दिल्ली-NCR में भूकंप बार-बार क्यों आता है? ये है इसके पीछे की वजह

दिल्ली और एनसीआर हाल के वर्षों में भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र के रूप में सामने आए हैं। बीते कुछ महीनों में यहां बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं।  फरवरी और अप्रैल 2025 में भी राजधानी में कंपन दर्ज की गई थी, जो यह दर्शाता है कि यह क्षेत्र भूकंप गतिविधियों का लगातार सामना कर रहा है।
अब गुरुवार को एक बार फिर दिल्ली और एनसीआर में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र हरियाणा के झज्जर में था और इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.4 मापी गई। भूकंप की तीव्रता मध्यम रही, लेकिन इसकी वजह से कई इमारतों में कंपन महसूस हुआ । यह इस साल दिल्ली-एनसीआर में तीसरी बार भूकंप का अनुभव है, इससे पहले 17 फरवरी और 19 अप्रैल को भी भूकंप आया था।

आइए समझते हैं कि दिल्ली में बार-बार भूकंप क्यों आते हैं, लेकिन उससे पहले जान लेते हैं भूकंप क्या होता है।

  • भूकंप क्या है?

    भूकंप (Earthquake) या भूचाल, पृथ्वी की सतह का अचानक हिलना है, जो पृथ्वी के भीतर संचित ऊर्जा के अचानक मुक्त होने से होता है। यह ऊर्जा भूकंपीय तरंगों (Seismic Waves) के रूप में बाहर निकलती है और धरती को हिला देती है।

    भूकंप आने का कारण:

    भूकंप मुख्यतः पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों के कारण आते हैं। ये प्लेटें लगातार गति में रहती हैं। जब वे एक-दूसरे से टकराती हैं, फंस जाती हैं या खिसकती हैं, तो अत्यधिक दबाव बनने पर एक झटके से ऊर्जा मुक्त होती है, जिससे भूकंप आता है।

     

    भूकंप के प्रकार:

    1. टेक्टोनिक भूकंप – टेक्टोनिक प्लेटों की टक्कर या खिसकने से होते हैं।
    2. ज्वालामुखीय भूकंप – ज्वालामुखी विस्फोट या मैग्मा की गति से आते हैं।
    3. पतन भूकंप – खदानों या गुफाओं के ढहने से उत्पन्न होते हैं।
    4. विस्फोट भूकंप – परमाणु या बड़े धमाकों के कारण होते हैं।

     

    भूकंप के प्रभाव:

    • जमीन का हिलना – इमारतों और सड़क जैसे ढांचों को नुकसान।
    • सतह पर दरारें – जिससे खतरा और बढ़ जाता है।
    • भूस्खलन – पहाड़ी इलाकों में मिट्टी-चट्टानें खिसक सकती हैं।
    • सुनामी – समुद्र के अंदर भूकंप से विशाल लहरें उत्पन्न हो सकती हैं।

     

    अब समझते हैं कि दिल्ली में बार-बार भूकंप क्यों आते हैं

    दिल्ली और आसपास के इलाकों में भूकंप के झटकों की खबरें अब आम हो चुकी हैं। कभी हल्के तो कभी मध्यम तीव्रता वाले इन झटकों ने न सिर्फ लोगों को डरा रखा है, बल्कि विशेषज्ञों को भी चेतावनी दी है कि राजधानी एक संवेदनशील भूकंपीय क्षेत्र बन चुकी है। आखिर ऐसा क्यों है? चलिए इसे विस्तार से समझते हैं—

     

    दिल्ली का सिस्मिक जोन, ‘जोन 4’ क्यों है खतरनाक?

    भारत को भूकंप के खतरे के आधार पर चार जोन में बांटा गया है—

    • Zone-2: सबसे कम खतरे वाला क्षेत्र
    • Zone-3: मध्यम खतरा
    • Zone-4: उच्च खतरा
    • Zone-5: अत्यधिक खतरा

    दिल्ली-एनसीआर को Zone-4 में रखा गया है, जो दर्शाता है कि यहां रिक्टर स्केल पर 6.0 से 7.0 तीव्रता वाले भूकंप आने की संभावना रहती है। इसका मतलब है कि भले ही बड़े भूकंप की आशंका न हो, लेकिन बार-बार हल्के या मध्यम झटके जरूर आते रहेंगे। यही कारण है कि दिल्ली को ‘हाई रिस्क जोन’ में गिना जाता है।

     

    दिल्ली में भूकंप का हिमालयी प्रभाव:

    दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील है, और इसका एक बड़ा कारण हिमालयी क्षेत्र के भूगर्भीय बदलाव हैं। दरअसल, दिल्ली उस भूभाग के पास स्थित है जहां दो विशाल टेक्टोनिक प्लेटें भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट आपस में टकराती हैं। इन्हीं प्लेटों के टकराव से हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ था, और आज भी इन प्लेटों की हलचल जारी है।

    जब ये प्लेटें एक-दूसरे से खिसकती या दबाव में आती हैं, तो ज़मीन के भीतर भारी मात्रा में ऊर्जा जमा हो जाती है। जब यह ऊर्जा एक झटके के रूप में बाहर निकलती है, तो भूकंप उत्पन्न होता है। दिल्ली-एनसीआर इस टेक्टोनिक तनाव के दायरे में आता है, इसलिए यहां बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं।

    इसके अलावा, दिल्ली की ज़मीन के नीचे कई सक्रिय फॉल्ट लाइन्स भी मौजूद है,  ये भ्रंश रेखाएं पृथ्वी की सतह के भीतर ऐसी दरारें होती हैं जहां टेक्टोनिक गतिविधि बहुत ज़्यादा होती है। इन फॉल्ट लाइनों के कारण भी दिल्ली को अक्सर हल्के से मध्यम भूकंप का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार, हिमालय की निकटता और टेक्टोनिक प्लेटों की सक्रियता दिल्ली में बार-बार आने वाले भूकंपों की प्रमुख वजह है।

     

    फॉल्ट लाइनों का जाल

    दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में कई सक्रिय फॉल्ट लाइन्स (Fault Lines) मौजूद हैं, जैसे:

    • दिल्ली-हरिद्वार रिज
    • मथुरा फॉल्ट
    • सोहना फॉल्ट

    ये फॉल्ट लाइनें दरअसल पृथ्वी की सतह के नीचे की भूगर्भीय दरारें हैं, जहां टेक्टोनिक प्लेटों के खिसकने से तनाव जमा होता रहता है।
    जब यह तनाव अचानक रिलीज होता है, तो झटका महसूस होता है, यानी भूकंप आता है। ये लगातार छोटी-मोटी गतिविधियां दिल्ली को ‘भूकंप हॉटस्पॉट’ बनाती हैं।

     

    क्या दिल्ली में कभी खतरनाक भूकंप आया था ?

    हाँ, राजधानी दिल्ली में अब तक का सबसे खतरनाक भूकंप 27 अगस्त 1960 को आया था। इस दिन रिक्टर स्केल पर 5.6 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था, जिसे अब भी दिल्ली के इतिहास का सबसे शक्तिशाली भूकंप माना जाता है।

    इस भूकंप के झटकों ने शहर की कई इमारतों में दरारें डाल दी थीं, जिससे दहशत फैल गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, करीब 100 लोग मलबा गिरने की वजह से घायल हुए थे।

    हालांकि इस भूकंप में कोई बड़ी जनहानि नहीं हुई, लेकिन इसने यह साफ कर दिया कि दिल्ली एक भूकंपीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र है, जहां भूकंप का खतरा कभी भी बड़ी आपदा का रूप ले सकता है।

     

    भूकंप के दौरान क्या करें? – जानिए ज़रूरी बचाव के उपाय

    भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है जो अचानक आती है और घबराने पर नुकसान बढ़ सकता है। ऐसे में ज़रूरी है कि आप सतर्क रहें और कुछ आसान उपायों को अपनाएं। आइए जानते हैं भूकंप आने पर क्या करना चाहिए:

    1. शांत रहें, घबराएं नहीं: सबसे पहले अपने आप को शांत रखें। घबराने से स्थिति और बिगड़ सकती है।
    2. अगर घर के अंदर हैं:
      • किसी मज़बूत मेज़ या टेबल के नीचे बैठें और सिर को ढककर पकड़ें।
      • दीवारों, खिड़कियों, शीशों, पंखों और भारी सामान से दूर रहें।
      • लिफ्ट का उपयोग बिल्कुल न करें।
    3. अगर आप बाहर हैं:
      • बिजली के खंभों, पेड़ों और इमारतों से दूर खुले मैदान में रहें।
      • टूटती चीज़ों से बचें, जैसे कांच या टीन की छतें।
    4. अगर वाहन चला रहे हैं:
      • गाड़ी को धीरे से सुरक्षित जगह पर रोकें।
      • पुल, ओवरब्रिज, पेड़ या इमारत के नीचे गाड़ी न रोकें।
      • वाहन के अंदर ही बैठे रहें जब तक झटके रुक न जाएं।
    5. सीढ़ियां या लिफ्ट का इस्तेमाल न करें: भूकंप के समय नीचे भागने की कोशिश न करें, क्योंकि सीढ़ियां और लिफ्ट बेहद ख़तरनाक हो सकती हैं।
    6. अफवाहों से बचें:
      • किसी भी अफवाह पर यकीन न करें।
      • सिर्फ़ सरकारी सूचना या आपातकालीन चेतावनियों पर भरोसा करें।