केरल की निवासी 38 वर्षीय भारतीय नर्स निमिषा प्रिया पिछले आठ वर्षों से यमन की राजधानी सना की सेंट्रल जेल में कैद हैं। उन पर एक यमनी नागरिक की हत्या का आरोप है, जिसके चलते उन्हें मौत की सजा सुनाई गई है। यमन की अदालत ने उनकी फांसी की तारीख 16 जुलाई 2025 तय कर दी है, जिससे उनके परिवार में गहरा भय और चिंता का माहौल है। अब उन्हें बचाने की अंतिम आशा ‘ब्लड मनी’ पर टिकी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, निमिषा के परिवार ने मृत यमनी नागरिक के परिजनों को ब्लड मनी के रूप में 10 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 8.6 करोड़ रुपये) की पेशकश की है। यह प्रयास एकमात्र रास्ता है जिससे निमिषा प्रिया को मौत की सजा से राहत मिल सकती है।

निमिषा प्रिया मामला: एक भारतीय नर्स जिसे यमन में मिली मौत की सजा
कौन हैं निमिषा प्रिया?
निमिषा प्रिया केरल की रहने वाली एक प्रशिक्षित नर्स हैं, जिनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता दिहाड़ी मजदूर थे। बेहतर जीवन की तलाश में, उन्होंने 2008 में यमन की राजधानी सना का रुख किया और वहीं एक निजी अस्पताल में काम शुरू किया। 2011 में उन्होंने इडुक्की निवासी टॉमी थॉमस से शादी की और यमन में ही बस गईं। इस दंपत्ति की एक बेटी भी है। बाद में निमिषा ने अपना मेडिकल क्लिनिक खोलने का फैसला किया।
क्या है पूरा मामला?
यमन के कानूनों के मुताबिक, विदेशी नागरिक वहां स्वतंत्र रूप से व्यवसाय पंजीकृत नहीं कर सकते। इसलिए किसी स्थानीय साझेदार की आवश्यकता होती है। इसी क्रम में निमिषा ने तलाल अब्दो महदी नामक एक यमनी नागरिक को अपना व्यवसायिक साझेदार बनाया। रिपोर्ट के अनुसार यह तलाल अब्दो महदी, निमिषा के पति टॉमी थॉमस का दोस्त बताया गया है। महदी 2015 में प्रिया की बेटी के बपतिस्मा समारोह में शामिल होने केरल भी आया था, हालांकि प्रिया यमन लौट गईं, लेकिन सिविल वॉर के कारण उनके पति और बेटी उनके साथ नहीं जा सके. वे केरल में ही रह गए थे, इसके बाद से यमन में महदी ने प्रिया का फायदा उठाने की ठान ली शुरुआत में महदी ने क्लिनिक की रजिस्ट्रेशन में मदद की, लेकिन जल्द ही वह निमिषा को परेशान करने लगा।
महदी ने दावा किया कि निमिषा उसकी दूसरी पत्नी है और वह उस पर मानसिक दबाव डालने लगा। वह बार-बार पैसे की मांग करता और उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया। परेशान होकर निमिषा ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई, जिससे महदी कुछ समय के लिए जेल गया, लेकिन बाहर आकर उसने फिर से उसे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया।
घटना का मोड़: हत्या और शव नष्ट करने की कोशिश
बताया गया कि 2017 में, पासपोर्ट वापस लेने और खुद को महदी के दबाव से मुक्त करने के लिए, निमिषा ने उसे बेहोश करने का प्रयास किया। उसने महदी को एक इंजेक्शन लगाया, जो कथित तौर पर ओवरडोज़ हो गया और उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद, निमिषा और उसकी सहयोगी हनान (एक यमनी नागरिक) ने शव को ठिकाने लगाने की कोशिश की और महदी के शरीर को टुकड़ों में काटकर एक पानी के टैंक में फेंक दिया।
सजा और वर्तमान स्थिति
2018 में, यमन की अदालत ने निमिषा प्रिया को मृत्युदंड (फांसी) की सजा सुनाई, जबकि सहअभियुक्त हनान को आजीवन कारावास की सजा दी गई। निमिषा प्रिया फिलहाल सना सेंट्रल जेल में बंद हैं। उनका परिवार उनकी फांसी की सजा को टालने के लिए यमनी कानून के तहत “ब्लड मनी” (रक्त मुआवजा) देने का प्रयास कर रहा है।
ब्लड मनी की पेशकश
निमिषा के परिवार ने कथित रूप से मृतक महदी के परिजनों को 10 लाख डॉलर (लगभग ₹8.6 करोड़) की ब्लड मनी देने की पेशकश की है। यदि मृतक के परिवार द्वारा इस मुआवज़े को स्वीकार कर लिया जाता है, तो यमन की अदालत निमिषा की फांसी की सजा को माफ कर सकती है।
आइए समझते है, क्या होती है ब्लड मनी?
इस्लामी शरिया कानून के अनुसार, ‘ब्लड मनी’ (Blood Money) या ‘दिया’ एक ऐसा मुआवज़ा होता है जो किसी हत्या या गंभीर अपराध की स्थिति में अभियुक्त (दोषी व्यक्ति) द्वारा पीड़ित के परिवार को दिया जाता है। इसका उद्देश्य न्याय देने के साथ-साथ क्षमा के भाव को बढ़ावा देना होता है।
शरिया कानून के अनुसार हत्या दो प्रकार की होती है —
पहली, जानबूझकर की गई हत्या, जिसकी सजा आम तौर पर मृत्युदंड (फांसी) होती है।
दूसरी, गलती से की गई हत्या, जिसमें मौत की सजा जरूरी नहीं होती। ऐसी स्थिति में क़ुरान की आयत (4:92) के अनुसार, हत्यारे को ब्लड मनी के रूप में पीड़ित परिवार को आर्थिक मुआवज़ा देना होता है।
अगर पीड़ित के परिजन चाहें, तो वे हत्यारे को माफ कर सकते हैं, बशर्ते कि हत्यारा तय की गई रकम समय पर और उचित तरीके से अदा करे। इस प्रक्रिया को शरीयत कानून मान्यता देता है।
ब्लड मनी का उद्देश्य केवल सज़ा से बचना नहीं, बल्कि पीड़ित परिवार को सम्मानजनक मुआवज़ा देना और सामाजिक संतुलन बनाए रखना होता है।
सेव निमिषा प्रिया काउंसिल और ब्लड मनी की पेशकश
साल 2020 में जैसे ही यमन की जेल में बंद केरल की नर्स निमिषा प्रिया को फांसी की सजा सुनाए जाने की खबर सामने आई, वैसे ही भारत में विशेष रूप से केरल में उसे बचाने के लिए एक मुहिम शुरू की गई। इस मुहिम का नाम रखा गया – “सेव निमिषा प्रिया काउंसिल”।
इस काउंसिल ने निमिषा की फांसी को टालने के लिए ‘ब्लड मनी’ जुटाने की दिशा में प्रयास किए और लगभग 1 मिलियन डॉलर (लगभग ₹8.6 करोड़) की राशि एकत्र भी कर ली। इस रकम को मारे गए यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी के परिवार को मुआवज़े के रूप में देने की तैयारी थी। लेकिन, ब्लड मनी तभी दी जा सकती है जब पीड़ित परिवार आरोपी को माफ कर दे। इस मामले में अब तक महदी का परिवार निमिषा को माफ करने के लिए तैयार नहीं हुआ है, जिस कारण यह धनराशि अभी तक काम में नहीं लाई जा सकी है।
निमिषा प्रिया की माँ की अपील और सरकार की भूमिका
निमिषा प्रिया की 12 वर्षीय बेटी मिशेल इस समय केरल के कोठमंगलम में एक छात्रावास में रह रही हैं। मिशेल के पिता टॉमी थॉमस और दादी प्रेमा कुमारी लगातार भारत सरकार से हस्तक्षेप की अपील कर रहे हैं ताकि उनकी बेटी को फांसी की सजा से बचाया जा सके।
प्रेमा कुमारी इस समय यमन में मौजूद हैं और वे मारे गए यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी के परिवार से माफी और समझौते की कोशिशें कर रही हैं। उन्होंने मीडिया से कहा, “अगर हमें माफी मिल जाती है, तो शायद मेरी बेटी की जान बच जाए। बस यही एक रास्ता है।”
हालांकि अब तक भारत सरकार की ओर से कोई ठोस सार्वजनिक बयान नहीं आया है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 14 जुलाई 2025 को सुनवाई की तारीख तय की है और केंद्र सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा है कि उसने अब तक क्या प्रयास किए हैं।
अब निमिषा प्रिया के पास बहुत कम समय बचा है। यदि 16 जुलाई से पहले पीड़ित परिवार औपचारिक माफी नहीं देता या भारत सरकार कोई निर्णायक राजनयिक पहल नहीं करती, तो उसे यमन में फांसी दे दी जाएगी।