4,843 करोड़ की धोखाधड़ी: Jane Street पर SEBI की सबसे बड़ी कार्रवाई

भारतीय शेयर बाजार की निगरानी और विनियमन का कार्यभार भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के पास है। SEBI का प्रमुख उद्देश्य निवेशकों के हितों की सुरक्षा, बाजार की पारदर्शिता बनाए रखना और बाजार में अनुशासन स्थापित करना है। बीते वर्षों में SEBI ने कई बार विदेशी और घरेलू संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है जब भी उन्हें बाजार में हेरफेर या अनुचित लाभ कमाने के सबूत मिले हैं।

 

हाल ही में SEBI ने अमेरिका की प्रमुख ट्रेडिंग फर्म Jane Street Group पर भारतीय शेयर बाजार में हिस्सा लेने पर रोक लगा दी है। इस फर्म पर आरोप है कि उसने डेरिवेटिव सौदों के माध्यम से भारतीय स्टॉक इंडेक्स में हेरफेर की और इससे अवैध रूप से ₹4,843 करोड़ का लाभ कमाया। SEBI ने न केवल Jane Street को प्रतिबंधित किया है, बल्कि उससे यह अवैध कमाई भी वसूलने (disgorge) का आदेश दिया है। यह कार्रवाई भारत में बाजार पारदर्शिता को बनाए रखने और ऐसे बाहरी हेरफेर को रोकने की दिशा में एक सख्त कदम माना जा रहा है।

अब जानते हैं – जेन स्ट्रीट क्या है?

जेन स्ट्रीट ग्रुप LLC एक वैश्विक ट्रेडिंग फर्म है जिसकी शुरुआत वर्ष 2000 में न्यूयॉर्क में कुछ ट्रेडिंग विशेषज्ञों और टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल्स ने मिलकर की थी। आज यह कंपनी 45 से ज्यादा देशों में कार्यरत है और इसके पास लगभग 2,600 पेशेवरों की टीम है। यह फर्म मुख्य रूप से एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETFs), इक्विटी, बॉन्ड्स और ऑप्शंस के बाजार में व्यापार करती है।

जेन स्ट्रीट की सबसे बड़ी ताकत उसका डेटा एनालिसिस और तकनीकी टूल्स का इस्तेमाल है, जिससे वह उच्च गति और सटीकता के साथ ट्रेडिंग करती है। इसके दुनियाभर में कई सहयोगी संस्थान हैं—अमेरिका में जेन स्ट्रीट कैपिटल और जेन स्ट्रीट एग्जीक्यूशन सर्विसेज, यूरोप में जेन स्ट्रीट फाइनेंशियल लिमिटेड (यूके) और नीदरलैंड्स B.V., जबकि एशिया में इसकी शाखा जेन स्ट्रीट हांगकांग लिमिटेड है।

 

जेन स्ट्रीट पर SEBI द्वारा क्या आरोप लगाए गए हैं?

SEBI की विस्तृत जांच में यह बात सामने आई कि Jane Street ने भारतीय शेयर बाजार में ‘इंट्रा डे इंडेक्स मैनिपुलेशन’ की रणनीति अपनाई। इसका मतलब है कि कंपनी ने एक ही दिन के भीतर कैश इक्विटी, स्टॉक फ्यूचर्स, इंडेक्स फ्यूचर्स और इंडेक्स ऑप्शंस में बड़े पैमाने पर ट्रेडिंग की—लेकिन इस ट्रेडिंग का मकसद केवल मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि जानबूझकर बाजार की दिशा को प्रभावित करना था।

आरोप यह है कि Jane Street ने निफ्टी बैंक इंडेक्स से जुड़े शेयरों और फ्यूचर्स को दिन की शुरुआत में भारी मात्रा में खरीदा, जिससे इनकी कीमतें कृत्रिम रूप से बढ़ गईं। फिर, दिन के अंत में वही शेयर और फ्यूचर्स बेचे गए, जिससे कीमतों में गिरावट आई। इस उतार-चढ़ाव का फायदा उन्होंने इंडेक्स ऑप्शन पोजिशन में उठाया, जहां उन्होंने पहले से ही दांव लगाया हुआ था।

SEBI ने यह भी बताया कि Jane Street ने ‘कैश इक्विवेलेंट’ यानी नकद के समान समझे जाने वाले सौदों में अत्यधिक जोखिम उठाया, खासतौर पर उन दिनों जब ऑप्शंस की एक्सपायरी होती थी। कंपनी ने इतनी बड़ी मात्रा में खरीद-बिक्री की कि उसने न केवल शेयरों की कीमतें प्रभावित कीं बल्कि पूरे इंडेक्स की दिशा को पलट दिया।

 

अब जानते हैं – कैश इक्विवैलेंट क्या होता है?

कैश इक्विवैलेंट” उन वित्तीय संपत्तियों (financial instruments) को कहा जाता है:

  • जो बहुत ही शॉर्ट-टर्म होती हैं (आमतौर पर 3 महीने या उससे कम समय की),
  • जिन्हें बेहद आसानी से नकद में बदला जा सकता है,
  • जिनमें बाजार में बेचने का जोखिम बहुत कम होता है।

उदाहरण:

  • ट्रेज़री बिल्स (Treasury Bills)
  • मनी मार्केट फंड्स
  • बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट्स (कम अवधि वाले)
  • हाई रेटेड कॉर्पोरेट पेपर्स

ट्रेडर्स इन संपत्तियों को मार्जिन के रूप में गिरवी रखते हैं, जिससे वे डेरिवेटिव सौदों में भाग ले सकते हैं और साथ ही इस दौरान कुछ ब्याज भी कमा सकते हैं।

Jane Street ने भी F&O ट्रेडिंग में “कैश इक्विवैलेंट्स” का इस्तेमाल किया। लेकिन SEBI का आरोप है कि उसने इन्हें केवल ट्रेडिंग के उद्देश्य से नहीं, बल्कि बाजार को प्रभावित करने और हेरफेरी के मकसद से इस्तेमाल किया

 

 

जाने – जेन स्ट्रीट ने कैसे की बाजार में हेरफेर ?

शेयर बाजार में आखिरी मिनटों की ट्रेडिंग बेहद संवेदनशील मानी जाती है, खासतौर पर उस दिन जब ऑप्शंस और फ्यूचर्स की एक्सपायरी होती है। इन अंतिम क्षणों में शेयरों की कीमतों में मामूली बदलाव भी लाखों-करोड़ों के मुनाफे या नुकसान का कारण बन सकता है। कई बार कुछ बड़ी संस्थाएं इसी समय का फायदा उठाकर मार्केट को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश करती हैं। इस प्रकार की चालों में एक रणनीति है – “मार्किंग-द-क्लोज”, जिसे इस बार Jane Street पर लागू किया गया है।

 

मार्किंग-द-क्लोज क्या है और Jane Street ने कैसे किया इसका इस्तेमाल? SEBI की जांच में सामने आया कि Jane Street Group ने ‘मार्किंग-द-क्लोज’ (Marking the Close) नाम की रणनीति का दुरुपयोग किया। इसका मतलब होता है – दिन के अंत में शेयरों की कीमतों को जानबूझकर ऊपर या नीचे ले जाना ताकि उससे जुड़ी डेरिवेटिव पोजिशन (जैसे ऑप्शंस) से मुनाफा कमाया जा सके।

Jane Street सुबह के समय निफ्टी बैंक से जुड़ी कंपनियों के शेयर और फ्यूचर्स भारी मात्रा में खरीदती थी। इससे इंडेक्स ऊपर चला जाता था। इस बढ़े हुए इंडेक्स को देखकर अन्य ट्रेडर्स को लगता था कि बाज़ार की दिशा ऊपर की ओर है, इसलिए वे ऑप्शंस में तेजी की पोजिशन ले लेते थे। लेकिन Jane Street जानती थी कि दिन के आखिर में वह वही शेयर बेच देगी, जिससे बाजार अचानक गिर जाएगा।

SEBI ने बताया कि Jane Street की यह रणनीति पूरी तरह से सुनियोजित थी—कंपनी जानबूझकर बाजार को पहले ऊपर ले जाती, फिर उसे गिरा देती, और इस उतार-चढ़ाव का फायदा अपने ऑप्शन ट्रेड्स (जैसे शॉर्ट कॉल और लॉन्ग पुट) में उठाती थी।

 

अब सवाल उठता है – Jane Street ने कुल कितना मुनाफा कमाया?
SEBI की जांच रिपोर्ट के अनुसार, 2023 से मार्च 2025 तक Jane Street ने ऑप्शंस ट्रेडिंग से कुल ₹43,290 करोड़ का लाभ कमाया।

हालांकि, इस अवधि में कंपनी को अन्य सेगमेंट्स में भारी नुकसान भी हुआ:

  • स्टॉक फ्यूचर्स में ₹7,208 करोड़ का नुकसान
  • इंडेक्स फ्यूचर्स में ₹191 करोड़ का नुकसान
  • कैश मार्केट में ₹288 करोड़ का नुकसान

इन सबको समायोजित करने के बाद Jane Street का शुद्ध लाभ ₹36,502 करोड़ रहा।

 

SEBI ने इसमें से कितनी कमाई को अवैध माना?
SEBI ने यह पाया कि Jane Street ने 21 ऐसे ट्रेडिंग दिनों में जानबूझकर बाजार में हेरफेर की, जिनमें उसकी रणनीतियों ने इंडेक्स की दिशा को अप्राकृतिक ढंग से बदला।
इन 21 “मैनिपुलेटिव” दिनों के आधार पर SEBI ने ₹4,843.57 करोड़ की कमाई को अवैधघोषित किया है और इसे Disgorge यानी जब्त करने का आदेश जारी किया है।

 

 

SEBI की निर्णायक कार्रवाई: Jane Street पर लगे प्रतिबंध और उनके पीछे का उद्देश्य

SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने Jane Street Group के खिलाफ जो कठोर कदम उठाए हैं, वे भारतीय शेयर बाजार की पारदर्शिता, निष्पक्षता और अनुशासन को बनाए रखने की दिशा में बेहद अहम माने जा रहे हैं। यह कार्रवाई न केवल एक उदाहरण है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि चाहे कंपनी कितनी भी बड़ी या विदेशी क्यों न हो, यदि वह बाजार में हेरफेर करेगी, तो उस पर कड़ी कार्यवाही निश्चित है।

  1. अवैध मुनाफे की जब्ती (Disgorgement of Unlawful Gains): SEBI ने Jane Street द्वारा कमाए गए₹4,843.57 करोड़ के अवैध मुनाफे को जब्तकरने का आदेश दिया है। इस रकम को कंपनी को एक एस्क्रो अकाउंट (Escrow Account) में जमा कराना होगा, जिसे SEBI की निगरानी में संचालित किया जाएगा।

यह क्यों जरूरी है? Disgorgement का उद्देश्य उस धन को वापस लेना होता है जो किसी भी तरह के अनैतिक या गैरकानूनी तरीके से कमाया गया हो। इससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी कंपनी ऐसे कृत्यों से लाभ न उठा सके और भविष्य में भी दूसरे संस्थानों को एक चेतावनी मिल सके।

  1. भारतीय शेयर बाजार में प्रतिबंध: SEBI ने Jane Street कोभारतीय पूंजी बाजार में किसी भी प्रकार की भागीदारी से रोक दिया है। यह प्रतिबंध सीधे और अप्रत्यक्ष दोनों तरीकों से लागू होगा। यानी न तो कंपनी स्वयं ट्रेड कर सकती है और न ही किसी सहयोगी या एजेंट के माध्यम से।

इसका उद्देश्य क्या है? इस कदम का मकसद यह है कि कंपनी किसी अन्य माध्यम से भी भारतीय बाजार में हेरफेर न कर सके। यह एक तरह से बाजार की सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करने का तरीका है ताकि पारदर्शिता और ईमानदारी बनी रहे।

  1. बैंक, डीमैट और कस्टोडियल अकाउंट्स को फ्रीज करना: SEBI ने Jane Street केसभी बैंक खाते, डीमैट अकाउंट और कस्टोडियन खातों को फ्रीजकरने का आदेश दिया है। अब कंपनी इन खातों से बिना SEBI की अनुमति के कोई भी लेन-देन नहीं कर सकती।
  2. भारत में संपत्ति बेचने पर रोक: SEBI ने यह भी सुनिश्चित किया है किJane Street भारत में अपनी कोई भी संपत्ति न बेच सके, जब तक कि जांच प्रक्रिया पूरी न हो जाए और सभी दायित्वों का निर्वहन न कर दिया जाए।

इस कदम के पीछे का कारण: अगर किसी कंपनी को अपनी संपत्ति बेचने की अनुमति मिल जाए, तो वह जांच के दौरान सबूत मिटा सकती है या अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों से बच सकती है। इस रोक के जरिए SEBI ने यह सुनिश्चित किया है कि Jane Street अपनी जवाबदेही से मुकर न सके।

 

अब जानते हैं – आगे क्या हो सकता है?

  1. SEBI के आदेश के खिलाफ आपत्ति का अधिकार: Jane Street को SEBI द्वारा दिए गए आदेश के खिलाफ21 दिनों के भीतर आपत्ति दर्ज कराने का अधिकारहै। इसके तहत कंपनी SEBI को लिखित जवाब दे सकती है और व्यक्तिगत सुनवाई (Personal Hearing) की मांग भी कर सकती है।
  2. तब तक पाबंदियां जारी रहेंगी: जब तक SEBI कोई नया आदेश नहीं देता, तब तकसभी प्रतिबंध लागू रहेंगे—चाहे वह ट्रेडिंग बैन हो, बैंक अकाउंट फ्रीज हों या संपत्ति की बिक्री पर रोक।
  3. स्टॉक एक्सचेंजों को सतर्क किया गया: SEBI ने भारत केसभी प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों (जैसे NSE और BSE)को Jane Street की गतिविधियों पर सख्त निगरानी रखने का निर्देश दिया है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कंपनी सीधे या किसी और माध्यम से फिर से बाजार में घुसपैठ न कर सके।
  4. जांच का दायरा और बढ़ सकता है: SEBI Jane Street की अन्य इंडेक्स और एक्सचेंजों में हुई ट्रेडिंग की भी जांचकर सकता है। यानी जांच केवल निफ्टी बैंक या 21 मैनिपुलेटिव दिनों तक सीमित नहीं रहेगी।