विश्व जनसंख्या दिवस हर साल 11 जुलाई को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य विश्व स्तर पर जनसंख्या वृद्धि से जुड़ी चुनौतियों और अवसरों के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना है। इस दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र ने 1989 में की थी, जब वैश्विक जनसंख्या 5 अरब हो गई थी और जनसंख्या विस्फोट के प्रभावों को लेकर चिंता बढ़ी। इस दिन का मुख्य उद्देश्य परिवार नियोजन, लैंगिक समानता, गरीबी उन्मूलन, मातृ और शिशु स्वास्थ्य, और सतत विकास जैसे अहम मुद्दों की ओर ध्यान केंद्रित करना है। तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या न केवल संसाधनों पर अत्यधिक दबाव डालती है, बल्कि यह पर्यावरण, आवास, स्वास्थ्य सेवाओं, और शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरतों की गुणवत्ता को भी प्रभावित करती है।
यह दिन हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि एक संतुलित जनसंख्या नीति के बिना विकास संभव नहीं हो सकता। इसलिए, विश्व जनसंख्या दिवस न केवल आंकड़ों का दिन है, बल्कि यह चेतना और ज़िम्मेदारी का भी दिन है।

विश्व जनसंख्या दिवस 2025 की थीम है:
“Empowering young people to create the families they want in a fair and hopeful world.”
अर्थात – “युवा लोगों को एक निष्पक्ष और आशापूर्ण दुनिया में अपनी पसंद की परिवार संरचना चुनने और उसे आकार देने के लिए सशक्त बनाना।”
यह थीम इस ओर इशारा करती है कि आज की युवा पीढ़ी को न केवल शिक्षा, स्वास्थ्य और अवसरों तक समान पहुंच मिलनी चाहिए, बल्कि उन्हें परिवार नियोजन और जीवन से जुड़ी अपनी प्राथमिकताओं पर निर्णय लेने की स्वतंत्रता और समर्थन भी मिलना चाहिए।
विश्व जनसंख्या दिवस का इतिहास
विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) की स्थापना 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की गवर्निंग काउंसिल द्वारा की गई थी। इसका विचार 11 जुलाई 1987 को उस समय आया, जब दुनिया की आबादी 5 अरब पहुंच गई थी – जिसे “फाइव बिलियन डे” (Five Billion Day) कहा गया। इसी ऐतिहासिक उपलब्धि से प्रेरित होकर वर्ल्ड बैंक के वरिष्ठ जनसांख्यिकीय विशेषज्ञ डॉ. केसी ज़कारिया ने इस दिन को हर साल मनाने का सुझाव दिया।
इसके बाद दिसंबर 1990 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने इसे आधिकारिक रूप से हर वर्ष मनाने का निर्णय लिया, ताकि जनसंख्या से जुड़े मुद्दों को बेहतर ढंग से समझा जा सके और यह जाना जा सके कि यह कैसे पर्यावरण और विकास से जुड़ा हुआ है।
पहली बार विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई 1990 को मनाया गया था, जिसमें 90 से अधिक देशों ने भाग लिया था।
जिसका उद्देश्य है:
- जनसंख्या वृद्धि से जुड़ी चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करना,
- प्रजनन अधिकारों (Reproductive Rights) को बढ़ावा देना,
- और सतत विकास (Sustainable Development) को समर्थन देने वाली नीतियों और कार्यक्रमों के लिए जागरूकता फैलाना।
विश्व जनसंख्या दिवस का महत्व
- परिवार नियोजन की जागरूकता बढ़ाना: यह दिन लोगों को परिवार नियोजन, गर्भनिरोधक उपायों और सुरक्षित मातृत्व के महत्व के बारे में जागरूक करता है।
- महिलाओं और युवाओं के स्वास्थ्य व शिक्षा को प्राथमिकता देना: यह महिलाओं को प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी अधिकारों और युवाओं को यौन शिक्षा व स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करता है।
- नीति-निर्माताओं और आम जनता का ध्यान आकर्षित करना: जनसंख्या विस्फोट के प्रभावों पर सरकारों और नागरिकों का ध्यान खींचने में यह दिन अहम भूमिका निभाता है।
- प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की ओर प्रेरित करना: बढ़ती आबादी के कारण जल, जंगल, जमीन जैसे संसाधनों पर दबाव बढ़ता है, ऐसे में उनका सीमित और विवेकपूर्ण उपयोग ज़रूरी है।
- सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के प्रति जागरूकता फैलाना: विश्व जनसंख्या दिवस सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आवश्यक जनसंख्या नीति और जागरूकता को बल देता है।
दुनिया की जनसंख्या 2025 में 8.2 अरब, भारत सबसे आगे
20वीं सदी के मध्य से अब तक, दुनिया की आबादी तीन गुना से अधिक बढ़ चुकी है। संयुक्त राष्ट्र (UN) के अनुसार, जुलाई 2025 तक विश्व की जनसंख्या 8.2 अरब तक पहुंच गई है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक—
- यह संख्या 2050 तक 9.7 अरब हो जाएगी,
- और 2080 के दशक के मध्य तक 10.4 अरब पर जाकर स्थिर होने की संभावना है।
भारत जनसंख्या के मामले में दुनिया में सबसे आगे है, जिसकी आबादी 1.46 अरब हो चुकी है, जबकि चीन 1.41 अरब के साथ दूसरे स्थान पर है। हालांकि भारत की कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate) अब प्रतिस्थापन स्तर (Replacement Level) से नीचे जा चुकी है (यानी प्रत्येक महिला औसतन 2.1 से कम बच्चों को जन्म दे रही है) ।
UNFPA (संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष) की 2025 की “स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट” के अनुसार, भारत की जनसंख्या आने वाले वर्षों में लगभग 1.7 अरब तक बढ़ सकती है। लेकिन इसके बाद करीब 40 वर्षों में गिरावट शुरू होने की उम्मीद है।
2025 में दुनिया के 10 सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश
- भारत – 146 करोड़ (1.46 बिलियन): भारत अब दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भारत की जनसंख्या 1.46 अरब से भी ज्यादा है और अगले कुछ दशकों में इसके 1.7 अरब तक पहुंचने की संभावना है, जिसके बाद इसमें गिरावट आ सकती है।
- चीन – 141 करोड़ (1.41 बिलियन): चीन अब दूसरे नंबर पर है। देश की जनसंख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है, और इसकी वृद्धि दर अब (-0.23%) हो गई है। यानी चीन की आबादी धीरे-धीरे घट रही है।
- अमेरिका – 34.7 करोड़: अमेरिका दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा आबादी वाला देश है। यहां जनसंख्या की वृद्धि 0.54% की दर से हो रही है, जिसका बड़ा कारण आप्रवास (immigration) है।
- इंडोनेशिया – 28.5 करोड़: दक्षिण पूर्व एशिया का यह देश 0.79% की दर से बढ़ती जनसंख्या के साथ चौथे स्थान पर है। यहां बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं ने जनसंख्या वृद्धि में योगदान दिया है।
- पाकिस्तान – 25.5 करोड़: पाकिस्तान की जनसंख्या वृद्धि दर 1.57% है, जो दुनिया में सबसे तेज़ में से एक मानी जाती है। तेज़ी से बढ़ती यह जनसंख्या संसाधनों पर दबाव डाल रही है।
- नाइजीरिया – 23.7 करोड़: अफ्रीका का सबसे अधिक आबादी वाला देश नाइजीरिया है, जिसकी जनसंख्या हर साल 2.08% की दर से बढ़ रही है।
- ब्राज़ील – 21.2 करोड़: ब्राज़ील की जनसंख्या वृद्धि धीमी है (0.38%)। यहां की प्रजनन दर में गिरावट आई है, विशेष रूप से 1990 के बाद से।
- बांग्लादेश – 17.5 करोड़: छोटे आकार का यह देश दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले देशों में से एक है। यहां जनसंख्या वृद्धि दर 1.22% है।
- रूस – 14.4 करोड़: 2023 में, रूस की जनसंख्या लगभग 144 मिलियन (14.4 करोड़) थी, जबकि 1993 में यह लगभग 149 मिलियन थी।1993 के बाद से, रूस की जनसंख्या में लगातार गिरावट आ रही है।
- इथियोपिया – 13.5 करोड़: तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या दर (2.58%) के साथ इथियोपिया अफ्रीका के सबसे तेजी से बढ़ने वाले देशों में शामिल है। यह अफ्रीका का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जिसमें 11 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं। 2050 तक, इथियोपिया की आबादी लगभग 200 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है
भारत में जनसंख्या असमानता:
विश्व जनसंख्या दिवस 2025 पर भारत जैसे विशाल देश की आंतरिक विषमताओं को समझना बेहद जरूरी है। देश के भीतर भी कुछ क्षेत्र अत्यधिक जनसंख्या घनत्व से जूझ रहे हैं, जबकि कुछ हिस्से अपेक्षाकृत विरल जनसंख्या वाले हैं।
उदाहरण के तौर पर, उत्तर प्रदेश वर्तमान में भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है, जिसकी आबादी लगभग 241 मिलियन (24.1 करोड़) तक पहुंच चुकी है (जो अकेले नाइजीरिया, दुनिया का छठा सबसे अधिक आबादी वाला देश, से भी ज्यादा है) वहीं, पूर्वोत्तर भारत का सिक्किम राज्य सबसे कम जनसंख्या वाला है, जिसकी अनुमानित आबादी सिर्फ 7 लाख (703,000) है।
यह विशाल अंतर दर्शाता है कि भारत जैसे देश को विकेन्द्रीकृत योजना (Decentralised Planning) और स्थानीय विकास (Localised Development) की कितनी सख्त जरूरत है। विश्व जनसंख्या दिवस का यही एक अहम संदेश है — कि नीतियों और संसाधनों को समान रूप से फैलाना होगा, ताकि देश के हर हिस्से को विकास का समान अवसर मिल सके।
भारत सरकार की प्रमुख जनसंख्या नियंत्रण पहलें
भारत सरकार ने जनसंख्या स्थिरीकरण और परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के लिए कई प्रभावशाली योजनाएं शुरू की हैं। ये पहलें न सिर्फ जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण का प्रयास हैं, बल्कि यह स्वस्थ समाज और सतत विकास की दिशा में भी मजबूत कदम हैं। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख योजनाओं के बारे में:
- मिशन परिवार विकास (Mission Parivar Vikas – MPV): इस मिशन का उद्देश्य उच्च प्रजनन दर (TFR) वाले 146 जिलों में निःशुल्क गर्भनिरोधक साधनों और परिवार नियोजन सेवाओं की व्यापक उपलब्धता सुनिश्चित करना है। यह योजना 13 राज्यों में लागू है, जिनमें यूपी, बिहार, एमपी, राजस्थान जैसे हाई-फोकस राज्य और पूर्वोत्तर के छह राज्य शामिल हैं।
- गर्भनिरोधक विकल्पों का विस्तार: पारंपरिक उपाय जैसे कंडोम, गर्भनिरोधक गोलियां, IUCD और नसबंदी के साथ-साथ इंजेक्टेबल गर्भनिरोधक (अंतरा) और सेंटक्रोमैन (छाया) जैसे नए विकल्प भी जोड़े गए हैं।
- नसबंदी स्वीकारकर्ताओं के लिए मुआवजा योजना: इस योजना के तहत नसबंदी करवाने वाले लाभार्थियों और सेवा प्रदान करने वाली मेडिकल टीम को वेतन हानि का मुआवजा दिया जाता है।
- प्रसवोत्तर IUCD सेवा (PPIUCD): यह सुविधा महिलाओं को प्रसव के तुरंत बाद IUCD लगवाने का सुविधाजनक विकल्प देती है, ताकि वे अपनी जरूरत अनुसार गर्भनिरोधक चुन सकें।
- गर्भनिरोधकों की होम डिलीवरी योजना: आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से महिलाओं के घर पर ही कंडोम और गर्भनिरोधक गोलियों की आपूर्ति की जाती है, जिससे पहुंच और जागरूकता दोनों में सुधार होता है।
- फैमिली प्लानिंग लॉजिस्टिक मैनेजमेंट सिस्टम (FP-LMIS): यह एक विशेष सॉफ्टवेयर है, जो गर्भनिरोधक सामग्रियों की मांग, खरीद और वितरण को कुशलता से प्रबंधित करता है, जिससे देशभर में सप्लाई चेन बेहतर बनी रहे।
निष्कर्ष:
विश्व जनसंख्या दिवस केवल जनसंख्या बढ़ने की गिनती का अवसर नहीं है, बल्कि यह मानवता, संसाधनों और सतत विकास के बीच संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित करता है। 2025 की थीम — “Empowering young people to create the families they want in a fair and hopeful world” — यह दर्शाती है कि अब समय आ गया है जब युवाओं को सशक्त बनाकर उन्हें सूचित निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया जाए।
भारत जैसे देशों में जहां जनसंख्या घनत्व और क्षेत्रीय असमानताएं बहुत अधिक हैं, वहां स्थानीय विकास, संतुलित संसाधन वितरण और साक्षरता, स्वास्थ्य एवं परिवार नियोजन पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि जनसंख्या नियंत्रण केवल संख्या घटाने की बात नहीं है, बल्कि यह हर व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता बेहतर बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है।