त्रिपुरा पूर्ण साक्षर राज्य

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा बताते हैं कि 1961 में राज्य की साक्षरता दर मात्र 20.24% थी। उन्होंने कहा, “अनेक चुनौतियों को पार करते हुए राज्य की साक्षरता दर लगातार बढ़ी है, जो 2001 में 73.66 प्रतिशत से बढ़कर 2011 की जनगणना में 87.22 प्रतिशत हो गई।”

प्रति व्यक्ति आय और सकल घरेलू उत्पाद के मामले में त्रिपुरा पूर्वोत्तर राज्यों में दूसरे स्थान पर है।

आम तौर पर यूनेस्को के अनुसार, 95 प्रतिशत का आंकड़ा पार करने वाले राज्यों को पूर्ण साक्षर घोषित किया जाता है ।

मिजोरम और गोवा के बाद त्रिपुरा अब पूर्ण साक्षर राज्य बनने वाला तीसरा भारतीय राज्य बन गया है, जिसने शिक्षा मंत्रालय द्वारा किसी राज्य को पूर्ण साक्षर घोषित करने के लिए निर्धारित 95% मानक को पार कर लिया है।

राज्य सरकार ने बंगाली, अंग्रेज़ी और कोकबोरोक में शिक्षण सामग्री भी विकसित की है। त्रिपुरा में मूलभूत साक्षरता, डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता पर ध्यान देने के साथ FLNAT के माध्यम से प्रमाणित शिक्षार्थी भी हैं, और स्वयंसेवक शिक्षक सक्रिय रूप से लगे हुए हैं।

  • “त्रिपुरा की सफलता उल्लास योजना के तहत जनभागीदारी, कर्तव्यबोध और प्रभावी ज़मीनी स्तर की लामबंदी की भावना को दर्शाती है। 1961 में 20.24% साक्षरता से लेकर पूरी तरह से साक्षर राज्य तक की यात्रा इस बात का एक शानदार उदाहरण है कि सहयोगी शासन और सामुदायिक प्रतिबद्धता क्या हासिल कर सकती है।“

    ये बयान मुख्यमंत्री द्वारा दिया जाता है आपको बता दें कि त्रिपुरा के मुख्यमंत्री प्रो (डॉ) माणिक साहा स्वयं डॉक्टर और शिक्षाविद् रहे हैं । राजनीति में आने से पूर्व वे त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर रहे हैं । जाहिर है ये स्पष्ट करता है कि शिक्षा के प्रति उनकी सरकार का रवैया कैसा होगा ।

    अब एक नजर देश की साक्षरता पर भी
    एनएसएसओ (National sample survey office)के अनुसार, भारत की औसत साक्षरता दर 80.9% दर्ज की गई है । (2024 के अनुसार)

    भारत के अन्य राज्यों की बात करें तो आंध्र प्रदेश की साक्षरता दर 72.6% भारत के सभी राज्यों में सबसे खराब है और बिहार की 74.3% से काफी कम है।

    संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने 1958 में साक्षरता की परिभाषा इस प्रकार दी थी: वह व्यक्ति साक्षर है जो अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के बारे में एक छोटा सा सरल बयान समझ के साथ पढ़ और लिख सकता है।

    बाद में इसमें थोड़ा बदलाव किया अब वह व्यक्ति “साक्षर” है जो कहता है कि वह अपनी पसंद की भाषा में अपने दैनिक जीवन के बारे में एक छोटा सा सरल कथन (समझ के साथ) पढ़ और लिख सकता है।

    नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे NFHS 5 (2019-2021) के अनुसार 15-49 आयु वर्ग की 60% महिलाएँ पूरा वाक्य पढ़ने में सक्षम थीं, जबकि 12% इसे आंशिक रूप से पढ़ने में सक्षम थीं। 15 से 54 वर्ष की आयु के पुरुषों में, 70% पूरा वाक्य पढ़ने में सक्षम थे, जबकि 13% आंशिक रूप से साक्षर थे।

    राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) ने भी 1992 से अब तक किए गए पांच सर्वेक्षणों में साक्षरता को मापा है।

    दोनों सर्वेक्षण अलग-अलग पद्धतियों का उपयोग करते हैं, जो उनके निष्कर्षों को प्रभावित करते हैं।

     

    साक्षरता के प्रकार

     

    युवा साक्षरता (Youth): 15–24 वर्ष के बीच

     

    वयस्क साक्षरता (Adult): 15 वर्ष और उससे ऊपर

     

    बुजुर्ग साक्षरता (Elderly): 65 वर्ष से ऊपर

     

    ⚙️ मापन की विधियाँ

     

    1. स्व‑घोषित (Self‐reported): लोग स्वयं बताते हैं कि वे पढ़‑लिख सकते हैं।

     

     

    1. घरेलू मुखिया‑के द्वारा (Household head): परिवार के मुखिया स्वयं या अपने सदस्यों के लिए यह जानकारी देते हैं।

     

     

    1. प्रशिक्षित परीक्षण (Proficiency tests): जैसे UNESCO के “एक सरल वाक्य पढ़ने और समझने” या PIAAC, LAMP जैसे परीक्षण ।

    साक्षरता आर्थिक गतिविधियों और विकास एक पैमाना भी है ये बताता है कि “ शिक्षा “ जो कि एक समवर्ती सूची का विषय है उसको लेकर सरकार कितनी संवेदनशील है और क्या प्रयास किए गए पिछले दशकों की तुलना में।

    चाहे वो केंद्र सरकार के द्वारा किए हो या राज्य सरकार नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 में अनेक प्रावधान शिक्षा को और सरल और आसानी से सभी को उपलब्ध हो सके इसलिए किए गए हैं ।

     

    साक्षरता साथ में जनता द्वारा राजनीतिक भागीदारी किस स्तर पर रहने वाली है इसको भी बताता है उदाहरण के लिए एक पढ़े लिखे नागरिक को ये समझ आ जाता है कि किसके पक्ष में मत देने का क्या परिणाम होगा और किसकी प्राथमिकता क्या है ।

     

    एक साक्षर समाज एक जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है । जो समय समय पर बनी हुई व्यवस्था को बदलने और उसमें सुधार करने की संभावनाओं को तलाशने में भी मदद करता है ।

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