79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह लाल किले की प्राचीर से लगातार 12वीं बार तिरंगा फहराया और राष्ट्र को संबोधित किया। इस बार उन्होंने 103 मिनट का भाषण दिया, जो अब तक का सबसे लंबा रहा। भाषण की शुरुआत उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर से की। इसके अलावा उन्होंने आतंकवाद, सिंधु जल समझौता, आत्मनिर्भर भारत, मेड इन इंडिया, नक्सलवाद और अवैध घुसपैठ जैसे विषयों पर भी अपने विचार रखे।
प्रधानमंत्री मोदी ने 1947 में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा शुरू की गई परंपरा को आगे बढ़ाया। आजादी के पहले स्वतंत्रता दिवस पर नेहरू ने लाल किले से राष्ट्र को संबोधित किया था और तब से यह परंपरा जारी है।
लाल किले का इतिहास:
लाल किला, दिल्ली में स्थित एक ऐतिहासिक मुगल किला है, जो कभी मुगल सम्राटों का मुख्य निवास स्थान था। इसे सम्राट शाहजहाँ ने 12 मई 1639 को बनवाने का आदेश दिया था, जब उन्होंने मुगल राजधानी को आगरा से दिल्ली स्थानांतरित करने का निर्णय लिया। मूल रूप से लाल और सफेद रंग में सजा यह किला, ताजमहल के शिल्पकार उस्ताद अहमद लाहौरी की कृति है। लाल किला शाहजहाँ के शासनकाल में मुगल वास्तुकला की चरम सीमा का प्रतीक है, जिसमें फ़ारसी महलों की झलक और भारतीय स्थापत्य शैली का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
1739 में नादिर शाह के आक्रमण के दौरान किले की कलाकृतियों और रत्नों को लूट लिया गया। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने इसके कई संगमरमर के ढाँचों को ध्वस्त कर दिया, हालांकि इसकी बाहरी दीवारें ज्यादातर सुरक्षित रहीं। बाद में इसे सैन्य छावनी के रूप में इस्तेमाल किया गया।
15 अगस्त 1947 को भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले के मुख्य द्वार लाहौरी गेट पर तिरंगा फहराया। तब से हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री यहाँ से राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हैं।
2007 में, लाल किला परिसर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्रदान किया गया, जिससे इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को वैश्विक मान्यता मिली।

लाल किले से ही क्यों फहराया जाता है तिरंगा:
जब 16 अगस्त 1947 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराया, तो यह सिर्फ एक औपचारिक समारोह नहीं था, बल्कि गुलामी के प्रतीक को हटाकर स्वतंत्र राष्ट्र की संप्रभुता स्थापित करने का ऐतिहासिक क्षण था। यह स्पष्ट संदेश था कि अब देश की सत्ता मुगलों या अंग्रेजों के हाथ में नहीं, बल्कि भारत के नागरिकों के हाथों में है।
तब से हर साल स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री लाल किले से तिरंगा फहराकर राष्ट्र को संबोधित करते हैं, जिसमें देश की उपलब्धियों, चुनौतियों और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा होती है। यह परंपरा न केवल राष्ट्रीय गौरव और देशभक्ति की भावना को मजबूत करती है, बल्कि देश को एकजुट होकर आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देती है।
लाल किला, जो दिल्ली के केंद्र में स्थित और भारत के गौरवशाली इतिहास का गवाह है, सुरक्षा व प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी आदर्श स्थान है। पहली बार तिरंगा यहीं से फहराए जाने के कारण यह स्थान भारतीयों की भावनाओं से गहराई से जुड़ गया है। इस अवसर पर हम स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को भी याद करते हैं, जिन्होंने आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया। इस तरह, लाल किले से तिरंगा फहराना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि आज़ादी, एकता और संप्रभुता का जीवंत प्रतीक है।
लाल किले से भाषणों के रिकॉर्ड-
सबसे लंबा भाषण का रिकॉर्ड: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के ठीक एक वर्ष बाद, 2015 में लाल किले से सबसे लंबा भाषण देने का रिकॉर्ड बनाया। उस वर्ष उन्होंने 88 मिनट का संबोधन देकर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के 72 मिनट के रिकॉर्ड को तोड़ा। इसके बाद भी उन्होंने कई बार अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा और इस वर्ष 103 मिनट का भाषण देकर नया कीर्तिमान स्थापित किया।
लगातार तिरंगा फहराने का रिकॉर्ड: पीएम मोदी ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने लाल किले पर लगातार 12वीं बार तिरंगा फहराया, जो अब तक केवल जवाहर लाल नेहरू ही कर पाए थे। नेहरू ने यह परंपरा लगातार 17 वर्षों तक निभाई थी। उनके बाद इंदिरा गांधी ने 11 बार लगातार तिरंगा फहराया था, जिसे इस वर्ष पीएम मोदी ने पीछे छोड़ दिया।
सबसे छोटा भाषण का रिकॉर्ड: सबसे छोटे भाषण का रिकॉर्ड जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के नाम है, जिन्होंने 14 मिनट का संबोधन दिया था। उनके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने 25 मिनट और डॉ. मनमोहन सिंह ने 32 मिनट का भाषण दिया। पीएम मोदी का सबसे छोटा भाषण 2014 में 65 मिनट का रहा।
इस वर्ष का संबोधन: इस वर्ष के लंबे भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मनिर्भर भारत, ऑपरेशन सिंदूर, आतंकवाद, पाकिस्तान, और अमेरिका को दिए गए परोक्ष जवाब जैसे अनेक मुद्दों को शामिल किया। उनका संबोधन न केवल रिकॉर्ड-तोड़ रहा बल्कि विविध विषयों से परिपूर्ण भी था।
पीएम मोदी का 12वां संबोधन:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के 14वें प्रधानमंत्री हैं। बतौर पीएम वे आज 15 अगस्त पर लाल किले से 12वीं बार देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कई प्रमुख घोषणा की। और ऑपरेशन सिंदूर की उपलब्धियों के बारे में बताया।