007 में “रणनीतिक साझेदारी” के स्तर पर और 2016 में “व्यापक रणनीतिक साझेदारी” (Comprehensive Strategic Partnership) के रूप में उन्नत किया गया। दोनों देशों के मौजूदा सहयोग की रूपरेखा शांति, समृद्धि और जनहित हेतु संयुक्त दृष्टिकोण 2020″ (Joint Vision for Peace, Prosperity and People 2020) द्वारा निर्धारित की जाती है।

     

    आर्थिक सहयोग

    • भारत और वियतनाम के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2023-24 में US$ 14.82 बिलियन तक पहुंच गया।
    • वियतनाम भारत का 23वां सबसे बड़ा वैश्विक व्यापार भागीदार है और आसियान देशों में 5वां सबसे बड़ा
    • यह व्यापार कृषि, वस्त्र, रसायन, मशीनरी, औषधि और समुद्री उत्पादों जैसे विविध क्षेत्रों में फैला है।

     

    रक्षा सहयोग

    भारत और वियतनाम के बीच रक्षा संबंध बहुआयामी और संस्थागत स्तर पर मजबूत हैं। इसमें सम्मिलित हैं:

    • रक्षा वार्ताएँ,
    • संयुक्त सैन्य अभ्यास जैसे – PASSEX (नौसेना अभ्यास), VINBAX (थल सेना अभ्यास), और MILAN (बहुपक्षीय अभ्यास),
    • क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण सहयोग, तथा भारतीय नौसेना और तटरक्षक जहाजों की वियतनामी बंदरगाहों पर नियमित यात्राएँ

    वर्ष 2022 में दोनों देशों ने 2030 तक के लिए “संयुक्त रक्षा साझेदारी दृष्टिकोण” (Joint Vision Statement) और आपसी लॉजिस्टिक समर्थन पर समझौता ज्ञापन” (MoU on Mutual Logistics Support) पर हस्ताक्षर किए।

     

    भारत के लिए वियतनाम का रणनीतिक महत्व

    1. भू-रणनीतिक स्थिति: वियतनाम का इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थित होना, इस क्षेत्र में सुरक्षित और स्थिर समुद्री व्यापार मार्गों की रक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
    2. चीन का विरोध:
      • भारत, चीन के लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश पर दावों का विरोध करता है।
      • वियतनाम भी दक्षिण चीन सागर में पैरासेल और स्प्रैटली द्वीपों पर चीन के एकपक्षीय दावों का विरोध करता रहा है। इस संदर्भ में वियतनाम, दक्षिण-पूर्व एशिया में चीन की आक्रामक नीतियों के विरुद्ध सबसे मुखर देशों में शामिल है।
    3. ऊर्जा सुरक्षा:
      • भारतीय कंपनियाँ वियतनाम के दक्षिण चीन सागर में तेल और गैस अन्वेषण परियोजनाओं में निवेश कर रही हैं।
      • यह क्षेत्र हाइड्रोकार्बन संसाधनों से समृद्ध है और वियतनाम से निरंतर आपूर्ति, भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक सिद्ध हो सकती है।
    4. एक्ट ईस्ट” नीति और इंडो-पैसिफिक दृष्टिकोण: वियतनाम, भारत की एक्ट ईस्ट नीति” का एक केंद्रीय भागीदार है और इंडो-पैसिफिक रणनीति में भी इसकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
    5. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर समर्थन: वियतनाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के विस्तारित संस्करण में पूर्ण समर्थन करता है, जो भारत के वैश्विक कूटनीतिक उद्देश्यों में सहायक है।

     

    निष्कर्ष: वियतनाम एक ऐसा देश है जो अपने ऐतिहासिक गहराई, सांस्कृतिक बहुलता, प्राकृतिक विविधता और आर्थिक विकास की गति के कारण आज वैश्विक मंच पर पहचान बना रहा है। इसकी रणनीतिक स्थिति, निरंतर आर्थिक सुधार, बढ़ता विदेशी निवेश, और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण की नीतियाँ इसे एक आधुनिक, समृद्ध और वैश्विक रूप से सम्मानित राष्ट्र के रूप में स्थापित कर रही हैं।