क्या है नामीबिया, इस देश की कहानी?

भूगोल और स्थान

नामीबिया अफ्रीका का एक अनोखा और विशाल देश है, जिसका क्षेत्रफल 824,292 वर्ग किलोमीटर है। यह दुनिया का 34वां सबसे बड़ा देश है और मंगोलिया के बाद सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाला देश है। इसका नाम नामीब रेगिस्तान से पड़ा है, जो अटलांटिक तट के साथ फैला है। यह देश अपनी अद्भुत भौगोलिक विविधता और वन्यजीव के लिए प्रसिद्ध है। नामीबिया में पाँच प्रमुख भौगोलिक क्षेत्र हैं: सेंट्रल पठार, नामीब रेगिस्तान, ग्रेट एस्कार्पमेंट, बुशवेल्ड और कालाहारी रेगिस्तान।

 

  • Capital: windhoek
  • Area: 825,615 sq km
  • Population: 2.8 million
  • Languages:  English, Afrikaans, German, Otjiherero, Khoekhoegowab, etc
  • Life expectancy: 59 years (men) 67 years (women)

इतिहास

  • नामीबिया का इतिहास प्राचीन जनजातियों जैसे सैन, डमारा और नामा से शुरू होता है। 14वीं सदी में बंटू लोग और 18वीं सदी में ओरलाम लोग यहां आए। 1880 के दशक में जर्मनी ने इसे उपनिवेश बनाया और 1904-07 में हेरेरो और नामा जनजातियों का नरसंहार किया। प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1915 में दक्षिण अफ्रीका ने इस पर कब्जा किया और 1960 में स्वापो संगठन ने स्वतंत्रता की लड़ाई शुरू की। 1990 में नामीबिया स्वतंत्र देश बना और सैम नुजोमा इसके पहले राष्ट्रपति बने। 2005 में भूमि सुधार की शुरुआत हुई ताकि भूमिहीन काले नामीबियनों को ज़मीन दी जा सके। 2022 में तेल भंडार की खोज ने देश की आर्थिक संभावनाओं को नई दिशा दी।

     

    जलवायु

    नामीबिया उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के दक्षिणी किनारे पर स्थित है. बंगेला धारा तट को ठंडा रखती है, जहां वर्षा बेहद कम होती है। केंद्रीय पठार और कालाहारी में दिन और रात के तापमान में बड़ा अंतर होता है। विंडहुक में गर्मियों में औसत तापमान 24°C और सर्दियों में 13°C रहता है। देश में आर्द्रता कम होती है और वर्षा क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होती है—दक्षिण-पश्चिम में लगभग 250 मिमी से लेकर उत्तर और पर्वतीय क्षेत्रों में 600 मिमी से अधिक। हालांकि, वर्षा अत्यंत अनिश्चित होती है और लंबे सूखे आम हैं। पर्वतीय और उत्तरी क्षेत्रों में भूजल वर्षा जितना ही महत्वपूर्ण है, लेकिन यह भी सीमित और अस्थिर है।

     

    लोग और संस्कृति

    नामीबिया की संस्कृति अफ्रीकी और यूरोपीय तत्वों का अनोखा मिश्रण है, जिसमें जर्मन उपनिवेशवाद का प्रभाव आज भी भाषा, वास्तुकला और खानपान में देखा जा सकता है। देश की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जहां पारंपरिक सांस्कृतिक विरासत आज भी जीवंत है। ओवाम्बो, हेररो, डमारा, नामा और सान जैसे विविध जनजातीय समूह नामीबिया की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं। हेररो महिलाओं की रंग-बिरंगी विक्टोरियन पोशाकें और सान लोगों की प्राचीन शैलचित्र सांस्कृतिक पहचान के प्रतीक हैं। राजधानी विंडहुक और अन्य शहरों में आज भी जर्मन स्थापत्य कला और परंपराओं की झलक मिलती है।

     

    खनिज संपदा के कारण नामीबिया की अहमियत:

    नामीबिया, खनिज संसाधनों से समृद्ध एक अफ्रीकी देश है, जो भारत के लिए भू-राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण बनता जा रहा है। यह देश यूरेनियम ऑक्साइड का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है, जो भारत के बढ़ते परमाणु ऊर्जा क्षेत्र के लिए जरूरी ईंधन है। इसके अलावा, नामीबिया तांबा, कोबाल्ट, लिथियम, दुर्लभ खनिज, तेल, जिंक और उच्च गुणवत्ता के हीरों का भी प्रमुख स्रोत है। वैश्विक स्तर पर क्लीन एनर्जी और बैटरी निर्माण की मांग बढ़ने के साथ, भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए नामीबिया एक रणनीतिक भागीदार बनकर उभरा है।

     

    भारत नामीबिया संबंध

    भारत और नामीबिया के संबंध ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ और विश्वास पर आधारित हैं। भारत ने 1946 में नामीबिया की स्वतंत्रता का समर्थन किया और SWAPO को हर संभव सहायता दी। स्वतंत्रता के बाद दोनों देशों ने उच्चायोग स्थापित किए और शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा व IT जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाया। 2022 में नामीबिया से लाए गए चीते द्विपक्षीय साझेदारी का अनूठा प्रतीक बने। कोविड-19 के दौरान सहायता, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और व्यापारिक संबंध इस मैत्री को और मजबूत बनाते हैं।

     

    भारत नामीबिया व्यापारिक संबंध और निवेश:

    2023-24 में भारत और नामीबिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 814 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें से बड़ा हिस्सा भारतीय निर्यात का था। भारत ने नामीबिया में खनन और खनिज संसाधनों से संबंधित क्षेत्रों में लगभग 800 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक भागीदारी का एक उदाहरण 2022 में देखा गया, जब नामीबिया से 8 चीते भारत के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में लाए गए। यह परियोजना न सिर्फ जैव विविधता संरक्षण में सहयोग का प्रतीक बनी, बल्कि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को भी नई दिशा दी।

     

    प्रधानमंत्री मोदी का नामीबिया दौरा

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुलाई 2025 की नामीबिया यात्रा लगभग तीन दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी, जिसने भारत-नामीबिया संबंधों को नई ऊंचाई दी। इस दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा, स्वास्थ्य, डिजिटल भुगतान, स्वच्छ ऊर्जा और उद्यमिता जैसे क्षेत्रों में अहम समझौते हुए। प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया और उन्होंने संसद को संबोधित कर साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और सहयोग को रेखांकित किया। उन्होंने सैम नुजोमा को श्रद्धांजलि दी और चीतों के पुनःप्रवेश में सहयोग के लिए नामीबिया का आभार जताया। यह यात्रा भारत-अफ्रीका साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित हुई।

     

    भविष्य की संभावनाएं और सहयोग के क्षेत्र:

    भारत और नामीबिया अब खनन, ऊर्जा, स्वास्थ्य, कृषि और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की संभावनाएं तलाश रहे हैं। इसके अलावा, भारत और साउदर्न अफ्रीकन कस्टम्स यूनियन (SACU) के बीच प्रस्तावित प्रिफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट (PTA) पर भी बातचीत जारी है, जिसमें नामीबिया की अहम भूमिका हो सकती है।

     

    निष्कर्ष:
    नामीबिया, भारत की ऊर्जा और खनिज जरूरतों को पूरा करने के लिए एक भरोसेमंद साझेदार बनता जा रहा है। व्यापारिक सहयोग, निवेश, राजनीतिक संपर्क और क्षेत्रीय समझौतों के माध्यम से दोनों देश अपने संबंधों को एक नए रणनीतिक स्तर पर ले जा रहे हैं, जिससे भारत की अफ्रीका नीति को भी मजबूती मिल रही है।