भारत पिछले दो दशकों में अंतरिक्ष के क्षेत्र में तेज़ी से उभरा है, ISRO की उपलब्धियाँ जैसे चंद्रयान, मंगलयान, गगनयान इसके प्रमाण हैं। अब भारत अंतरराष्ट्रीय मानव मिशनों का भी अहम हिस्सा बनने लगा है। इसी क्रम में हाल ही में एक ऐतिहासिक मिशन Axiom-4 — चर्चा का विषय बना, जिसने भारत को अंतरिक्ष की वैश्विक साझेदारी में एक नई ऊँचाई पर पहुँचा दिया है।
अमेरिकी निजी अंतरिक्ष कंपनी Axiom Space ने NASA और SpaceX के सहयोग से अपना चौथा मानव मिशन — Axiom Mission-4 (Ax-4) — लॉन्च किया। यह मिशन स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट के माध्यम से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) की ओर रवाना हुआ।
इस मिशन की खास बात यह रही कि इसमें भारत के शुभांशु शुक्ला भी क्रू का हिस्सा थे। वे अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्रियों के साथ इस ऐतिहासिक यात्रा पर निकले, जिससे वे ISS में प्रवेश करने वाले पहले भारतीय प्रतिनिधि बन गए।
आज हम Axiom Mission-4 और उसमे भारत की भागीदारी के बारे में समझेगे।
क्या है- Axiom Mission-4:
Axiom मिशन 4 (Ax-4) इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए Axiom Space द्वारा आयोजित चौथा प्राइवेट ह्यूमन स्पेसफ्लाइट मिशन है। यह मिशन SpaceX और NASA के सहयोग से संचालित किया गया है। यह मिशन अंतरिक्ष के कमर्शियलाइजेशन (व्यवसायीकरण) में एक अहम कदम है और इंटरनेशनल कोलैबोरेशन (अंतरराष्ट्रीय सहयोग) को बढ़ावा देने के साथ-साथ माइक्रोग्रैविटी (सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण) में अत्याधुनिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है।
लॉन्च और गंतव्य:
Axiom मिशन 4 के तहत चार अंतरिक्षयात्रियों ने 25 जून को दोपहर लगभग 12 बजे फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी। इस मिशन के लिए स्पेसएक्स के अत्याधुनिक फाल्कन 9 रॉकेट और क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान का उपयोग किया गया। लगभग 28 घंटे की अंतरिक्ष यात्रा के बाद 26 जून को शाम 4:01 बजे अंतरिक्षयात्री सफलतापूर्वक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर पहुंचे। मिशन की कुल अवधि लगभग 14 दिन की है।
सहयोग और तकनीकी विशेषताएं:
इस मिशन को NASA के सहयोग से आयोजित किया गया, जो अंतरिक्ष अन्वेषण और अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच मजबूत साझेदारी को दर्शाता है। स्पेसएक्स का क्रू ड्रैगन यान इस मिशन में प्रयोग किया गया, जो अपनी आधुनिक तकनीक और सुरक्षा विशेषताओं के लिए जाना जाता है।
अंतरिक्षयात्रियों की टीम:
इस मिशन में चार अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्षयात्रियों का दल शामिल है:
पैगी व्हिटसन: अनुभवी अमेरिकी अंतरिक्षयात्री, जिन्होंने कई मिशनों का नेतृत्व किया है।
स्लावोस्ज़ उज़्नान्स्की: पोलैंड के अंतरिक्ष यात्री, जो इस मिशन के माध्यम से अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
टिबोर कापू: हंगरी से संबंधित अंतरिक्ष यात्री, जो इस दल में विविधता लाते हैं।
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला: भारतीय वायुसेना के अधिकारी, जो इस मिशन में भारत का गौरव बढ़ा रहे हैं।
भारत के लिए विशेष महत्व:
Axiom मिशन 4 भारत के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह मिशन ISRO और NASA के बीच हुए सहयोगात्मक समझौते का परिणाम है। इसके माध्यम से ISRO को गगनयान मिशन से जुड़े कुछ शुरुआती वैज्ञानिक प्रयोगों का परीक्षण करने का मौका मिला है। इससे गगनयान के लिए आवश्यक वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
प्रमुख भारतीय वैज्ञानिक प्रयोग:
Ax-4 मिशन में भारतीय अंतरिक्ष प्रयोगों को भी शामिल किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
सूक्ष्मगुरुत्व (Microgravity) में मांसपेशियों के शिथिल होने का अध्ययन।
शून्य गुरुत्वाकर्षण में कंप्यूटर स्क्रीन और मानव संज्ञान तथा दृष्टि पर उसका प्रभाव।
अंतरिक्षीय वातावरण में छह प्रकार के फसल बीजों की वृद्धि की निगरानी।
टार्डिग्रेड जीवों की उत्तरजीविता का अध्ययन, जो चरम स्थितियों में भी जीवित रह सकते हैं और जीवन समर्थन प्रणालियों की समझ को बेहतर बना सकते हैं।
भारत को कैसे होगा फायदा?
इस मिशन से भारत को कई स्तरों पर लाभ मिलने की संभावना है। सबसे पहले, यह ISRO के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के लिए एक उपयोगी पूर्वाभ्यास है, जिसमें 2027 तक भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा न केवल भारत-अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाएगी, बल्कि भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान और तकनीकी क्षमता में भी मजबूती प्रदान करेगी। उनका यह 14 दिवसीय मिशन भविष्य के भारतीय मानव मिशनों के लिए एक सीख और अनुभव का स्रोत बन सकता है।
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा की कीमत: भारत ने चुकाए 500 करोड़ रुपये
भारतीय वायुसेना के पायलट और अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की Axiom Space के जरिए की जा रही अंतरिक्ष यात्रा कोई मामूली मिशन नहीं है। इस यात्रा के लिए भारत सरकार ने Axiom को करीब ₹500 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि चुकाई है। यह रकम अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) तक एक सीट के लिए दी गई है।
पहले भी निजी अंतरिक्ष यात्रियों ने चुकाई है भारी रकम
Axiom द्वारा इससे पहले आयोजित किए गए निजी अंतरिक्ष मिशनों में भी यात्री अपनी जेब से पैसा देकर गए हैं। उदाहरण के लिए:
लैरी कॉनर – अमेरिकी रियल एस्टेट निवेशक, मार्क पाथी – कनाडाई उद्यमी, एटन स्टिब्बे – इज़राइल के पूर्व लड़ाकू पायलट
इन सभी ने Axiom को अपनी सीट के लिए खुद भुगतान किया था। लेकिन शुभांशु शुक्ला के मामले में स्थिति अलग है — उनकी यात्रा की पूरी लागत ISRO ने वहन की है, यानी उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कोई रकम नहीं चुकाई।
Axiom की टिकट लागत बनाम अन्य कंपनियां
Axiom Space द्वारा एक अंतरिक्ष यात्री के लिए $70 मिलियन की कीमत तय की गई है, जो बाकी कंपनियों के मुकाबले कहीं ज्यादा है:
Blue Origin (जेफ बेज़ोस की कंपनी): अंतरिक्ष यात्रा के लिए $150,000 का रिफंडेबल डिपॉज़िट लिया जाता है। उनकी एक टिकट $28 मिलियन में नीलाम भी हुई थी।
Virgin Galactic (रिचर्ड ब्रैनसन की कंपनी): फिलहाल टिकट बिक्री चालू नहीं है, लेकिन पहले इसकी कीमत $600,000 बताई गई थी।
इस तुलना से स्पष्ट है कि Axiom का टिकट दुनिया की सबसे महंगी अंतरिक्ष यात्राओं में से एक है, और भारत द्वारा शुभांशु शुक्ला की सीट के लिए किया गया निवेश अंतरिक्ष में वैश्विक स्तर पर भारत की भागीदारी को दर्शाता है।
Axiom Space की अंतरिक्ष यात्रा: क्यों है यह बाकी कंपनियों से अलग?
Blue Origin और Virgin Galactic जैसी कंपनियां मुख्य रूप से स्पेस टूरिज़्म (Space Tourism) पर फोकस करती हैं। उनका लक्ष्य है यात्रियों को कुछ मिनटों के लिए अंतरिक्ष की “edge” तक ले जाकर वहां zero gravity का अनुभव कराना और फिर वापस लाना।
Blue Origin: यात्रा महज 10–12 मिनट की होती है, और यात्रियों को कुछ मिनटों के लिए weightlessness (भारहीनता) का अनुभव कराया जाता है।
Virgin Galactic: यान वायुमंडल की ऊंची परतों तक जाता है, लेकिन यह भी ISS जैसी अंतरिक्ष प्रयोगशालाओं तक नहीं पहुंचता।
इन यात्राओं में वैज्ञानिक प्रयोग, लंबी अवधि की ट्रेनिंग या अंतरिक्ष अनुसंधान जैसी कोई विशेष प्रक्रिया नहीं होती।
Axiom Space मिशन: एक पूर्ण वैज्ञानिक और अंतरिक्षीय अभियान
Axiom Space की अंतरिक्ष यात्रा केवल “अंतरिक्ष की सैर” नहीं है — यह आपको एक प्रशिक्षित अंतरिक्ष यात्री (Trained Astronaut) बनने की प्रक्रिया से भी गुजारती है। इसके अंतर्गत:
एक साल की कठोर ट्रेनिंग: Axiom मिशन में जाने से पहले यात्रियों को करीब 8 से 12 महीनों की कठिन ट्रेनिंग से गुजरना होता है, जिसमें:
700 से 1000 घंटे की ट्रेनिंग शामिल होती है। यह ट्रेनिंग NASA, SpaceX, ESA और JAXA जैसी एजेंसियों के साथ मिलकर कराई जाती है, ट्रेनिंग में सेफ्टी, हेल्थ, ISS सिस्टम्स की जानकारी, इमरजेंसी प्रोटोकॉल, लॉन्च और री-एंट्री ऑपरेशंस शामिल होता है।
टेक्निकल और मिशन सिमुलेशन ट्रेनिंग: SpaceX के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट और Falcon 9 रॉकेट की बारीकियां सिखाई जाती हैं। नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर में ISS (अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन) की वास्तविक गतिविधियों की ट्रेनिंग दी जाती है — जैसे पेलोड हैंडलिंग, माइक्रोग्रैविटी में कार्य करना, और जीवनरक्षा प्रणाली।
लॉन्च से पहले मेडिकल और क्वारंटीन तैयारी: लॉन्च से 1 महीने पहले तक क्रू को मास्क पहनना होता है, अंतिम 2 हफ्तों में क्रू को क्वारंटीन (Isolation) में रहना होता है ताकि मिशन से पहले कोई संक्रमण न हो।
इसलिए ज्यादा महंगी है Axiom की टिकट
इस पूरे वैज्ञानिक और प्रोफेशनल मिशन के पीछे एक साल की ट्रेनिंग, तकनीकी तैयारी, रिसर्च एक्सपेरिमेंट्स, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग (NASA, ESA, JAXA) जुड़ा होता है — इसीलिए Axiom की टिकट लागत ($70 million) Blue Origin या Virgin Galactic से कई गुना ज्यादा है।