केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को मंजूरी दी, मिलेगा करोड़ों किसानों को फायदा

देश के पिछड़े और कम कृषि उत्पादन वाले जिलों के किसानों के लिए एक नई शुरुआत हुई है। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना की घोषणा 1 फरवरी 2025 को बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी। यह योजना वर्ष 2025-26 से शुरू होकर अगले 6 वर्षों तक लागू रहेगी।

इस योजना के तहत देश के 100 ऐसे जिलों को चिन्हित किया गया है जहाँ कृषि उत्पादन अपेक्षाकृत कम है। सरकार का लक्ष्य है कि इन क्षेत्रों में खेती को टिकाऊ, लाभदायक और विविधतापूर्ण बनाया जाए। इस योजना से करीब 1.7 करोड़ किसानों को सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है।

योजना का मुख्य उद्देश्य इन जिलों में कृषि उत्पादन को बढ़ावा देना, फसल विविधता को प्रोत्साहन देना, आधुनिक भंडारण सुविधाएं उपलब्ध कराना और किसानों को किफायती दरों पर ऋण उपलब्ध कराना है। इसके माध्यम से सरकार देश के कृषि ढांचे को मजबूत करने और हर किसान को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रही है।

कैसे चुने जाएंगे 'प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना' के 100 जिले?

केंद्र सरकार ने किसानों के विकास के लिए ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ की शुरुआत की है, जिसमें देश के 100 पिछड़े जिलों को चुना जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि इन जिलों का चयन किस आधार पर होगा?

प्रत्येक राज्य से कम से कम एक जिले को शामिल किया जाएगा। जिन जिलों में कृषि उत्पादकता कम है, फसल विविधता कम है और किसानों को ऋण वितरण की मात्रा भी कम है, ऐसे जिलों को प्राथमिकता दी जाएगी। जिलों की संख्या का निर्धारण राज्यों के नेट क्रॉप्ड एरिया (शुद्ध फसल क्षेत्र) और ऑपरेशनल होल्डिंग्स (परिचालन जोतों) के अनुसार किया जाएगा।

योजना की निगरानी बहुत ही वैज्ञानिक तरीके से की जाएगी। केंद्र सरकार 117 संकेतकों (indicators) के आधार पर हर जिले की प्रगति को देखेगी। इसके लिए एक डिजिटल डैशबोर्ड तैयार किया जाएगा जिससे हर स्तर पर निगरानी और मूल्यांकन आसान होगा।

 

हर जिले के लिए अलग योजना, प्रगतिशील किसानों की भी भूमिका

इस योजना की खास बात यह है कि हर जिले के लिए अलग-अलग प्रोजेक्ट तैयार किए जाएंगे। इन प्रोजेक्ट्स को लागू करने और उनकी निगरानी के लिए जिला, राज्य और केंद्र स्तर पर समितियाँ बनाई जाएंगी। इन समितियों में प्रगतिशील किसानों को भी सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा ताकि योजनाएं ज़मीनी हकीकत के अनुरूप बनें।

‘जिला धन-धान्य समिति’ कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में होने वाली गतिविधियों को अंतिम रूप देगी। इन योजनाओं का उद्देश्य होगा:

  • फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना
  • जल और मृदा स्वास्थ्य की रक्षा
  • प्राकृतिक और जैविक खेती का विस्तार
  • कृषि में आत्मनिर्भरता लाना

हर महीने योजना की प्रगति को डैशबोर्ड के माध्यम से मॉनिटर किया जाएगा। नीति आयोग इन योजनाओं की समीक्षा करेगा और केंद्रीय नोडल अधिकारी नियमित तौर पर ज़मीनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।

सरकार का लक्ष्य है कि इन पिछड़े जिलों को विकसित जिलों की बराबरी पर लाया जाए। इससे न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि कृषि उत्पादन और मूल्यवर्धन में भी तेजी आएगी। साथ ही, स्थानीय स्तर पर रोज़गार के अवसर भी बढ़ेंगे, जिससे आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को मजबूती मिलेगी।

 

36 योजनाओं का एकीकरण: इस योजना के अंतर्गत कुल 11 मंत्रालयों की 36 केंद्रीय योजनाओं को एकीकृत किया जाएगा। इसके साथ ही, राज्य सरकारों की योजनाओं और निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी जोड़ा जाएगा, जिससे संसाधनों का बेहतर समन्वय हो सके।

यह योजना देश के कृषि क्षेत्र में एक समग्र सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है, जो न केवल किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगी।

 

योजना से किसानों को मिलने वाले प्रमुख लाभ

  • उन्नत तकनीक और सिंचाई प्रणाली के माध्यम से खेती की पैदावार बढ़ेगी।
  • फसल विविधता और बेहतर बाजार पहुंच से किसानों को बेहतर मूल्य मिलेगा।
  • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए टिकाऊ कृषि पद्धतियाँ अपनाई जाएंगी।
  • पंचायत स्तर पर भंडारण सुविधाएं विकसित होने से उपज की बर्बादी कम होगी।
  • संस्थागत वित्त व्यवस्था को मजबूत कर, छोटे किसानों को भी आधुनिक तकनीक और सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।

यह योजना सिर्फ आर्थिक लाभ ही नहीं, बल्कि भारत के कृषि क्षेत्र को टिकाऊ, आधुनिक और समावेशी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।