आज का युग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का है। जब भी हम किसी जटिल विषय में उलझते हैं या किसी चीज़ को जल्दी और आसान तरीके से समझना चाहते हैं, तो ChatGPT, Gemini, cloud ai, Perplexity जैसे AI टूल्स हमारी पहली पसंद बनते जा रहे हैं। यही वजह है कि दुनियाभर की बड़ी टेक कंपनियां अब AI प्रोडक्ट्स में भारी निवेश कर रही हैं और नए-नए अधिग्रहण कर रही हैं।
इसी कड़ी में अब Apple ने भी AI रेस में बड़ी छलांग लगाने की तैयारी कर ली है। हाल की रिपोर्टों के मुताबिक, Apple कंपनी AI सर्च स्टार्टअप “Perplexity AI” को खरीदने की योजना बना रही है। यह डील 14 बिलियन डॉलर यानी लगभग 1.21 लाख करोड़ रुपए में हो सकती है।
अगर यह अधिग्रहण सफल होता है, तो यह Apple के इतिहास की सबसे बड़ी खरीद होगी। इससे पहले Apple ने 2014 में Beats Electronics नाम की कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी को 3 बिलियन डॉलर (करीब 25,974 करोड़ रुपए) में खरीदा था।
इस डील से न सिर्फ Apple की AI क्षमताएं और मज़बूत होंगी, बल्कि यह संकेत भी देता है कि आने वाले समय में Apple AI-ड्रिवन टेक्नोलॉजी पावरहाउस बनना चाहती है।
🔹आइए, अब जान लेते हैं Perplexity AI के बारे में — आखिर ऐसा क्या खास है इस एआई सर्च इंजन में, जो Apple जैसी दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनी को इसकी ओर खींच लाया?
Perplexity AI एक अत्याधुनिक AI-संचालित सर्च इंजन है, जो आपके जानकारी खोजने और उससे संवाद करने के तरीके को पूरी तरह से बदल देता है। आप इसे बस कोई भी सवाल पूछें — और यह तुरंत वेब पर रियल टाइम में खोज करके, सत्यापन योग्य स्रोतों से जानकारी इकट्ठा करता है, और उसे एक संवादात्मक, संक्षिप्त और स्पष्ट उत्तर के रूप में आपके सामने रखता है।
Perplexity की खासियत यह है कि यह सिर्फ एक सर्च इंजन नहीं, बल्कि एक AI असिस्टेंट की तरह काम करता है। यह जानकारी जुटाने के लिए कई शक्तिशाली एआई मॉडल्स का उपयोग करता है, जिनमें शामिल हैं- ChatGPT-4, Claude Sonnet (Anthropic), DeepSeek R1, इन मॉडलों के सामूहिक ज्ञान से यह प्लेटफ़ॉर्म बहुत ही सटीक, संदर्भ-आधारित और उपयोगकर्ता के अनुकूल उत्तर तैयार करता है — एकदम उसी अंदाज़ में जैसे आप किसी इंसान से बात कर रहे हों।
अब बात करें Apple की रणनीति की —
Apple के M&A (Merger & Acquisition) प्रमुख एड्रियन पेरिका, सर्विसेज चीफ एडी क्यू, और कंपनी की AI टीम ने Perplexity के साथ कई दौर की बातचीत की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, Apple इस स्टार्टअप को करीब 14 बिलियन डॉलर (लगभग 1.21 लाख करोड़ रुपए) में खरीदने पर विचार कर रहा है।
हालांकि, फिलहाल दोनों कंपनियों की ओर से इस डील को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन एक संभावना ये भी जताई जा रही है कि Apple, Perplexity को पूरी तरह से खरीदने के बजाय, उसके साथ रणनीतिक साझेदारी (Partnership) कर सकता है।
🔹 आइए जानते AI का इतिहास:
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की जड़ें 20वीं सदी की शुरुआत में ही पड़ गई थीं, जब वैज्ञानिकों ने सोचना शुरू किया कि क्या मशीनें भी इंसानों की तरह सोच सकती हैं। इस दिशा में सबसे पहला ठोस कदम 1950 में एलन ट्यूरिंग ने उठाया, जिन्होंने “क्या मशीनें सोच सकती हैं?” (Can machines think?) विषय पर प्रसिद्ध शोधपत्र लिखा। इसके बाद 1956 में अमेरिका की डार्टमाउथ कॉन्फ्रेंस में “Artificial Intelligence” शब्द का पहली बार इस्तेमाल हुआ। यह वह मोड़ था जब AI को एक स्वतंत्र वैज्ञानिक विषय के रूप में मान्यता मिली। 1980 के दशक में “एक्सपर्ट सिस्टम” विकसित किए गए जो सीमित क्षेत्रों में निर्णय ले सकते थे। 21वीं सदी में कंप्यूटर प्रोसेसिंग और डाटा की उपलब्धता के साथ AI ने जबरदस्त गति पकड़ी और मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग और न्यूरल नेटवर्क जैसे क्षेत्रों में बेतहाशा विकास हुआ।
AI की उपयोगिता:
आज AI का प्रयोग लगभग हर क्षेत्र में हो रहा है, और यह मानव जीवन को सरल, तेज़ और अधिक उत्पादक बनाने में मदद कर रहा है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में AI आधारित सिस्टम कैंसर जैसी बीमारियों का समय रहते पता लगाने में मदद करते हैं, जैसे IBM Watson Health सिस्टम। शिक्षा में यह बच्चों को उनके सीखने के तरीके के अनुसार कंटेंट प्रदान करता है। औद्योगिक क्षेत्रों में AI आधारित रोबोट्स उत्पादन की रफ्तार बढ़ा रहे हैं और जोखिम भरे कामों को सुरक्षित बना रहे हैं। कृषि में ड्रोन, सैटेलाइट डाटा और सेंसर की मदद से मिट्टी की गुणवत्ता, पानी की ज़रूरत और कीट नियंत्रण का अनुमान AI द्वारा लगाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, सुरक्षा और साइबर-सुरक्षा के क्षेत्र में AI लगातार खतरे को पहचान कर सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
🔹AI से जुड़ी चुनौतियाँ और नुकसान
जहाँ AI ने जीवन को सरल बनाया है, वहीं इसके कुछ गंभीर दुष्परिणाम भी सामने आए हैं। सबसे बड़ी चिंता है — रोजगार की कमी। World Economic Forum की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक करीब 85 मिलियन नौकरियाँ समाप्त होने का अनुमान लगाया था। क्योंकि मशीनें इंसानों की जगह ले रही हैं। दूसरी ओर, नई नौकरियाँ भी बनेंगी, लेकिन उनके लिए आवश्यक कौशल अलग होंगे। इसके अलावा, गोपनीयता भी एक बड़ी समस्या बन चुकी है। AI आधारित फेस रिकॉग्निशन सिस्टम व्यक्ति की पहचान, गतिविधियाँ और व्यवहार को ट्रैक कर सकते हैं जिससे निजता पर खतरा मंडराता है। साथ ही, अत्यधिक निर्भरता के कारण मानव की सोचने और निर्णय लेने की क्षमता कमजोर पड़ रही है।
AI के दुरुपयोग की संभावनाएँ-
AI के साथ सबसे बड़ा खतरा है — उसका दुरुपयोग। Deepfake तकनीक, जो किसी के चेहरे और आवाज़ की नक़ल कर वीडियो बना सकती है, अब राजनैतिक और सामाजिक अशांति का कारण बन रही है। AI आधारित ऑटोमेटिक हथियार और ड्रोन भविष्य के युद्धों को और भी खतरनाक बना सकते हैं। इसके साथ ही साइबर क्राइम में AI का उपयोग कर फर्जी वेबसाइट, फेक ईमेल, पासवर्ड हैकिंग जैसे अपराध बढ़ते जा रहे हैं। बिना उचित नियंत्रण के, AI एक ऐसा हथियार बन सकता है जो मानवता के लिए खतरा बन जाए।