ड्रूज कौन हैं?: जिनके लिए इज़रायल ने सीरियाई सेना पर खोल दिया मोर्चा

हाल ही में ईरान और इज़राइल के बीच युद्ध की स्थिति बन गई थी, लेकिन अमेरिका की मध्यस्थता से बड़ा टकराव टल गया। अब इज़राइल ने सीरिया पर सीधे सैन्य कार्रवाई कर दी है, जिससे हालात फिर तनावपूर्ण हो गए हैं। इज़रायली वायु सेना ने अपने पड़ोसी देश सीरिया की राजधानी दमिश्क में हमला किया है।  इज़रायल ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में स्थित सीरियाई सेना के मुख्यालय को निशाना बनाकर हवाई हमला किया। यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब क्षेत्र में तनाव लगातार बढ़ रहा है, हालांकि ड्रूज समुदाय और सीरियाई अधिकारियों के बीच हाल ही में युद्धविराम की घोषणा की गई थी। युद्धविराम के बाद भी इज़रायल और सीरिया के बीच हालात शांत नहीं हैं। विश्लेषकों का मानना है कि दोनों देशों के बीच टकराव की संभावना फिर से बढ़ गई है। इज़रायल ने अपने हमले का औचित्य बताते हुए कहा कि यह कार्रवाई सीरिया में रहने वाले अल्पसंख्यक ड्रूज समुदाय की रक्षा के लिए की गई है।

 

ड्रूज समुदाय, जो सीरिया में एक अल्पसंख्यक धार्मिक समूह है, हाल के सप्ताहों में बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। यह समुदाय लगातार सरकारी बलों और सुन्नी बेदौइन जनजातियों के बीच चल रही हिंसक झड़पों के बीच फंस गया है। इज़रायल का दावा है कि उसका हमला इसी समुदाय को सुरक्षा देने की एक सैन्य रणनीति का हिस्सा था।

स्वेदा में ड्रूज और बेदौइन समुदाय के बीच हिंसा भड़की

सीरिया के दक्षिणी शहर स्वेदा में तनाव उस वक्त तेजी से बढ़ गया जब  बेदौइन समुदाय के कुछ लोगों ने एक ड्रूज व्यक्ति पर हमला कर लूटपाट की। इस घटना के बाद ड्रूज मिलिशिया और बेदौइन समूहों के बीच तीखी झड़पें शुरू हो गईं।

स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सीरियाई सरकार ने सैन्य बल तैनात किए, लेकिन इससे हालात और बिगड़ गए। ड्रूज मिलिशिया के नेताओं ने कहा कि उन्हें नई सरकार पर भरोसा नहीं है और उन्हें आशंका है कि सैनिक बेदौइन गुटों के पक्ष में कार्रवाई कर सकते हैं। इसी अविश्वास ने संघर्ष को और भड़का दिया

 

ड्रूज समुदाय की सुरक्षा के लिए इज़रायल का हस्तक्षेप

संघर्ष के बढ़ते दायरे को देखते हुए इज़रायल ने भी सैन्य कार्रवाई में हस्तक्षेप किया। इज़रायली वायु सेना ने स्वेदा और उसके आस-पास के क्षेत्रों में सीरियाई सेना के ठिकानों पर हवाई हमले किए।
इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई ड्रूज समुदाय की रक्षा के लिए की गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि इज़रायल और गोलान हाइट्स में बसे ड्रूज लोगों के साथ मजबूत संबंध हैं।

 

कौन हैं ड्रूज समुदाय

ड्रूज समुदाय सीरिया का एक प्राचीन धार्मिक और सांस्कृतिक अल्पसंख्यक समूह है, जो मुख्य रूप से ड्रूज धर्म को मानता है। यह धर्म 11वीं सदी में मिस्र के फातिमिद खलीफा अल-हाकिम बि-अम्र अल्लाह के काल में शुरू हुआ था। हालांकि इसे शिया इस्लाम से जुड़ा माना जाता है, लेकिन यह एक स्वतंत्र और गूढ़ (esoteric) धार्मिक परंपरा है, जिसमें कई दर्शन और आस्थाएं मिलती हैं।

 

ड्रूज धर्म की मान्यताएं और परंपराएं

ड्रूज धर्म एक एकेश्वरवादी (monotheistic) आस्था है, जो इस्लाम, ईसाई धर्म, ग्नॉस्टिसिज्म और प्राचीन ग्रीक दर्शन से प्रेरित है।

इस समुदाय में धार्मिक ग्रंथ और प्रथाएं गोपनीय रखी जाती हैं, और केवल उक्काल” नामक कुछ चुने हुए लोग ही गहरे धार्मिक ज्ञान तक पहुंच पाते हैं।
ड्रूज लोग पुनर्जन्म (reincarnation) में विश्वास करते हैं और न तो धर्म परिवर्तन स्वीकारते हैं और न ही अपने धर्म में नए सदस्यों को शामिल करते हैं।

 

ड्रूज कहां पाए जाते हैं?

ड्रूज समुदाय आज मुख्य रूप से सीरिया, लेबनान, इज़रायल और जॉर्डन में पाया जाता है।
सीरिया के दक्षिणी प्रांत स्वेदा में ड्रूज लोग बहुसंख्यक हैं। इसके अलावा गोलान हाइट्स जैसे सीमावर्ती इलाकों में भी इनकी बड़ी संख्या है।
गोलान हाइट्स में लगभग 20,000 से अधिक ड्रूज रहते हैं, जबकि पूरे सीरिया में इनकी संख्या लगभग 8 लाख मानी जाती है, जो कुल जनसंख्या का करीब 3% है।

इज़रायली ड्रूज समुदाय इज़रायल के अरब नागरिकों में एक धार्मिक-जातीय अल्पसंख्यक है। इनकी मुख्य भाषा अरबी है और इनकी संस्कृति में अरब पहचान गहराई से जुड़ी है।

 

इज़रायल में ड्रूजों की स्थिति और सैन्य सेवा

1948 के पहले तक ड्रूजों को इज़रायल में एक अलग धार्मिक समुदाय के रूप में मान्यता नहीं दी गई थी और वे भेदभाव का शिकार थे। लेकिन 1957 में इज़रायली सरकार ने उन्हें एक स्वतंत्र धार्मिक समुदाय का दर्जा दिया। आज यह समुदाय इज़रायली रक्षा बलों (IDF) में सेवा देता है, और यहूदियों और सर्कैसियनों के साथ यह एकमात्र समुदाय है, जिसके पुरुषों के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य है। ड्रूज समुदाय के कई सदस्य अब इज़रायली राजनीति और लोक सेवा में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं।

 

सीरिया में बढ़ा तनाव, इज़रायली हमलों से शांति पर संकट

ड्रूज समुदाय को लेकर शुरू हुए टकराव ने सीरिया में एक बार फिर तनावपूर्ण हालात पैदा कर दिए हैं। राष्ट्रपति अहमद अल-शरा की सरकार पहले से ही देशभर में अपना नियंत्रण स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रही है और यह नया संकट उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। इज़रायली हमलों के कारण पहले से ही हथियारों और तकनीकी संसाधनों की कमी से जूझ रहे सीरिया के लिए सैन्य प्रतिक्रिया देना और कठिन हो जाएगा।

 

सीरिया बना इज़रायल की रणनीति का नया केंद्र

अब तक फिलिस्तीन, लेबनान, ईरान और यमन में सैन्य कार्रवाई कर इन क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत कर चुका इज़रायल, अब सीरिया में भी एक नया मोर्चा खोल चुका है।
हालांकि अन्य देशों की तुलना में सीरिया में इज़रायल के लक्ष्य कहीं अधिक स्पष्ट हैं, ड्रूज समुदाय की रक्षा, और सीमा सुरक्षा सुनिश्चित करना, खासकर उन क्षेत्रों में जो इज़रायल से सटे हुए हैं।

 

द्रुज समुदाय को लेकर सीरिया में संघर्षविराम की घोषणा

सीरिया की सरकार और अल्पसंख्यक द्रुज धार्मिक समुदाय के नेताओं ने संघर्षविराम की घोषणा की है। यह कदम उस समय उठाया गया, जब देश के भीतर जारी अशांति ने युद्धोत्तर राजनीतिक स्थिरता को खतरे में डाल दिया था और इस्राइल की सैन्य दखल तक बात पहुँच गई थी।

सरकारी सेना की वापसी शुरू, लेकिन समझौते पर संशय बरकरार

सरकारी सैनिकों के काफिले स्वेदा (Sweida) शहर से हटने लगे हैं, लेकिन यह साफ नहीं है कि यह संघर्षविराम कितनी देर तक कायम रहेगा। गृह मंत्रालय और एक द्रुज धर्मगुरु के वीडियो संदेश में इसका ऐलान किया गया, लेकिन इससे एक दिन पहले भी संघर्षविराम की घोषणा असफल रही थी। वरिष्ठ द्रुज नेता शेख हिकमत अल-हिजरी ने इस नए समझौते से खुद को अलग कर लिया है।

 

सीजफायर के बावजूद इस्राइल के हमले जारी

हालांकि संघर्षविराम की घोषणा हो चुकी है, इस्राइल की ओर से सैन्य कार्रवाई रुकने का नाम नहीं ले रही। दमिश्क के केंद्र में दुर्लभ हवाई हमले किए गए हैं, जो इस्राइल की ओर से बढ़ती सैन्य आक्रामकता को दर्शाते हैं। इस्राइल का कहना है कि उसके हमले द्रुज समुदाय की सुरक्षा के लिए हैं और इनका उद्देश्य इस्लामिक कट्टरपंथियों को अपनी सीमा से दूर रखना है।

 

बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा ऑपरेशन जारी रहेगा

इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सीरिया में बड़ी सैन्य कार्रवाई की पुष्टि करते हुए कहा कि यह ऑपरेशन भविष्य में भी जारी रहेगा। उन्होंने इसके पीछे दो अहम कारण बताए—

दक्षिण दमिश्क क्षेत्र को सैन्य मुक्त बनाना: गोलन हाइट्स से लेकर द्रुज पहाड़ियों तक का इलाका, जो इस्राइल की सीमा से लगा हुआ है, वहां शांति बनाए रखना इस्राइल की रणनीतिक प्राथमिकता है। नेतन्याहू ने कहा कि सीरियाई सेना द्वारा इस क्षेत्र में सैन्य मौजूदगी बढ़ाना गंभीर उल्लंघन है।

सीरिया में द्रुज समुदाय की सुरक्षा: द्रुज समुदाय को नेतन्याहू ने “हमारे भाइयों के भाई” बताया और कहा कि इनकी रक्षा इस्राइल की जिम्मेदारी है। उन्होंने आरोप लगाया कि सीरियाई सरकार ने इस समुदाय पर हमले किए और नरसंहार जैसी स्थिति पैदा की।

नेतन्याहू का कड़ा संदेश: प्रधानमंत्री ने कहा कि सीरियाई सेना ने दोनों शर्तों का उल्लंघन किया

  • बिना अनुमति के दक्षिणी इलाके में सैनिक भेजे गए।
  • द्रुज समुदाय पर हमला किया गया।

नेतन्याहू के अनुसार, “हम इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं कर सकते थे, इसलिए मैंने इस्राइली डिफेंस फोर्स (IDF) को तुरंत और कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए।”

 

अमेरिका ने जताई गहरी चिंता

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने एक बयान में कहा कि अमेरिका सीरिया में बढ़ती हिंसा को लेकर बेहद चिंतित है। उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका ने ऐसे विशिष्ट कदमों पर सहमति बनाई है, जिनसे “यह भयावह और परेशान करने वाली स्थिति आज रात ही खत्म की जा सके”।

 

इज़रायली हमलों पर अरब देशों का फूटा गुस्सा

लेबनान, इराक, कतर, जॉर्डन, मिस्र और कुवैत सहित कई अरब देशों ने सीरियाई सरकार और सुरक्षा बलों पर हुए इज़रायली हमलों की कड़ी निंदा की है। सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने इसे “सीरिया पर इज़रायल के खुले हमले” करार देते हुए स्पष्ट शब्दों में विरोध दर्ज कराया।

 

ईरान और तुर्की की तीखी प्रतिक्रिया

ईरान ने इन हमलों को “पूरी तरह से पूर्वानुमेय” बताया, जबकि तुर्की, जो असद शासन के बाद के सीरिया में एक महत्वपूर्ण हितधारक है, ने इन्हें “शांति और स्थिरता की कोशिशों के खिलाफ एक साजिश” करार दिया। तुर्की का मानना है कि इज़रायली हमले सीरिया को अस्थिर करने की मंशा से प्रेरित हैं

 

संघर्ष कब थमेगा?

विश्लेषकों का मानना है कि जब तक इज़रायल के ये दोनों रणनीतिक उद्देश्य पूरे नहीं होते, तब तक वह अपनी सैन्य कार्रवाई को जारी रख सकता है। यदि ड्रूज समुदाय की स्थिति सुरक्षित हो जाती है और इज़रायली सीमाओं पर खतरे की आशंका समाप्त होती है, तभी इज़रायल संघर्ष रोकने पर विचार करेगा।

हालिया हिंसा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सीरिया में युद्ध के बाद की सुरक्षा व्यवस्था और राजनीतिक स्थिरता अभी भी बेहद कमजोर है। यह ताजा झड़पें देशभर में सांप्रदायिक हिंसा के दोबारा भड़कने के डर को हवा दे रही हैं, जिससे देश की एकता और शांति बहाली की प्रक्रिया खतरे में पड़ सकती है।