जयपुर के हरमाड़ा इलाके में सोमवार दोपहर हुए भीषण सड़क हादसे ने पूरे शहर को झकझोर दिया। लोहामंडी रोड पर शराब के नशे में धुत एक डम्पर ट्रक चालक ने 300 मीटर तक कहर मचाया, जिससे 13 लोगों की मौत (इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार) और कम से कम 10 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। बेकाबू ट्रक रास्ते में आने वाली कारों, बाइक और राहगीरों को रौंदता चला गया, जब तक कि वह एक भीषण टक्कर के बाद रुक नहीं गया। टक्कर इतनी भयंकर थी कि शव पहचान से परे क्षत-विक्षत हो गए, तथा दुर्घटना स्थल पर ही कई पीड़ितों के अंग कट गए।
प्रधानमंत्री ने गहरा दुख व्यक्त किया:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जयपुर में हुई इस दर्दनाक दुर्घटना पर गहरा शोक जताया। उन्होंने कहा, “जयपुर में हुई दुर्घटना में लोगों की मौत से बहुत दुखी हूं। मेरी संवेदनाएं उन परिवारों के साथ हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है। मैं कामना करता हूं कि घायल लोग जल्द ठीक हो जाएं।” प्रधानमंत्री ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है।
आपको बता दे, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा तथा पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी हादसे में लोगों की मौत पर दुख व्यक्त किया है।
हादसा कैसे हुआ?
बताया जा रहा है कि RJ-14 GP 8724 नंबर वाला डम्पर रोड नंबर 14 से लोहा मंडी पेट्रोल पंप की ओर जा रहा था, जब चालक ने अचानक वाहन पर नियंत्रण खो दिया और कई गाड़ियों को कुचल दिया। शुरुआती जांच में पता चला है कि चालक कल्याण मीणा, जो विराटनगर का रहने वाला है, हादसे के समय शराब के नशे में था। CCTV फुटेज के अनुसार, डंपर 100 से ज्यादा की स्पीड में दौड़ते नजर आ रहा है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, हादसे से करीब डेढ़ किलोमीटर पहले पेट्रोल पंप के पास डम्पर चालक का एक कार चालक से झगड़ा हुआ था। इसी झगड़े के कुछ समय बाद वह आगे बढ़ा और बेकाबू होकर कई वाहनों से टकरा गया। टक्कर के बाद कई गाड़ियाँ एक-दूसरे से भिड़ गईं और भारी नुकसान हुआ। गंभीर रूप से घायल लोगों को सवाई मान सिंह अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है, जहाँ डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ लगातार इलाज में जुटे हैं।
स्थानीय लोगों ने किया विरोध प्रदर्शन:
सड़क पर बिखरे क्षतिग्रस्त वाहनों और मलबे के बीच लोगों द्वारा मदद के लिए चीख-पुकार मचाने से इलाके में दहशत और अफरा-तफरी मच गई। आपातकालीन सेवाओं के पहुँचने से पहले स्थानीय निवासी घायलों की मदद के लिए दौड़ पड़े। इस भीषण दुर्घटना के बाद स्थानीय लोग दुर्घटना स्थल पर एकत्र हो गए और प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया तथा दोषी ट्रक चालक की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने अधिकारियों पर लापरवाही और यातायात सुरक्षा उपायों के खराब क्रियान्वयन का आरोप लगाया और कुछ समय के लिए सड़क को अवरुद्ध कर दिया।
प्रशासन आगे की कार्रवाई में जुटा:
जयपुर प्रशासन ने हादसे के बाद तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी। जिला कलेक्टर जितेंद्र सोनी ने बताया कि अब तक 13 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 10 लोग SMS अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हैं, जिनमें कई की हालत गंभीर है।
सूचना मिलते ही हरमाड़ा पुलिस और अधिकारी मौके पर पहुँचे और बचाव कार्य शुरू किया। एम्बुलेंस की मदद से घायलों को अस्पताल पहुँचाया गया और पुलिस हादसे के असली कारणों की जांच कर रही है। घायलों को पास के अस्पतालों में इलाज के लिए भेजा गया है और मृतकों की पहचान की जा रही है। फिलहाल, पुलिस ने ट्रक चालक को गिरफ्तार कर लिया है और यह जांच की जा रही है कि वह शराब के नशे में था या नहीं। वही, कलेक्टर सोनी ने इस हादसे की जांच के लिए सात लोगों की एक कमेटी बनाई है। यह कमेटी पाँच दिनों में जांच पूरी करके अपनी रिपोर्ट जमा करेगी।
दो दिन पहले भी हुआ था भीषण हादसा:
यह हादसा दो दिनों में हुई दूसरी बड़ी सड़क दुर्घटना है। रविवार देर शाम जोधपुर जिले के मतोड़ा गांव के पास एक टेंपो ट्रैवलर खड़े ट्रक से टकरा गया था। इस दर्दनाक हादसे में 10 महिलाओं और 4 बच्चों समेत 15 तीर्थयात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो लोग गंभीर रूप से घायल हुए।
जानकारी के अनुसार, सभी यात्री जोधपुर के चांदपोल इलाके के रहने वाले थे और देवउठनी एकादशी पर बीकानेर के कोलायत स्थित कपिल मुनि आश्रम में पूजा-अर्चना कर लौट रहे थे। हादसा जोधपुर से लगभग 80 किलोमीटर पहले हुआ।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि भारतमाला राजमार्ग के किनारे एक ढाबे के सामने ट्रक खड़ा था। तेज रफ्तार में आ रहे टेंपो ट्रैवलर ने जब ओवरटेक करने की कोशिश की, तो वह सड़क किनारे खड़े ट्रेलर से टकरा गया। टक्कर इतनी जोरदार थी कि वाहन का अगला हिस्सा पूरी तरह चकनाचूर हो गया। घायलों को पहले ओसियां अस्पताल में भर्ती कराया गया और बाद में बेहतर इलाज के लिए जोधपुर रेफर किया गया। लगातार दो दिनों में हुए इन दर्दनाक हादसों ने पूरे राजस्थान को सदमे में डाल दिया है।
भारत में सड़क दुर्घटना संबंधित आंकड़े:
साल 2023 में भारत में कुल 4.64 लाख सड़क दुर्घटनाएँ दर्ज की गईं, जिनमें 1.73 लाख लोगों की मौत हुई और 4.47 लाख से ज्यादा लोग घायल हुए। यह आंकड़ा 2022 की तुलना में करीब 1.6% ज्यादा है।
राष्ट्रीय राजमार्ग, जो देश की कुल सड़कों का केवल 2% हैं, उन पर सबसे ज्यादा दुर्घटनाएँ हुईं, यहाँ 34.6% यानी 60,127 लोगों की जान गई। राज्य राजमार्गों पर 23.4% यानी 40,611 मौतें दर्ज की गईं। इनमें उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा हादसे और मौतें हुईं।
सड़क दुर्घटनाओं के मुख्य कारण:
- मानवीय कारण: करीब 85% हादसे इंसानी गलती से होते हैं, तेज रफ्तार, नशे में ड्राइविंग, मोबाइल पर ध्यान भटकना और थकान बड़ी वजहें हैं। 2023 में 68% मौतें तेज रफ्तार के कारण हुईं। हेलमेट और सीट बेल्ट न पहनना भी कई जानें लेता है। साथ ही, ट्रैफिक नियमों का पालन कमजोर है और लोगों में सुरक्षा उपकरणों के उपयोग की समझ कम होना भी मुख्य वजह है।
- वाहन संबंधी कारण: कई वाहनों में सुरक्षा सुविधाओं की कमी होती है। खराब रखरखाव और पुरानी तकनीक के कारण हादसों में मौतें बढ़ती हैं। 2014 के NCAP टेस्ट में भारत की कई कारें अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों पर खरी नहीं उतरीं।
- सड़क अवसंरचना: गड्ढे, तीखे मोड़, खराब रोशनी और अंडरपास या फुटओवरब्रिज की कमी भी दुर्घटनाओं का कारण बनती हैं।
- आपातकालीन सहायता: दुर्घटना के बाद मदद में देरी और ट्रॉमा सेंटरों की कमी से कई लोगों की मौत “गोल्डन ऑवर” यानी हादसे के पहले घंटे में हो जाती है।
- डेटा और निगरानी की कमी: भारत में दुर्घटनाओं पर राष्ट्रीय स्तर का सटीक डेटा नहीं है, जिससे सड़क सुरक्षा नीतियाँ प्रभावी नहीं बन पातीं।
सड़क दुर्घटनाओं के नुकसान:
भारत में सड़क दुर्घटनाएं हर साल भारी आर्थिक और सामाजिक नुकसान करती हैं, जिससे देश को GDP का लगभग 3% नुकसान होता है। हर साढ़े तीन मिनट में एक व्यक्ति सड़क हादसे में जान गंवाता है। विश्व बैंक के अनुसार, 75% से ज्यादा गरीब परिवारों की आय हादसे के बाद घट जाती है और वे इलाज व खर्चों के लिए ऊंचे ब्याज पर कर्ज लेने को मजबूर हो जाते हैं, जिससे वे आर्थिक संकट में फंस जाते हैं।
भारत में सड़क सुरक्षा संबंधित पहलें:
सरकारी पहलें:
- राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति (2010) और मोटर वाहन संशोधन अधिनियम (2019) के जरिए सड़क सुरक्षा नियमों को सख्त किया गया।
- राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद और डेटाबेस बनाए गए ताकि दुर्घटनाओं की जानकारी और विश्लेषण किया जा सके।
- अन्य कानून जैसे राष्ट्रीय राजमार्ग नियंत्रण अधिनियम (2000) और NHAI अधिनियम (1998) भी सड़क सुरक्षा से जुड़े हैं।
- भारत ने वैश्विक लक्ष्य 2030 के तहत सड़क हादसों में 50% कमी का संकल्प लिया है।
सुप्रीम कोर्ट की पहलें:
- 2014 में बनी राधाकृष्णन समिति ने राजमार्गों पर शराब बिक्री पर रोक और हेलमेट नियम लागू करने की सिफारिश की।
- कोर्ट ने राज्यों को सड़क सुरक्षा परिषद, कोष और स्कूलों में सड़क सुरक्षा शिक्षा शुरू करने का निर्देश दिया।
वैश्विक पहलें:
- ब्रासीलिया घोषणा (2015) और संयुक्त राष्ट्र का सड़क सुरक्षा दशक (2021–2030) – दोनों का लक्ष्य 2030 तक सड़क हादसों से मौतों में 50% कमी लाना है।
- ब्लूमबर्ग इनिशिएटिव फॉर ग्लोबल रोड सेफ्टी (BIGRS) विकासशील देशों में सुरक्षित सड़क उपाय लागू कर रही है।
निष्कर्ष:
यह हादसा न केवल लापरवाही और नशे में वाहन चलाने की भयावहता को उजागर करता है, बल्कि सड़क सुरक्षा उपायों की सख्त आवश्यकता की भी याद दिलाता है। ऐसी त्रासदियाँ तब तक दोहराई जाती रहेंगी जब तक कानून का सख्ती से पालन, प्रभावी निगरानी और जनजागरूकता को प्राथमिकता नहीं दी जाती। हर जीवन की कीमत है, और सड़क पर जिम्मेदारी ही उस कीमत की रक्षा कर सकती है।
