रेलवे की इनकम कहां से आती है?

भारत में अगर कोई एक ऐसा परिवहन माध्यम है, जिस पर देश का आम आदमी सबसे ज्यादा भरोसा करता है, तो वह है — भारतीय रेल।

यह न केवल देश का सबसे सस्ता और सुलभ साधन है, बल्कि लंबी दूरी की यात्रा के लिए लगभग अनिवार्य विकल्प बन चुका है।

जहां बसों से यात्रा महंगी और समय लेने वाली होती है, वहीं हवाई यात्रा आज भी अधिकतर लोगों की पहुंच से बाहर है। ऐसे में ट्रेन ही वह माध्यम है जो सस्ते किराए पर पूरे देश को जोड़ती है।

भारत में हर दिन लगभग 2 से 2.5 करोड़ यात्री रेल से सफर करते हैं, और यह आंकड़ा किसी भी दूसरे देश की तुलना में बेहद विशाल है। भारतीय रेलवे, जो दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क हैसब्सिडी युक्त टिकट के जरिए करोड़ों लोगों को राहत देता है। रेलवे आज भी यात्रियों से टिकट की वास्तविक लागत से कम किराया वसूलता है, ताकि आम आदमी की जेब पर बोझ न पड़े।

लेकिन सस्ती यात्रा की इस सुविधा के पीछे रेलवे पर हर साल बढ़ता आर्थिक दबाव भी छुपा है — खासकर ईंधन, रखरखाव और कर्मचारियों के वेतन जैसे खर्चों में। यही कारण है कि अब रेलवे को लागत संतुलन के लिए एक बार फिर किराया बढ़ाने की ज़रूरत महसूस हो रही है। चार साल के अंतराल के बाद, अब भारतीय रेलवे फिर से यात्री किराए में बढ़ोतरी की योजना बना रहा है। जिसे 1 जुलाई 2025 से नया टैरिफ लागू किया जा सकता है।

1 जुलाई से बढ़ सकते हैं ट्रेन के किराए: चार साल बाद फिर संशोधन की तैयारी-

  • भारतीय रेलवे 1 जुलाई 2025 से नया किराया टैरिफ लागू करने की तैयारी में है। रिपोर्ट्स के मुताबिकमेल/एक्सप्रेस और एसी ट्रेनों के किराए में मामूली बढ़ोतरी की जाएगी।

     

    रेलवे के नए टैरिफ के अनुसार, सामान्य द्वितीय श्रेणी (Second Class) में 500 किलोमीटर तक यात्रा करने पर कोई वृद्धि नहीं होगी. लेकिन अगर यात्रा 500 किलोमीटर से ज्यादा की है तो प्रति किलोमीटर आधा पैसा अतिरिक्त देना होगा.

    वही इसके अलावा

    नॉन-एसी मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों के किराए में 1 पैसा प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी होगी। और एसी कोच (AC Class) के किराए में 2 पैसे प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी तय की गई है।

    इसका मतलब है कि यदि कोई यात्री 1000 किलोमीटर की दूरी तय करता है, तो नॉन-एसी में ₹10 और एसी में ₹20 का अतिरिक्त भुगतान करना होगा।

     

    ये नई दरें 1 जुलाई 2025 से प्रभावी होंगी। यानी इस तारीख के बाद की यात्रा के लिए जो भी टिकट बुक होंगे, उनका किराया नए टैरिफ के अनुसार लिया जाएगा।

    गौरतलब है कि रेलवे ने इससे पहले जनवरी 2020 में यात्री किरायों में संशोधन किया था। अब चार साल बाद फिर से किराया बढ़ाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य बढ़ती लागतों को संतुलित करना और यात्रियों को दी जा रही सुविधाओं को बरकरार रखना है।

  • भारत में ट्रेन का किराया इतना कम क्यों होता है?

    भारतीय रेलवे दुनिया की सबसे बड़ी रेल सेवाओं में से एक है, और यह केवल अपने नेटवर्क या रोज़ाना यात्रियों की संख्या के कारण नहीं, बल्कि बेहद किफायती किराए की वजह से भी खास है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में एक तुलनात्मक आंकड़ा पेश किया, जिससे यह साफ होता है कि भारत में ट्रेन यात्रा, दूसरे देशों की तुलना में कितनी सस्ती है। उनके मुताबिक, भारत में 350 किलोमीटर की ट्रेन यात्रा का औसत किराया केवल ₹121 है। जबकि, पाकिस्तान में यही दूरी तय करने पर ₹436, बांग्लादेश में ₹323 और श्रीलंका में ₹413 खर्च करने पड़ते हैं। यूरोपीय देशों की बात करें तो भारत की तुलना में वहां का किराया लगभग 10 से 20 गुना अधिक है।

     

    भारत और दुनिया के किराए में अंतर

    अगर हम सामान्य कोच में प्रति किलोमीटर किराए की बात करें तो भारत में यह केवल ₹0.50 से ₹0.75 तक है। वहीं, चीन में यही किराया ₹1.5 से ₹3, जापान में ₹7 से ₹10 और स्विट्ज़रलैंड में करीब ₹10 प्रति किलोमीटर तक है। अमेरिका जैसे देश, जहां ज्यादा ट्रेनों का नेटवर्क नहीं है, वहां भी किराया ₹5 से ₹12 प्रति किलोमीटर तक है। यह तुलना यह समझने के लिए काफी है कि भारतीय रेलवे किस हद तक आम जनता को राहत देता है और किस प्रकार से ‘जन परिवहन’ के मूल उद्देश्य को जीवित रखे हुए है।

     

    सरकार इतना कम किराया क्यों लेती है?

    अब सवाल यह उठता है कि भारत में इतना कम किराया संभव कैसे है? जवाब है – सब्सिडी। भारतीय रेलवे हर यात्री को भारी सब्सिडी देता है। विशेष वर्गों जैसे वरिष्ठ नागरिकों, विद्यार्थियों और दिव्यांगों को तो अलग से छूट दी जाती है, लेकिन सामान्य यात्रियों को भी टिकट की वास्तविक लागत से काफी कम दरों पर यात्रा की सुविधा दी जाती है। रेल मंत्री के मुताबिक, ट्रेन से प्रति किलोमीटर यात्रा की औसत लागत ₹1.38 है, जबकि यात्री से सिर्फ ₹0.73 ही वसूले जाते हैं। इसका मतलब है कि रेलवे हर यात्री को लगभग 47% की सब्सिडी दे रहा है।

     

    सब्सिडी पर रेलवे का वार्षिक बोझ

    यह सब्सिडी कोई छोटी राशि नहीं है। वित्त वर्ष 2022-23 में रेलवे ने यात्रियों को कुल ₹57,000 करोड़ की सब्सिडी दी थी। यह आंकड़ा 2023-24 में बढ़कर लगभग ₹60,000 करोड़ हो गया। यह राशि देश के रेलवे बजट का एक बड़ा हिस्सा है, जिसे रेलवे अपनी आमदनी, मालभाड़े और अन्य स्रोतों से संतुलित करता है। बावजूद इसके, रेलवे का लक्ष्य यही है कि यात्रियों को कम से कम किराए में सुरक्षित और बेहतर सेवा मिलती रहे।

     

    अब आप सोचेंगे रेलवे इतनी सब्सिडी देने  के बाद कमाई कहा से करता है ?

    भारतीय रेलवे सिर्फ ट्रेनों में यात्रियों को बैठाकर उन्हें उनके गंतव्य तक पहुँचाने का काम नहीं करता, बल्कि यह एक बहुआयामी राजस्व नेटवर्क की तरह भी काम करता है। ट्रेन टिकट के अलावा, रेलवे कई और माध्यमों से भी आमदनी करता है—जैसे कि माल ढुलाईप्लेटफॉर्म पर लगे विज्ञापन होर्डिंग्सस्टेशन पर मौजूद दुकानों से किरायाकोचिंग रेवेन्यू, और यहां तक कि ट्रेन में फिल्मों की शूटिंग के बदले करोड़ों रुपये की वसूली।

     

    कहाँ से कितना आता है पैसा?

    रेलवे के कुल राजस्व का लगभग 65% माल ढुलाई से आता है, जबकि यात्री किराया मात्र 30% हिस्सेदारी रखता है। शेष 5% आय अन्य स्रोतों—जैसे विज्ञापन, स्टेशन किराया, शूटिंग फीस आदि से आती है।

    दिलचस्प बात यह है कि यात्री किराए में भी AC क्लास जैसे First Class, 2-tier, 3-tier और Chair Car मिलाकर टोटल किराया का 54% योगदान देते हैं, जबकि इन डिब्बों में यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या मात्र 4.8% है। इसके विपरीतस्लीपर और जनरल क्लास मिलकर लगभग 37% यात्रियों को यात्रा कराते हैं। वहींसबअर्बन ट्रेनों (जैसे लोकल ट्रेनों) का योगदान यात्रियों की संख्या के लिहाज से सबसे ज़्यादा है—ये अकेले 57% यात्रियों को रोज़ सफर कराती हैं।

     

    लेकिन माल ढुलाई से सबसे बड़ी कमाई

    रेलवे ने 2024-25 में लगभग 2.7 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड कमाई हासिल की, जिसमें माल ढुलाई और यात्री राजस्व दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। यात्रियों की संख्या 6% बढ़कर 735 करोड़ हो गई, जबकि माल ढुलाई से राजस्व 1.75 लाख करोड़ रुपये हो गया।

    इसमें से अकेले माल ढुलाई से ही ₹1.75 लाख करोड़ की कमाई हुई, जबकि पैसेंजर सेवाओं से बाकी राजस्व मिला। इससे साफ है कि रेलवे की रीढ़ केवल यात्री किराया नहीं बल्कि मालवाहक गाड़ियाँ हैं। भारतीय रेलवे हर दिन लगभग 9,200 से अधिक मालगाड़ियाँ चलाता है।