स्टारलिंक-अमेजन की साझेदारी, भारत के लिए कैसे मददगार ?

भारत जैसे विशाल भूभाग और विविध भौगोलिक परिस्थितियों वाले देश में सभी क्षेत्रों तक इंटरनेट पहुंचाना एक बड़ी चुनौती रही है। दूरदराज़ के गांव, पहाड़ी इलाके और सीमावर्ती क्षेत्रों में फाइबर केबल या मोबाइल टॉवर से इंटरनेट देना तकनीकी और आर्थिक रूप से कठिन होता है। इसी चुनौती का समाधान माना जाता है – सैटेलाइट ब्रॉडबैंड

पिछले कुछ वर्षों में भारत सरकार ने डिजिटल इंडिया जैसे अभियानों के माध्यम से हर नागरिक तक डिजिटल सेवाएं पहुंचाने की कोशिश की है। लेकिन, ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों तक कनेक्टिविटी अभी भी एक बड़ी बाधा बनी हुई है। ऐसे में अब भारत उच्च तकनीक आधारित समाधान की ओर बढ़ रहा है, जिसमें सैटेलाइट कम्युनिकेशन तकनीक सबसे अहम भूमिका निभा सकती है।

 

अब इसी दिशा में एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम सामने आया है। अमेरिका की दो दिग्गज टेक कंपनियां — एलन मस्क की स्टारलिंक (Starlink) और अमेजन की कुईपर (Amazon Kuiper) ने भारत में पहली बार वाणिज्यिक साझेदारी (Commercial Partnership) की है।

दोनों कंपनियों ने भारत में Very Small Aperture Terminal (VSAT) सेवाएं देने वाली कंपनियों के साथ समझौते किए हैं।

आइए जानते है, क्या है Very Small Aperture Terminal (VSAT)?

    • VSAT एक छोटा दो-तरफा ग्राउंड स्टेशन होता है जो उपग्रहों के साथ सीधे संवाद करता है। इसकी ऊंचाई आमतौर पर तीन मीटर से कम होती है और यह रीयल-टाइम में संकरी (narrowband) और ब्रॉडबैंड (broadband) दोनों प्रकार की डेटा सेवाएं भेजने और प्राप्त करने में सक्षम होता है। यह डेटा फिर दुनिया के अन्य दूरदराज़ टर्मिनल्स या हब्स तक पहुंचाया जा सकता है।

       

      कैसे काम करता है VSAT नेटवर्क?

      VSAT नेटवर्क आमतौर पर एक सेंट्रल हब और कई रीमोट टर्मिनल्स से मिलकर बना होता है। टर्मिनल उपग्रह के ज़रिए डेटा भेजता है, जिसे सेंट्रल हब तक फॉरवर्ड किया जाता है। यह हब फिर उसे इंटरनेट या किसी अन्य नेटवर्क से जोड़ देता है।

      इसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है जैसे:

      रिटेल (Retail): Walmart ने सबसे पहले VSAT के जरिए अपने इन्वेंट्री सिस्टम को मैनेज कर वास्तविक समय (real-time) में डेटा एकत्र करना शुरू किया। इससे लॉजिस्टिक्स लागत में भारी कमी आई।

      मैन्युफैक्चरिंग (Manufacturing): उत्पादन आंकड़ों की निगरानी, ऑर्डर ट्रैकिंग और रीयल टाइम रिपोर्टिंग संभव हुई।

      शेयर बाजार (Stock Exchange): भारत का नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) दुनिया के सबसे बड़े VSAT नेटवर्क्स में से एक का उपयोग करता है, जिससे देश के दूरदराज इलाकों में ट्रेडिंग की सुविधा उपलब्ध हो पाती है।

       

      VSAT के लाभ और सीमाएं

      लाभ:

      • इंफ्रास्ट्रक्चर की कम आवश्यकता: रिमोट इलाकों में तार बिछाने या टॉवर लगाने की जरूरत नहीं होती।
      • तेजी से तैनाती योग्य: कुछ दिनों में सेवा चालू हो सकती है।
      • लोकल नेटवर्क से स्वतंत्र: नेटवर्क फेल होने की स्थिति में बैकअप के रूप में कार्य करता है।
      • मोबाइल और पोर्टेबल: आवश्यकता पड़ने पर इसे दूसरी जगह स्थापित किया जा सकता है।

      सीमाएं:

      • लेटेंसी (Latency): क्योंकि डेटा को पृथ्वी से हजारों किलोमीटर ऊपर जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट में भेजा जाता है, कुछ सेकंड की देरी हो सकती है। इससे वीडियो कॉल या गेमिंग जैसे दोतरफा संवाद प्रभावित हो सकते हैं।
      • मौसम पर निर्भरता: बारिश, तूफान या बादलों के समय सिग्नल कमजोर हो सकता है।
      • भवनों या पेड़ों की बाधा: लाइन-ऑफ-साइट कनेक्शन जरूरी होता है, यानी बीच में कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए।

       

      भारत में VSAT सेवाएं: बढ़ती प्रतिस्पर्धा और बदलता परिदृश्य

      भारत में उपग्रह आधारित ब्रॉडबैंड सेवाओं का भविष्य अब पूरी तरह से नए मोड़ पर आ गया है। जहां पहले कुछ चुनिंदा कंपनियों का दबदबा था, अब अंतरराष्ट्रीय दिग्गज जैसे स्टारलिंक (Starlink) और अमेजन कुइपर (Amazon Kuiper) की एंट्री ने VSAT क्षेत्र में तेज प्रतिस्पर्धा को जन्म दे दिया है।

       

      भारत के प्रमुख VSAT प्लेयर्स

      भारत में पहले से मौजूद VSAT सेवा प्रदाताओं में ह्यूजेस कम्युनिकेशंस इंडिया, नेल्को, और इनमारसैट जैसे नाम प्रमुख हैं। इसके अलावा बीएसएनएल भी कुछ सरकारी क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देता है। अब इन खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। स्टारलिंक और कुइपर का सीधा मुकाबला यूरोप की यूटेलसैट वनवेब से भी होगा, जो भारत में भारती ग्रुप के सहयोग से सेवाएं दे रही है।

      इन दोनों कंपनियों ने भारत के लिए एक हाइब्रिड मॉडल अपनाया है। इसका मतलब है कि वे एक ओर सीधे उपभोक्ताओं तक अपनी सेवाएं पहुंचाएंगी, तो दूसरी ओर लोकल पार्टनर्स के माध्यम से भी सेवाएं उपलब्ध कराएंगी। स्टारलिंक पहले ही रिलायंस जियो और एयरटेल के साथ साझेदारी के संकेत दे चुकी है और वह अपनी वेबसाइट के ज़रिए डायरेक्ट कंज्यूमर कनेक्शन भी जल्द शुरू करने वाली है। अमेजन कुइपर भी इसी मॉडल को अपनाएगी और भारत की विविधता को देखते हुए किसी एक डिस्ट्रीब्यूटर पर निर्भर नहीं रहेगी।

       

      VSAT सेवाओं का इस्तेमाल कहां होता है?

      VSAT सेवाओं का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है। बैंक ब्रांच और एटीएम, दूरदराज़ के पेट्रोल पंप, वेयरहाउस, रिटेल चेन, सेल्युलर टॉवर बैकहॉल, समुद्री जहाजों और इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी, तथा डिफेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्र इन सेवाओं पर निर्भर हैं। खासतौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों या दुर्गम स्थानों पर जहां परंपरागत वायर नेटवर्क उपलब्ध नहीं होता, वहां VSAT ही एकमात्र विकल्प है।

       

      क्यों महत्वपूर्ण हैं ये समझौते?

      ये पार्टनरशिप भारत में B2B (बिजनेस-टू-बिजनेस) और B2G (बिजनेस-टू-गवर्नमेंट) सैटेलाइट इंटरनेट सेवा की दिशा में नींव रखने जैसा है।

      इससे ग्रामीण क्षेत्रों, सरकारी परियोजनाओं, आपदा प्रबंधन, रक्षा सेवाओं और रिमोट हेल्थ/एजुकेशन जैसे क्षेत्रों में स्मूद और हाई-स्पीड कनेक्टिविटी संभव हो पाएगी।

      स्पेक्ट्रम एलोकेशन से पहले ही इस प्रकार की तैयारी यह दर्शाती है कि वैश्विक कंपनियां भारत को भविष्य के सैटेलाइट इंटरनेट हब के रूप में देख रही हैं।

       

      भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी

      भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी के क्षेत्र में बीते वर्षों में अभूतपूर्व प्रगति देखने को मिली है। वर्ष 2024 तक भारत में लगभग 974 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं, जो देश की कुल जनसंख्या का लगभग 56% प्रतिनिधित्व करते हैं। इसमें खास बात यह है कि अब इंटरनेट विस्तार का नेतृत्व शहरी क्षेत्रों की बजाय ग्रामीण भारत कर रहा है। लगातार चौथे साल 2024 में ग्रामीण इंटरनेट यूजर्स की संख्या शहरी यूजर्स से अधिक रही — ग्रामीण क्षेत्र में 488 मिलियन उपयोगकर्ता दर्ज किए गए, जबकि शहरी क्षेत्रों में 397 मिलियन।

       

      स्टारलिंक को मिला GMPCS लाइसेंस, अमेजन कुइपर भी रेस में

      एलन मस्क की कंपनी Starlink को देश में GMPCS (Global Mobile Personal Communication by Satellite) लाइसेंस भी मिल चुका है। यह लाइसेंस कंपनी को भारत में उपग्रह के ज़रिए इंटरनेट सेवाएं देने की अनुमति देता है। हालांकि, इसे अभी IN-SPACe से अंतिम स्वीकृति मिलनी बाकी है।

      सरकार ने Starlink को एक ड्राफ्ट एग्रीमेंट भेज दिया है और उम्मीद है कि जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी। वहीं दूसरी ओर, Amazon Kuiper की फाइलें अभी मंत्रालय में समीक्षा के अधीन हैं। संचार मंत्रालय Starlink को ट्रायल स्पेक्ट्रम देने की तैयारी कर रहा है ताकि कंपनी सुरक्षा परीक्षणों को पूरा कर सके।

      कुछ दिन पहले दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने Starlink के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुलाकात की थी, जिससे यह साफ हो गया कि सरकार इस प्रोजेक्ट को लेकर गंभीर है। Starlink जल्द ही अपनी वेबसाइट के जरिए भारत में सीधे ग्राहकों को सेवाएं देना शुरू करेगी।

       

      भारत में VSAT का भविष्य

      भारत में VSAT नेटवर्क डिजिटल विस्तार की रीढ़ बनता जा रहा है। जैसे-जैसे अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कंपनियां इस क्षेत्र में निवेश कर रही हैं, वैसे-वैसे इंटरनेट का लोकतंत्रीकरण संभव हो पाएगा। अब डिजिटल इंडिया की परिकल्पना केवल मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि वह देश के सुदूर गांवों, सीमावर्ती इलाकों और समुद्री क्षेत्रों तक पहुंचेगी — और इसमें सबसे बड़ी भूमिका निभाएगा VSAT नेटवर्क।