हाल के वर्षों में युवा दिखने की चाह में एंटी-एजिंग दवाओं, विटामिन सप्लीमेंट्स और त्वचा में चमक लाने वाली गोलियों का चलन तेजी से बढ़ा है। यह ट्रेंड खासतौर पर शहरी क्षेत्रों और ग्लैमर इंडस्ट्री में तेजी से फैल रहा है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि ये दवाएं यदि गलत तरीके से या खाली पेट ली जाएं, तो गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं।
इसी संदर्भ में, मॉडल और अभिनेत्री शेफाली जरीवाला की अचानक मौत ने एक बार फिर इस मुद्दे को राष्ट्रीय चर्चा में ला दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 42 वर्षीय शेफाली ने हाल ही में कुछ एंटी-एजिंग दवाएं, विटामिन सप्लीमेंट्स और त्वचा चमकाने वाली गोलियां ली थीं। इन दवाओं का खाली पेट सेवन उनके लिए जानलेवा साबित हुआ।
बताया जा रहा है कि उन्होंने व्रत के दौरान ग्लूटाथियोन इंजेक्शन और अन्य पोषण दवाओं का सेवन किया था, जिससे उनका ब्लड प्रेशर अचानक गिरा और उन्हें कार्डियक अरेस्ट आया।
उन्हें तत्काल मुंबई के बेलव्यू अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
प्रारंभिक जांच में डॉक्टरों ने खाली पेट हाई-पावर दवाओं के इस्तेमाल को संभावित कारण बताया है।
यह घटना एक चेतावनी है कि दवाओं और इंजेक्शनों का इस्तेमाल बिना विशेषज्ञ मार्गदर्शन के कितना खतरनाक हो सकता है।
ग्लूटाथियोन इंजेक्शन क्या है?

आज की तेज़ी से बदलती जीवनशैली में सुंदर और चमकदार त्वचा की चाहत लोगों को तरह-तरह के उपचारों की ओर आकर्षित कर रही है। इन्हीं में एक नाम तेजी से लोकप्रिय हो रहा है — ग्लूटाथियोन इंजेक्शन। हालांकि यह तकनीक वैज्ञानिक रूप से प्रभावशाली मानी जाती है, लेकिन अनियंत्रित और अव्यवस्थित उपयोग इसके पीछे छिपे गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों की ओर इशारा करता है।
ग्लूटाथियोन एक प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट है जो शरीर की कोशिकाओं को मुक्त कणों (Free Radicals) से बचाने का काम करता है। यह तीन अमीनो एसिड — सिस्टीन, ग्लाइसिन और ग्लूटामिक एसिड — से मिलकर बना होता है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सशक्त करता है और ऊतकों की मरम्मत, प्रोटीन संश्लेषण आदि में भी उपयोगी होता है। इसी कारण यह त्वचा को चमकदार और जवान बनाए रखने में कारगर माना जाता है।
ग्लूटाथियोन का उपयोग और विवाद
ग्लूटाथियोन टैबलेट, कैप्सूल, जैल और सबसे विवादास्पद रूप — इंजेक्शन (IV ग्लूटाथियोन) में उपलब्ध होता है। जहां भारत में इसे कुछ विशेष लिवर संबंधी बीमारियों के लिए स्वीकृति प्राप्त है, वहीं स्किन लाइटनिंग के लिए इसका इंजेक्शन के रूप में उपयोग अब भी अवैज्ञानिक और गैर-मान्यता प्राप्त है।
फिर भी, सौंदर्य केंद्रों और सोशल मीडिया के प्रभाव में आकर लोग इसका अंधाधुंध सेवन कर रहे हैं, जो आगे चलकर जानलेवा भी हो सकता है।
कैसे काम करता है ग्लूटाथियोन?
ग्लूटाथियोन त्वचा में मौजूद टायरोसिनेस एंजाइम को रोकता है, जिससे मेलानिन का निर्माण कम हो जाता है। यह प्रक्रिया त्वचा को गहरे से हल्के रंग में परिवर्तित करती है, जिससे त्वचा साफ, निखरी और गोरी दिखाई देती है। इसके अलावा यह उम्र बढ़ाने वाले फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को भी कम करता है।
खुराक और सुरक्षित उपयोग
विशेषज्ञों के अनुसार, ग्लूटाथियोन की मौखिक खुराक 500 मि.ग्रा. प्रतिदिन पर्याप्त मानी जाती है। इंजेक्शन की सुरक्षित खुराक 600–1200 मि.ग्रा. सप्ताह में एक या दो बार होनी चाहिए, वह भी केवल डॉक्टर की निगरानी में।
गौरतलब है कि US FDA ने त्वचा को गोरा करने के लिए ग्लूटाथियोन के इंजेक्शन को अब तक स्वीकृति नहीं दी है, क्योंकि अधिक मात्रा में इसका प्रयोग गंभीर प्रतिक्रियाएं पैदा कर सकता है।
इसके दुष्प्रभाव क्या हैं?
भले ही यह त्वचा की चमक बढ़ाने में सहायक हो, लेकिन इसके इंजेक्शन के रूप में प्रयोग से जुड़े कुछ गंभीर खतरे भी हैं: त्वचा पर चकत्ते, खुजली, पित्ती या एलर्जिक रिएक्शन, थायरॉइड की गड़बड़ी, पेट दर्द, उल्टी या अपच, गुर्दे और यकृत की कार्यक्षमता में कमी, लंबे समय तक प्रयोग से अंग विफलता का खतरा
सावधानी क्यों ज़रूरी है?
ग्लूटाथियोन कोई आम ब्यूटी प्रोडक्ट नहीं, बल्कि एक चिकित्सकीय तत्व है, जिसका प्रयोग योग्य डॉक्टर, मान्य खुराक और सुरक्षित चिकित्सा वातावरण में ही किया जाना चाहिए। हाल ही में मॉडल और अभिनेत्री शेफाली जरीवाला की मृत्यु ने इस विषय पर गंभीर बहस को जन्म दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने खाली पेट ग्लूटाथियोन इंजेक्शन लिया था, जिससे उनका बीपी गिरा और कार्डियक अरेस्ट हुआ।