क्या दुनिया फिर से हथियारों की दौड़ में प्रवेश कर रही है? रूस ने किया नए परमाणु टॉरपीडो का परीक्षण, अमेरिका भी 33 साल बाद करेगा परमाणु परीक्षण – जानें क्या हैं इसके मायने

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को घोषणा की कि देश ने अपने नए परमाणु-संचालित और परमाणु-हमला करने में सक्षम सुपर टॉरपीडो पोसाइडन (Poseidon) का सफल परीक्षण किया है। पुतिन ने दावा किया कि यह हथियार किसी भी रक्षा प्रणाली द्वारा रोका नहीं जा सकता।

 

यह बयान उस समय आया है जब तीन दिन पहले ही पुतिन ने परमाणु-संचालित क्रूज़ मिसाइल के सफल परीक्षण की सराहना की थी। माना जा रहा है कि यह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यह संदेश देने की कोशिश है कि यूक्रेन मुद्दे पर रूस अपने सख्त रुख पर कायम है।

 

यूक्रेन में घायल सैनिकों से मुलाकात के दौरान पुतिन ने कहा कि पोसाइडन ड्रोन को पहली बार मंगलवार को परमाणु शक्ति पर चलाकर परीक्षण किया गया, और इसकी गति व गहराई दोनों ही अद्वितीय हैं।

 

पुतिन के अनुसार, पोसाइडन में लगा परमाणु रिएक्टर पनडुब्बियों में इस्तेमाल होने वाले रिएक्टरों से 100 गुना छोटा है, जबकि इसके परमाणु वारहेड की शक्ति रूस की सबसे आधुनिक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल से भी कहीं अधिक है।

 

 

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world entering another arms race

2018 में पुतिन ने ‘पोसाइडन’ को सार्वजनिक किया था:

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बताया कि पोसाइडन को उन्होंने पहली बार 2018 के राजकीय संबोधन में अन्य संभावित हथियारों के साथ सार्वजनिक किया था। रूसी मीडिया ने पहले ही रिपोर्ट किया था कि यह ड्रोन तटीय क्षेत्रों के पास विस्फोट कर भयावह रेडियोधर्मी सुनामी पैदा करने के लिए डिजाइन किया गया है।

 

पुतिन ने कहा कि मंगलवार के परीक्षण में पोसाइडन ने पहली बार परमाणु शक्ति पर यात्रा की, लेकिन उन्होंने परीक्षणों के स्थान या अन्य विवरण नहीं बताए।

उन्होंने कहा- “पहली बार हम न केवल इसे अपनी कैरियर पनडुब्बी से लॉन्च करने में सफल हुए, बल्कि इसके परमाणु पावर यूनिट को भी सक्रिय किया, जिससे यह वाहन कुछ समय के लिए काम कर सका। गति और संचालन की गहराई के हिसाब से ऐसी बिना ड्राइवर वाली यूनिट दुनिया में कहीं भी नहीं है, और निकट भविष्य में इसका समकक्ष दिखाई नहीं देता। और इसे रोकना संभव नहीं है।”

 

रूस की दूसरी बड़ी कामयाबी:

रूस ने एक ही सप्ताह में दो बड़े परमाणु-सम्बंधी परीक्षण सफलतापूर्वक किए हैं। 21 अक्टूबर को ही रूस ने दुनिया की पहली न्यूक्लियर पावर्ड क्रूज़ मिसाइल “बुरेवस्तनिक” (Burevestnik/9M730/9M739 के नामांकन से जुड़ी रिपोर्टें) का सफल परीक्षण करने का दावा किया था, जिसे रूस ने लगभग असीमित रेंज वाला बताया।  रूस के दावे के मुताबिक उस परीक्षण में मिसाइल ने लंबी दूरी तय की और दुश्मन की एंटी-मिसाइल रक्षा प्रणालियों को चकमा देने की क्षमता दिखाई।

 

बुरेवस्तनिक (9M73x श्रृंखला) एक ऐसी क्रूज़ मिसाइल है जो पारंपरिक ईंधन इंजन के बजाय न्यूक्लियर रिएक्टर से संचालित होने के लिए डिजाइन की गई है। इसी वजह से इसे लंबी दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम बताया जाता है।

 

आइए जान लेते है पोसाइडन के बारे में-

पोसाइडन रूस द्वारा विकसित एक स्वायत्त, परमाणु ऊर्जा से चलने वाला अंडरवाटर ड्रोन है। यह “सुपर टॉरपीडो” तटीय लक्ष्यों को नष्ट करने और रेडियोधर्मी सुनामी पैदा करने के लिए परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है।

पोसाइडन हथियार का नाम समुद्र और भूकंप के यूनानी देवता पोसाइडन के नाम पर रखा गया है। इस पानी के नीचे के परमाणु ड्रोन का नाम तटीय क्षेत्रों और समुद्र की सतह के नीचे अपने संचालन क्षेत्र को तबाह करने की इसकी क्षमता के कारण रखा गया है।

 

मुख्य बिंदु-

  • किस तरह का यंत्र है: पोसाइडन एक ऑटोनॉमस (स्वायत्त) अंडरवाटर व्हीकल है जो अपने अंदर लगे परमाणु ऊर्जा यूनिट से चलता है- यानी ईंधन सीमित नहीं रहता, इसलिए यह दूर और लंबे समय तक चल सकता है।
  • गति और गहराई: रिपोर्ट्स के अनुसार यह लगभग 54 नॉट्स (≈100 किमी/घंटा) की रफ्तार तक चल सकता है और 1,000 मीटर तक की गहराई में कार्य करने के लिए डिज़ाइन है।
  • लक्ष्य व प्रभाव: इसका मकसद पारंपरिक एंटी-मिसाइल और समुद्री रक्षा प्रणालियों को चकमा देकर तटीय इलाकों या समुद्री लक्ष्य पर भारी नुकसान पहुँचाना है, सीधे धमाके के साथ-साथ रेडियोधर्मी प्रदूषण भी फैल सकता है।
  • न्यूक्लियर सुनामी’ का जोखिम: कुछ रिपोर्ट्स और विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि यदि इसमें कोबाल्ट-60 जैसे तत्वों से मिलाकर वारहेड लगाया गया तो विस्फोट के बाद व्यापक और दीर्घकालिक रेडियोधर्मी प्रभाव पैदा हो सकता है, समुद्री जल और तटवर्ती इलाके दूषित हो सकते हैं, इस तरह के परिदृश्य को अक्सर न्यूक्लियर सुनामी’ कहा जाता है।
  • किस लिए बनाया गया: रूस इसे आधिकारिक तौर पर प्रतिशोधी क्षमता के रूप में बताता है — यानी अगर किसी ने परमाणु हमला किया तो जवाब देने के लिए।
  • क्यों विकसित किया गया: विकास का मुख्य कारण रूसी सुरक्षा नेताओं का दावा है कि उन्हें अपना परमाणु संतुलन बनाए रखना है, खासकर तब जब विरोधी पक्ष ने अपनी विरोधी रक्षा प्रणालियाँ विकसित की हों। कुछ विशेषज्ञ इसे वैश्विक सुरक्षा पर बढ़ता जोखिम और ‘प्रतिस्पर्धी परमाणुविकास’ का हिस्सा भी मानते हैं।

 

पोसाइडन का रणनीतिक उद्देश्य :

  • रक्षा व्यवस्थाओं को भेदना: पोसाइडन को ऐसे प्रतिशोधी हथियार के रूप में विकसित किया गया जिसे पारंपरिक वायु- या अंतरिक्ष-आधारित विरोधी बैलिस्टिक मिसाइल प्रणालियाँ आसानी से नहीं पकड़ पातीं। इसकी गहराई में गोता लगाने और तल से ऊर्ध्वाधर/अप्रत्याशित मार्ग अपनाने की क्षमताएँ इसे एंटी-डिफेंस सिस्टम के लिए कठिन लक्ष्य बनाती हैं।
  • द्वितीय-प्रहार क्षमता मज़बूत करना: यह हथियार रूस की उस क्षमता को सशक्त करता है जिससे किसी पहले प्रहार के बाद भी जवाबी हमले में परमाणु समकक्षता बनाए रखी जा सके। लंबी दूरी और चतुर चालन (evasive) तकनीकें पारंपरिक लक्ष्य विनाश के बावजूद प्रतिशोध सुनिश्चित करने में योगदान देती हैं, जिससे MAD (Mutually Assured Destruction) का तर्क स्थिर होता है।
  • मनोवैज्ञानिक निवारण: पोसाइडन का अस्तित्व और उसकी अस्पष्ट क्षमताएँ रणनीतिक अनिश्चितता और भय पैदा करती हैं। भौतिक विनाश क्षमता के अलावा यह सामरिक सन्देश देता है- शक्तिशाली प्रतिशोध करने की क्षमता, जो विरोधियों पर स्थितिजन्य दबाव बनाती है।

 

रूस का पोसाइडन– दुनिया के तटीय देशों के लिए परमाणु खतरा:

पोसाइडन की असीमित रेंज और समुद्री लॉन्च क्षमता के कारण, दुनिया का कोई भी तटीय देश इसके निशाने पर आ सकता है। इसके प्रमुख संभावित लक्ष्य माने जाते हैं:

  • अमेरिका: न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन, लॉस एंजिल्स, सैन फ्रांसिस्को
  • ब्रिटेन: लंदन, पोर्ट्समाउथ
  • फ्रांस: ब्रेस्ट, मार्सेल
  • जापान: टोक्यो, योकोहामा
  • दक्षिण कोरिया: बुसान, सियोल क्षेत्र
  • ऑस्ट्रेलिया: सिडनी, मेलबर्न
  • यूरोप के नाटो तट: नॉर्वे, जर्मनी, नीदरलैंड

 

रूस द्वारा अपनी परमाणु नीति में बदलाव:

नवंबर 2024 में, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश के परमाणु सिद्धांत (Nuclear Doctrine) में महत्वपूर्ण बदलावों को मंजूरी दी। नई नीति के तहत रूस ने उन परिस्थितियों को संशोधित किया है जिनमें वह अपने परमाणु शस्त्रागार के उपयोग पर विचार करेगा।

  • नया सिद्धांत कहता है कि यदि किसी गैर-परमाणु राज्य द्वारा किया गया हमला किसी परमाणु शक्ति के समर्थन से होता है, तो उसे रूस पर संयुक्त हमला माना जाएगा।
  • पुतिन के अनुसार, यह परिवर्तन मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति के अनुरूप है।
  • अब पारंपरिक मिसाइलों, ड्रोन या विमानों से रूस पर किसी बड़े हमले को भी परमाणु प्रतिक्रिया का कारण माना जा सकता है।
  • यह नीति बेलारूस पर हमले या रूस की संप्रभुता के लिए किसी गंभीर खतरे की स्थिति में भी लागू हो सकती है।
  • किसी गठबंधन (Alliance) के सदस्य देश द्वारा रूस के विरुद्ध आक्रमण को मास्को पूरे समूह की ओर से हमला मानेगा।

 

हथियारों की नई दौड़ का खतरा: रूस के उन्नत परमाणु और हाइपरसोनिक हथियारों से बढ़ी चिंता:

रूस के पास वर्तमान में दुनिया की सबसे लंबी रेंज वाली हाइपरसोनिक मिसाइलें हैं, जिनका उपयोग वह समय-समय पर यूक्रेन पर हमलों में करता रहा है।

2022 में यूक्रेन युद्ध से पहले राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों को चेतावनी दी थी कि रूस के पास दुनिया के सबसे अधिक और सबसे घातक हथियार हैं। पुतिन ने कहा था कि यदि किसी ने रूस को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

2018 में, पुतिन ने दो नए घातक हथियारों पोसाइडन परमाणु टॉरपीडो और बुरेवेस्तनिक क्रूज़ मिसाइल के विकास की घोषणा की थी, अब दोनों हथियारों के अंतिम परीक्षण पूरे हो चुके हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर हथियारों की नई दौड़ शुरू होने की आशंका बढ़ गई है।

 

33 साल बाद अमेरिका फिर करेगा परमाणु परीक्षण:

33 वर्षों के अंतराल के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका एक बार फिर परमाणु हथियार परीक्षण शुरू करने जा रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 30 अक्टूबर 2025 को सेना को इसके लिए तैयारी करने का आदेश दिया है। यह निर्णय 1992 के बाद से चले आ रहे परमाणु परीक्षण प्रतिबंध (moratorium) को समाप्त करता है। अमेरिका का अंतिम परमाणु परीक्षण 23 सितंबर 1992 को हुआ था।

रिपोर्टों के अनुसार, यह आदेश रूस और चीन की हालिया परमाणु गतिविधियों के जवाब में जारी किया गया है। पेंटागन को परीक्षण फिर से शुरू करने का निर्देश मिल चुका है, लेकिन अभी तक समय, स्थान और दायरे से जुड़ी कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। यह कदम अमेरिका की परमाणु नीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है और इससे वैश्विक हथियारों की नई दौड़ शुरू होने की आशंका जताई जा रही है।

 

निष्कर्ष:

अमेरिका द्वारा 33 साल बाद परमाणु परीक्षण फिर शुरू करने के निर्णय, रूस और चीन की नवीन परमाणु गतिविधियों, तथा रूस के पोसाइडन टॉरपीडो और बुरेवेस्तनिक मिसाइल जैसे हथियारों के सफल परीक्षणों से यह स्पष्ट है कि दुनिया एक बार फिर हथियारों की नई दौड़ में प्रवेश कर रही है।

यह स्थिति न केवल वैश्विक रणनीतिक संतुलन को प्रभावित करेगी, बल्कि परमाणु हथियारों के प्रसार और भू-राजनीतिक तनावों को भी बढ़ा सकती है। यदि प्रमुख परमाणु शक्तियाँ अपने परीक्षण कार्यक्रमों को जारी रखती हैं, तो आने वाले वर्षों में वैश्विक सुरक्षा व्यवस्था के सामने गंभीर चुनौती खड़ी हो सकती है।

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