भारत में ग्रामीण क्षेत्रों की सतत आजीविका, डिजिटल समावेशन और पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की दिशा में नए प्रयास हो रहे हैं। डिजिटल कार्य संस्कृति और गांवों का मेल ग्रामीण विकास का नया मॉडल बनता जा रहा है। इसी क्रम में सिक्किम के पाकयोंग जिले का याकतेन गांव भारत का पहला डिजिटल नोमैड गांव घोषित किया गया है। यह पहल हिमालय में एक स्थायी रिमोट वर्क हब विकसित करने और स्थानीय होमस्टे मालिकों को नियमित आय दिलाने के उद्देश्य से शुरू की गई है।

याकतेन: भारत का पहला डिजिटल नोमाड गांव
पूर्वी हिमालय की शांत पहाड़ियों में बसा याकतेन गांव अब भारत का पहला डिजिटल नोमाड गांव बन गया है। प्रकृति की गोद में रहते हुए दूरस्थ (remote) कार्य करने की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से इस गांव को खास रूप से विकसित किया गया है। यहां का शांत वातावरण, हरियाली और ताजगी से भरी हवा इसे एक आदर्श स्थान बनाते हैं उन लोगों के लिए जो भीड़भाड़ से दूर रहकर काम करना चाहते हैं।
‘नोमाड सिक्किम’ पहल के तहत यह प्रोजेक्ट पक्के तौर पर जिला प्रशासन और एनजीओ सर्वहिताय के सहयोग से साकार हुआ है। पूरे गांव में वाई-फाई कनेक्टिविटी सुनिश्चित की गई है और इन्वर्टर सिस्टम के जरिए निर्बाध बिजली आपूर्ति भी उपलब्ध कराई गई है, ताकि दूरदराज से आने वाले पेशेवर लोग निर्बाध रूप से अपना काम कर सकें।
यह पहल न केवल डिजिटल पेशेवरों को आकर्षित कर रही है, बल्कि ग्रामीण विकास और स्थायी आजीविका के लिए भी एक नई दिशा दे रही है। याकतेन अब उन लोगों के लिए एक आदर्श गंतव्य है जो काम के साथ-साथ प्रकृति से भी जुड़ना चाहते हैं।
डिजिटल नोमैड विलेज क्या है?
डिजिटल नोमैड विलेज ऐसे संगठित समुदाय होते हैं, जहां दूरस्थ (Remote) तरीके से काम करने वाले प्रोफेशनल्स और उद्यमियों के लिए आवश्यक सभी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
- सुव्यवस्थित साझा कार्यस्थल और आरामदायक रहने की व्यवस्था
- तेज और भरोसेमंद Wi-Fi कनेक्टिविटी
- समान विचारधारा वाले लोगों का नेटवर्क और समुदाय
ये गांव काम और जीवन के बीच संतुलन को बढ़ावा देते हैं और डिजिटल युग की जीवनशैली के लिए एक आदर्श वातावरण प्रस्तुत करते हैं।
दुनिया के कुछ प्रसिद्ध डिजिटल नोमैड विलेज
अभी अधिकांश डिजिटल नोमैड विलेज यूरोप में स्थित हैं, और ये रिमोट वर्कर्स के लिए तेजी से आकर्षण का केंद्र बनते जा रहे हैं:
मदीरा, पुर्तगाल: 2020 में शुरू हुआ यह सबसे बड़ा डिजिटल नोमैड विलेज है। सिर्फ दो साल में इसे 11,000 से ज्यादा आवेदन मिल चुके हैं। इसके संस्थापक अब ब्राज़ील में भी एक डिजिटल नोमैड विलेज खोलने की योजना बना चुके हैं।
- अन्य यूरोपीय देश: क्रोएशिया, बुल्गारिया, एस्टोनिया, इटली
- एशिया: कुछ एशियाई देशों में भी जल्द ही डिजिटल नोमैड विलेज की शुरुआत होने वाली है।
कैसे कोई स्थान बन सकता है डिजिटल नोमैड विलेज?
किसी स्थान को डिजिटल नोमैड विलेज में बदलने के लिए कुछ मुख्य आवश्यकताएं होती हैं:
- भरोसेमंद इंटरनेट कनेक्टिविटी: रिमोट वर्किंग के लिए तेज़ और स्थिर इंटरनेट सबसे पहली प्राथमिकता है।
- डिजिटल नोमैड सुविधाएं: साझा कार्यस्थल, आरामदायक रहने की व्यवस्था, ऐसा वातावरण जहाँ नोमैड्स आपस में संवाद और सहयोग कर सकें।
नोमेड सिक्किम प्रोजेक्ट:
सिक्किम सरकार की “नोमेड सिक्किम” योजना राज्य के पर्यटन को एक नई पहचान देने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है। इसका उद्देश्य न केवल राज्य को डिजिटल वर्क स्पेस के रूप में स्थापित करना है, बल्कि स्थानीय होमस्टे मालिकों की आजीविका को भी सशक्त बनाना है। यह योजना मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग के ‘एक परिवार, एक उद्यमी’ विजन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
उद्देश्य: पर्यटन के ऑफ-सीजन में भी आमदनी बनी रहे
सिक्किम के याकतेन जैसे सुंदर गांवों में पर्यटकों की आमद टूरिस्ट सीजन तक सीमित रहती है, जिससे होमस्टे मालिकों की आय प्रभावित होती है। ‘नोमेड सिक्किम’ पहल का मकसद इस समस्या को दूर करना है, ताकि ऑफ-सीजन में भी गांव में डिजिटल कामकाजी लोग (Digital Nomads) आकर ठहर सकें।
याकतेन ग्राम पर्यटन सहकारी समिति लंबे समय से होमस्टे व्यवसाय को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही थी। कई होमस्टे मालिकों ने तो निजी कर्ज तक ले लिया था। इस योजना से उन्हें एक स्थायी और नियमित आय का जरिया मिलने की उम्मीद है।
मूलभूत ढांचा और सुविधाएं:
गांव में मजबूत इंटरनेट कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए दो इंटरनेट लाइन और पूरे क्षेत्र में वाई-फाई कवरेज उपलब्ध कराया गया है। बिजली की कटौती से बचने के लिए इनवर्टर बैकअप की व्यवस्था है। जल संकट से निपटने के लिए जल प्रबंधन की योजनाएं बनाई गई हैं। याकतेन, पाकयोंग एयरपोर्ट से अच्छी तरह जुड़ा है और यहां तक पूरे वर्ष पक्की सड़क से पहुंचा जा सकता है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन
यह पहल सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा नहीं देती, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा देती है। मौसमी पर्यटन पर निर्भरता घटती है और स्थानीय लोगों के लिए डिजिटल युग में आय के नए रास्ते खुलते हैं। याकतेन, भारत के अन्य ग्रामीण क्षेत्रों को यह दिखाने वाला उदाहरण बन सकता है कि कैसे डिजिटल युग में सांस्कृतिक विरासत को संजोते हुए आर्थिक आत्मनिर्भरता पाई जा सकती है।
पर्यटन और मनोरंजन के अवसर
पर्यटक 7 किलोमीटर लंबी ट्रैकिंग ट्रेल के जरिए झांडी दारा व्यू पॉइंट तक पहुंच सकते हैं, जहां से कंचनजंघा पर्वत की खूबसूरत झलक मिलती है। इसके अलावा गांव के चारों ओर फैले सीढ़ीनुमा खेत, सामुदायिक बगान, प्राचीन खंडहर और मठ इस अनुभव को और भी समृद्ध बनाते हैं।
निष्कर्ष:
याकतेन डिजिटल युग की जरूरतों और पारंपरिक जीवनशैली के बीच एक सेतु की तरह काम कर रहा है। यह पहल सतत पर्यटन, सामुदायिक भागीदारी और ग्रामीण आत्मनिर्भरता की एक नई मिसाल बन सकती है, जो पूरे भारत में ऐसे और मॉडलों को प्रेरित करने की क्षमता रखती है।