प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के 2 साल: अब तक 30 लाख कारीगर और शिल्पकार योजना में हुए पंजीकृत, जानिए योग्यता और लाभ…

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को सशक्त बनाने के लिए शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल है।

17 सितंबर 2023 को PM मोदी के जन्मदिन के अवसर पर शुरू की गई यह योजना पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित है और वित्त वर्ष 2023-24 से 2027-28 तक लगभग 13,000 करोड़ रुपये की सहायता उपलब्ध कराई जानी है। इसके तहत कारीगरों को प्रमाण पत्र, पहचान पत्र, प्रशिक्षण, आधुनिक उपकरण और आर्थिक सहयोग दिया जाएगा ताकि वे अपने हुनर को और बेहतर बना सकें और रोजगार के नए अवसर प्राप्त कर सकें।

2 years of Pradhan Mantri Vishwakarma Yojana

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के उद्देश्य:

  • कारीगरों और शिल्पकारों के काम की गुणवत्ता और पहुंच बढ़ाना
  • आर्थिक व सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों को सरकारी सहायता और अवसर देना
  • प्रशिक्षण, आधुनिक उपकरण और बाजार से जुड़ाव उपलब्ध कराना।
  • पारंपरिक शिल्प को औपचारिक अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्तर से जोड़ना।

 

पीएम विश्वकर्मा योजना पात्रता:

  • आवेदक कारीगर या शिल्पकार होना चाहिए और किसी पारंपरिक व्यवसाय में सक्रिय रूप से काम कर रहा हो।
  • आयु कम से कम 18 वर्ष हो।
  • पिछले 5 साल में ऋण (PMEGP, मुद्रा, पीएम स्वनिधि) नहीं लिया हो या लिया हो और पूरी तरह चुका दिया हो।
  • प्रति परिवार केवल एक सदस्य लाभान्वित होगा।
  • सरकारी कर्मचारी और उनके परिवार लाभार्थी नहीं हो सकते।

 

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के प्रमुख लाभ:

  • संपार्श्विक-मुक्त ऋण सहायता: इस योजना के तहत लाभार्थियों को पहली किश्त में ₹1 लाख और दूसरी किश्त में ₹2 लाख तक ऋण मिल सकता है, जिस पर 5% रियायती ब्याज दर और सरकार द्वारा 8% ब्याज सब्सिडी दी जाती है।
  • टूलकिट प्रोत्साहन: योजना के तहत, पंजीकृत कारीगरों को ई-वाउचर के माध्यम से ₹15,000 तक के आधुनिक उपकरण मिलेंगे, और बुनियादी प्रशिक्षण शुरू होने पर भी उन्हें ₹15,000 तक का टूलकिट प्रदान किया जाएगा।
  • कौशल उन्नयन और प्रशिक्षण: योजना में कारीगरों के लिए कौशल मूल्यांकन, बुनियादी और उन्नत प्रशिक्षण शामिल हैं, और प्रशिक्षण के दौरान उन्हें प्रतिदिन ₹500 वजीफा भी दिया जाता है।
  • बाजार संपर्क और ब्रांडिंग सहायता: उत्पादों के प्रचार, ब्रांड प्रमोशन और बिक्री के बेहतर अवसर।

 

कार्यान्वयन मंत्रालय:

  • इस योजना का संचालन तीन प्रमुख मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा ।:
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MoMSME)
  • कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE)
  • वित्त मंत्रालय (MOF), भारत सरकार के अधीन वित्तीय सेवा विभाग (DFS)।

 

नोडल मंत्रालय:

MSME मंत्रालय PM विश्वकर्मा के लिए नोडल मंत्रालय के रूप में काम करेगा ।

 

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का महत्व:

  • सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण: यह योजना भारत की पारंपरिक कला, कारीगरी और गुरु-शिष्य परंपरा को बनाए रखने में मदद करती है।
  • कारीगरों और शिल्पकारों का सशक्तिकरण: योजना कारीगरों को उपकरण, प्रशिक्षण और मान्यता देती है, जिससे वे अपने व्यवसाय और कौशल में सुधार कर सकें।
  • आधुनिकीकरण और औपचारिकीकरण: अनौपचारिक क्षेत्र के कारीगर अपने काम को आधुनिक बना सकते हैं, उपकरण उन्नत कर सकते हैं और औपचारिक अर्थव्यवस्था में शामिल हो सकते हैं।
  • सामाजिक सुरक्षा और जागरूकता: लाभार्थियों को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा, सुरक्षा बीमा, अटल पेंशन, श्रम योगी मान-धन जैसी योजनाओं के बारे में जानकारी और लाभ प्राप्त करने में मदद मिलती है।
  • जीवन की बेहतर गुणवत्ता: सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक समर्थन से कारीगरों और शिल्पकारों की आर्थिक स्थिरता और जीवन की गुणवत्ता बढ़ती है।

 

समावेशी विकास पर जोर:

सरकार ने योजना को सिर्फ़ आंकड़ों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि समावेशी विकास पर ध्यान दिया है। इसमें महिला कारीगर, अनुसूचित जाति/जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर और दूर-दराज़ के पहाड़ी, पूर्वोत्तर और द्वीप क्षेत्रों के लोग शामिल हैं।

इससे यह सुनिश्चित होता है कि हाशिए पर रहने वाले समुदाय भी योजना का हिस्सा बनें.

 

इस योजना की अब तक की उपलब्धियाँ:

  • अब तक 30 लाख कारीगर और शिल्पकार योजना में पंजीकृत हो चुके हैं।
  • 7 लाख ऋण मंजूर हुए, जिनकी कुल राशि 41,188 करोड़ रुपये है।
  • 26 लाख लाभार्थियों ने कौशल सत्यापन पूरा किया, जिनमें से 86% ने बुनियादी प्रशिक्षण पूरा किया।
  • सबसे ज्यादा पंजीकरण राजमिस्त्री व्यापार में हुआ, जो निर्माण क्षेत्र की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।
  • 23 लाख ई-वाउचर जारी किए गए, जिससे कारीगरों को आधुनिक उपकरण अपनाने और उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिली।
  • 618 जिलों में 497 स्थानों पर जिला परियोजना प्रबंधन इकाइयां (DPMU) स्थापित की गईं, ताकि जागरूकता अभियान, प्रशिक्षण और निगरानी बेहतर तरीके से हो सके।

 

निष्कर्ष:

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना यह स्पष्ट करती है कि भारत की विकास कहानी केवल बड़े उद्योगों या स्टार्टअप्स तक सीमित नहीं है, बल्कि छोटे कारीगर और शिल्पकार जो हमारी सांस्कृतिक और आर्थिक पहचान की रीढ़ हैं, उन्हें सशक्त बनाने में भी निहित है। यह योजना उनके हुनर, कौशल, आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करती है, परंपरागत कला और शिल्प को संरक्षित करती है और रोजगार के नए अवसर प्रदान करती है।