सोनम वांगचुक को दुनिया एक शिक्षा सुधारक, जलवायु कार्यकर्ता और नवप्रवर्तक के रूप में जानती है। बर्फीले स्तूप जैसी उनकी अनोखी पहल ने लद्दाख के ठंडे रेगिस्तानों को जीवन दिया और उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई। लेकिन पर्यावरण से जुड़ी उनकी सक्रियता धीरे-धीरे लद्दाख की राजनीति तक पहुँच गई। जलवायु परिवर्तन के असर को उजागर करने वाले वांगचुक अब लद्दाख को राज्य का दर्जा, भूमि और नौकरियों की सुरक्षा जैसे मुद्दों की लड़ाई में भी मुखर हो गए। उनकी तीन दशक की यह यात्रा हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत नजरबंदी तक पहुँच गई।
तो आखिर कौन है सोनम वांगचुक ?, कहाँ के रहने वाले है ?, जीवन में क्या उपलब्धियां है ? इत्यादि प्रश्नों के जवाब आज के आर्टिकल में आप जानने वाले है।

सोनम वांगचुक का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
सोनम वांगचुक का जन्म 1966 में लद्दाख के लेह जिले के अलची गाँव के पास हुआ था। 9 साल की उम्र तक वे स्कूल नहीं जा सके क्योंकि गाँव में कोई स्कूल नहीं था। इस दौरान उनकी माँ ने उन्हें घर पर ही मातृभाषा में बुनियादी शिक्षा दी। 1975 में उनके पिता जम्मू-कश्मीर सरकार में मंत्री बने। 9 साल की उम्र में वांगचुक को श्रीनगर ले जाया गया और वहाँ स्कूल में दाखिला मिला। लेकिन भाषा न समझ पाने के कारण उन्हें अक्सर गलत समझा गया और यह समय उनके लिए बहुत कठिन रहा। 1977 में वह अकेले दिल्ली भाग गए।
वांगचुक ने 1987 में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) श्रीनगर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक पूरा किया। पिता से मतभेद होने के कारण उन्होंने अपनी पढ़ाई का खर्च खुद उठाया। बाद में 2011 में उन्होंने फ्रांस के ग्रेनोबल स्थित क्रेटर स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से अर्थन आर्किटेक्चर में उच्च शिक्षा भी हासिल की।
स्नातक के बाद का जीवन:
1988 में इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद सोनम वांगचुक ने SECMOL की स्थापना की और ‘ऑपरेशन न्यू होप’ जैसे शिक्षा सुधार अभियान चलाए। 1993 से 2005 तक उन्होंने लद्दाख की पहली पत्रिका लाडाग्स मेलोंग निकाली और हिल काउंसिल के शिक्षा सलाहकार भी बने। वे लद्दाख 2025 विज़न डॉक्यूमेंट की मसौदा समिति में शामिल रहे।
2013 में उन्होंने किसानों के लिए पानी बचाने वाला ‘आइस स्तूप’ बनाया, जिसने उन्हें वैश्विक पहचान दी। इसके बाद वे शिक्षा नीति से जुड़े कई अहम पैनलों में रहे। 2015 में उन्होंने हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स और 2016 में फार्मस्टेज़ लद्दाख परियोजना शुरू की, जिससे स्थानीय लोग और पर्यटक सीधे जुड़ सकें।
सोनम वांगचुक के नवाचार:
- SECMOL: SECMOL (Students Educational and Cultural Movement of Ladakh) की स्थापना 1988 में हुई थी। इसे लद्दाखी कॉलेज के छात्रों और सोनम वांगचुक ने शुरू किया था, क्योंकि वे महसूस करते थे कि शिक्षा प्रणाली में बदलाव की जरूरत है। SECMOL कोई पारंपरिक स्कूल नहीं है, बल्कि यह छात्रों को व्यावहारिक, पर्यावरणीय, सामाजिक और सांस्कृतिक ज्ञान सिखाता है। यहाँ छात्र आधुनिक शिक्षा के साथ लद्दाखी गीत, नृत्य और इतिहास भी सीखते हैं।
छात्रों को परिसर का प्रबंधन और संचालन भी करना सिखाया जाता है। खास बात यह है कि SECMOL का परिसर सौर ऊर्जा से चलता है और ठंड में भी इसे गर्म रखा जाता है, जिससे ऊर्जा की बचत होती है और सतत विकास को बढ़ावा मिलता है।
- हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL): सोनम वांगचुक ने गीतांजलि जे अंगमो के साथ HIAL की स्थापना की, जो उनके SECMOL अनुभव पर आधारित है। इसका उद्देश्य लद्दाख की विशेष भौगोलिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों के लिए नए शिक्षा और विकास मॉडल तैयार करना है। HIAL में केवल किताबों की पढ़ाई नहीं होती, बल्कि युवाओं को स्थानीय जीवन और समस्याओं से जुड़े व्यावहारिक कौशल भी सिखाए जाते हैं। संस्थान का सपना है कि शिक्षा के जरिए लद्दाख और हिमालयी क्षेत्र का टिकाऊ भविष्य तैयार किया जा सके।
- बर्फ का स्तूप (Ice Stupa): सोनम वांगचुक ने 2014 में बर्फ का स्तूप परियोजना की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य सर्दियों में बेकार बहने वाले पानी को जमा करके गर्मियों की बुवाई के समय किसानों को उपलब्ध कराना था। पहला आइस स्तूप करीब 1.5 लाख लीटर पानी संग्रहित कर सकता था। बाद में इस तकनीक का उपयोग लद्दाख और सिक्किम की झीलों में आपदा प्रबंधन के लिए किया गया और इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान भी मिली। यहां तक कि स्विस आल्प्स में भी इस तकनीक से बर्फ के स्तूप बनाए गए। यह नवाचार न केवल किसानों के लिए जीवनदायी साबित हुआ।
- मोबाइल सौर ऊर्जा चालित टेंट: फरवरी 2021 में, सोनम वांगचुक ने भारतीय सेना के लिए मोबाइल सौर ऊर्जा से चलने वाले टेंट विकसित किए। प्रत्येक टेंट में लगभग 10 सैनिक रह सकते हैं। यह टेंट दिन में सौर ऊर्जा को संग्रहित करता है और रात में उसे इस्तेमाल करके टेंट को गर्म रखता है। वांगचुक ने यह आविष्कार इसलिए किया क्योंकि उन्हें पता चला कि लगभग 50,000 सैनिक अत्यधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों में कड़ाके की ठंड में काम कर रहे हैं। यह तकनीक सैनिकों के लिए ठंड और कठिन मौसम में राहत देने वाला उपाय साबित हुई।
राजनीति और सामाजिक सक्रियता:
- सोनम वांगचुक ने 2013 में छात्रों के आग्रह पर न्यू लद्दाख मूवमेंट (NLM) शुरू किया, जो लद्दाख में स्थायी शिक्षा, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए काम करता था और बाद में इसे गैर-राजनीतिक सामाजिक आंदोलन बना दिया गया।
- जून 2020 में भारत-चीन सीमा झड़पों के बाद उन्होंने चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने की अपील की।
- 2023 और 2024 में, लद्दाख के पारिस्थितिकी संरक्षण और केंद्र शासित प्रदेश को राज्य का दर्जा देने की मांग के लिए उन्होंने उपवास और पैदल यात्रा जैसी आंदोलनों का नेतृत्व किया। 30 सितंबर 2024 को दिल्ली में उन्हें हिरासत में लिया गया और 2 अक्टूबर को रिहा किया गया। 26 सितंबर 2025 को उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर जोधपुर जेल भेजा गया।
लोकप्रियता:
सोनम वांगचुक 2009 में तब चर्चा में आए, जब उनकी कहानी ने फिल्म 3 इडियट्स में आमिर खान के किरदार फुनसुख वांगडू को प्रेरित किया। उन्हें “असली जीवन के फुनसुख वांगडू” कहा गया, लेकिन वांगचुक ने इस तुलना को खारिज कर दिया।
सोनम वांगचुक की उपलब्धियां:
- उन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला, जो शिक्षा और सामुदायिक विकास में उनके योगदान के लिए सम्मानित है।
- उनकी कहानी ने फिल्म 3 इडियट्स में फुंसुक वांगडू के चरित्र को प्रेरित किया।
- 1993 से 2005 तक उन्होंने लद्दाख की एकमात्र प्रिंट पत्रिका लाडाग्स मेलोंग की स्थापना की और संपादक बने।
- 2001 में उन्हें हिल काउंसिल सरकार में शिक्षा के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया।
- उन्होंने लद्दाख स्वैच्छिक नेटवर्क की स्थापना की, जो स्थानीय NGO का नेटवर्क है और इसमें कार्यकारी समिति में काम किया।
लद्दाख के बारे में:
लद्दाख भारतीय हिमालय का एक ऊँचा रेगिस्तानी क्षेत्र है, जहाँ तिब्बत, कश्मीर और मध्य एशिया की मिश्रित संस्कृति और इतिहास देखने को मिलता है। 1960 तक यहाँ कोई सड़क नहीं थी, इसलिए यह बाहरी दुनिया से कट गया था। हाल के दशकों में विकास और पर्यटन के कारण लद्दाख काफी बदला है।