कंबोडिया, दक्षिण-पूर्व एशिया का एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से समृद्ध देश, अपनी प्राचीन विरासत, विविध जैव-विविधता और गतिशील अर्थव्यवस्था के लिए जाना जाता है।
हाल ही में यह थाईलैंड के साथ सीमा विवाद के कारण अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में रहा है। प्रस्तुत लेख में हम कंबोडिया के भूगोल, इतिहास, प्रकृति, संस्कृति एवं अर्थव्यवस्था का समग्र परिचय प्राप्त करेंगे।
कंबोडिया का भौगोलिक परिदृश्य:
- स्थिति: कंबोडिया दक्षिण-पूर्व एशिया के इंडोचाइनीज प्रायद्वीप पर स्थित है।
- निर्देशांक: 10° से 15° उत्तरी अक्षांश और 102° से 108° पूर्वी देशांतर के बीच फैला है।
- सीमाएं:
- पश्चिम व उत्तर-पश्चिम: थाईलैंड
- उत्तर-पूर्व: लाओस
- पूर्व व दक्षिण-पूर्व: वियतनाम
- दक्षिण-पश्चिम: थाईलैंड की खाड़ी
- यह चीन, भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया को जोड़ने वाले प्रमुख स्थल व जलमार्गों के समीप स्थित है।
सामान्य जानकारी:
- राजधानी: फ्नोम पेन्ह (Phnom Penh)
- क्षेत्रफल: 1,81,035 वर्ग किलोमीटर
- जनसंख्या: लगभग 1.74 करोड़ (2023)
- आधिकारिक भाषा: खमेर (Khmer)
- मुद्रा: रिएल (Riel)
औसत आयु (2022): 69.9 वर्ष
कंबोडिया का इतिहास:

कंबोडिया, दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित एक प्राचीन और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध राष्ट्र है। यह देश अपने ऐतिहासिक स्मारकों, जैसे कि अंगकोर वाट, बौद्ध संस्कृति, मानसूनी जलवायु और खमेर साम्राज्य की गौरवशाली विरासत के लिए जाना जाता है। बीते कुछ वर्षों में इस देश ने आर्थिक विकास की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है, वहीं सामाजिक-राजनीतिक चुनौतियाँ और सीमावर्ती तनाव (विशेषकर थाईलैंड के साथ) इसे निरंतर अंतरराष्ट्रीय विमर्श में बनाए हुए हैं।
कंबोडिया का इतिहास महान खमेर साम्राज्य से लेकर उपनिवेशवाद, गृहयुद्ध और पुनर्निर्माण तक फैला हुआ है:
- 802–1431: कंबोडिया का स्वर्ण युग, जब अंगकोर शहर खमेर साम्राज्य की राजधानी था। इस अवधि में सम्राट जयवर्मन द्वितीय से लेकर जयवर्मन सप्तम तक के शासन में अद्भुत स्थापत्य, जल प्रबंधन प्रणाली और धर्म-कला का विकास हुआ।
- 1431: थाई आक्रमणों के कारण अंगकोर का पतन हुआ, और राजधानी को दक्षिण की ओर स्थानांतरित किया गया।
- 1863: फ्रांस ने कंबोडिया को अपने संरक्षण में ले लिया। यह औपनिवेशिक काल 90 वर्षों तक चला।
- 1941–45: जापान द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कब्जा, जिसके बाद 1945 में स्वतंत्रता की मांग तेज हुई।
- 1953: फ्रांस से स्वतंत्रता प्राप्त हुई और राजा नोरोडोम सिहानुक ने सत्ता संभाली।
- 1970: जनरल लोन नोल ने सिहानुक को अपदस्थ कर रिपब्लिक ऑफ कंबोडिया की स्थापना की।
- 1975–1979: खमेर रूज का भीषण शासन, पोल पॉट के नेतृत्व में, जिसमें करीब 20 लाख लोग मारे गए—यह एक नरसंहार के रूप में इतिहास में दर्ज है।
- 1979: वियतनामी हस्तक्षेप और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कंबोडिया की स्थापना हुई, हुन सेन का प्रभाव बढ़ा।
- 1991: पेरिस शांति समझौता के तहत शांति प्रक्रिया आरंभ हुई।
- 1993: संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में चुनाव, राजशाही की बहाली और सिहानुक की पुन: ताजपोशी हुई।
- 1997: हुन सेन द्वारा तख्तापलट कर सत्ता पर एकछत्र नियंत्रण स्थापित किया गया।
- 2004: राजा सिहानुक ने पद त्यागा, उनके पुत्र नोरोडोम सिहामोनी राजा बने।
- 2014: खमेर रूज के शीर्ष नेताओं को मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया।
- 2021–2023: हुन सेन ने अपने पुत्र हुन मानेट को उत्तराधिकारी घोषित किया, जो 2023 में प्रधानमंत्री बने।
- 2024–2025: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर नियंत्रण बढ़ा, और थाईलैंड के साथ सीमावर्ती तनाव पुनः उभरा।
प्रकृति और जैव विविधता: कंबोडिया का जलवायु मानसूनी हवाओं पर निर्भर है, जिसमें दो मुख्य ऋतुएँ होती हैं—
- मई से अक्टूबर तक दक्षिण-पश्चिमी मानसून भारी वर्षा और उच्च आर्द्रता लाता है
- जबकि नवंबर से मार्च तक उत्तर-पूर्वी मानसून शुष्क और कम आर्द्रता वाला मौसम लाता है।
तापमान वर्ष भर ऊँचा रहता है, अप्रैल में अधिकतम 35°C तक पहुँचता है। दक्षिण-पश्चिमी पहाड़ियों में वार्षिक वर्षा 5,000 मिमी से अधिक होती है, जबकि मध्य मैदानी क्षेत्र में लगभग 1,270–1,400 मिमी।
- वनस्पति: चावल के खेत, घास के मैदान, पर्णपाती और सदाबहार वन
- वन्य जीव: हाथी, बाघ, तेंदुआ, भालू, हिरण, और कई पक्षी जैसे मोर, बगुले, हंस
- प्रमुख जहरीले साँप: इंडियन कोबरा, किंग कोबरा, बैंडेड क्रेट और रसेल वाइपर
लोग और संस्कृति: कंबोडिया का स्वर्ण युग 9वीं से 14वीं शताब्दी के बीच अंगकोर काल में था, जब यह एक शक्तिशाली और समृद्ध साम्राज्य था जिसने पूरे आंतरिक दक्षिण-पूर्व एशिया पर प्रभुत्व जमाया। हालांकि, राजघराने के अंदर कलह और थाईलैंड (तत्कालीन सियाम) व वियतनाम (दाई वियेत) जैसे पड़ोसी देशों से लगातार युद्धों के कारण अंगकोर साम्राज्य का पतन हो गया।
फिर भी, उस युग की भव्य कला और संस्कृति के प्रतीक जैसे अंगकोर वाट और बायोन जैसे मंदिर आज भी थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस और वियतनाम में मौजूद हैं।
धर्म के क्षेत्र में, कंबोडिया मुख्य रूप से बौद्ध देश है जहाँ लगभग 90% जनसंख्या बौद्ध धर्म को मानती है। यह धर्म 5वीं शताब्दी से यहाँ मौजूद है और 13वीं शताब्दी से राज्य धर्म बना हुआ है (खमेर रूज काल को छोड़कर) । इसके अलावा 1% लोग ईसाई हैं, और बाकी आबादी इस्लाम, नास्तिकता या आदिवासी धर्मों का पालन करती है।
अर्थव्यवस्था: पिछले दो दशकों में कंबोडिया ने तेज़ आर्थिक विकास किया है, जहाँ 2000–2010 के बीच जीडीपी औसतन 8% और 2011 के बाद 7% की दर से बढ़ी।
- पर्यटन, वस्त्र, निर्माण और कृषि इस विकास के प्रमुख क्षेत्र रहे हैं।
- वस्त्र उद्योग में लगभग 7 लाख लोग कार्यरत हैं, जिनमें अधिकांश महिलाएँ हैं।
हालांकि, कंबोडिया अभी भी एशिया के सबसे गरीब देशों में शामिल है, जहाँ भ्रष्टाचार, शिक्षा की कमी, बेरोजगारी और बुनियादी ढांचे की कमी विकास में बाधा हैं। 2016 में वर्ल्ड बैंक ने इसे निम्न-मध्यम आय वाला देश घोषित किया, जिससे विदेशी सहायता घटने की संभावना है। कपड़ा निर्यात (2017 में कुल निर्यात का 68%) देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बना हुआ है, लेकिन अमेरिका और यूरोपीय संघ पर निर्भरता इसे अस्थिर बनाती है।
भारत-कंबोडिया संबंध:
भारत और कंबोडिया के द्विपक्षीय संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक स्तर पर सशक्त होते जा रहे हैं। दोनों देशों ने समय के साथ साझेदारी को व्यापार, संस्कृति, रक्षा, स्वास्थ्य और मानवीय मूल्यों के क्षेत्रों में विस्तार दिया है। प्रस्तुत विवरण में भारत-कंबोडिया संबंधों की प्रमुख विशेषताएं और हालिया व्यापारिक आँकड़ों को समाहित किया गया है।
राजनयिक संबंधों की शुरुआत:
- भारत ने 1952 में, कंबोडिया की स्वतंत्रता से एक वर्ष पहले ही उससे राजनयिक संबंध स्थापित कर लिए थे।
- 1953 में स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरंत बाद, भारत को कंबोडिया के नेतृत्व द्वारा एक निकटतम मित्र और प्रेरणा के स्रोत के रूप में देखा गया।
भारतीय प्रवासी समुदाय:
- प्रारंभिक प्रवास: आधुनिक काल में पहले भारतीय 1960 और 1970 के दशक में कंबोडिया पहुँचे।
- मूल राज्य: अधिकांश भारतीय तमिलनाडु से आए थे।
- व्यवसाय: ये लोग जौहरी, सूदखोर और व्यापारी के रूप में फ्नोम पेन्ह के Central Market क्षेत्र में बसे।
- खमेर रूज के पतन के बाद कई भारतीय वापस लौटे और पुनः बस गए।
- समुदाय का स्वरूप: संख्या में कम होने के बावजूद, यह एक घनिष्ठ, सुसंगठित और स्थानीय समाज में समाहित समूह है।
भारत-कंबोडिया व्यापार संबंध
मई 2025 में भारत और कंबोडिया के बीच व्यापारिक संबंधों में संतुलन भारत के पक्ष में रहा। भारत ने कंबोडिया को कुल $11.4 मिलियन का निर्यात किया, जबकि कंबोडिया से $7.67 मिलियन का आयात किया। इस प्रकार, भारत को $3.74 मिलियन का व्यापार अधिशेष प्राप्त हुआ। हालांकि, मई 2024 की तुलना में मई 2025 में भारत के निर्यात में $1.6 मिलियन (12.3%) की गिरावट दर्ज की गई, जबकि आयात में $1.68 मिलियन (28%) की वृद्धि हुई।
भारत के प्रमुख निर्यात वस्तुओं में औषधीय उत्पाद एवं जैविक दवाएं ($4.47 मिलियन), मोटर वाहन/कारें ($683 हजार), और बैटरियां व एक्यूम्युलेटर ($628 हजार) शामिल रहे। वहीं, कंबोडिया से भारत द्वारा आयात किए गए प्रमुख उत्पादों में रेडीमेड वस्त्र (कॉटन) ($2.22 मिलियन), रेडीमेड वस्त्र (कृत्रिम रेशा) ($1.28 मिलियन), और प्रोसेस्ड फूड व अन्य वस्तुएं ($988 हजार) प्रमुख रहे।
निष्कर्ष:
कंबोडिया एक ऐसा राष्ट्र है जो प्राचीन खमेर विरासत और आधुनिक विकास की यात्रा का सजीव उदाहरण प्रस्तुत करता है। देश ने औपनिवेशिक शोषण, गृहयुद्ध और नरसंहार जैसी भीषण त्रासदियों को झेला है, किंतु इनसे उबरते हुए उसने अपनी राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक प्रगति की दिशा में कई सराहनीय कदम उठाए हैं।
फिर भी, यह स्वीकार करना होगा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, मानवाधिकार और सुशासन के क्षेत्र में अब भी अनेक सुधार अपेक्षित हैं। सतत विकास और समावेशी प्रगति के लिए कंबोडिया को अपनी युवा शक्ति, तकनीकी नवाचार और क्षेत्रीय सहयोग की दिशा में और अधिक प्रयास करना होगा। यदि इन क्षेत्रों में सुदृढ़ निवेश किया जाए, तो कंबोडिया निकट भविष्य में एक सामाजिक-आर्थिक रूप से सशक्त राष्ट्र बन सकता है।