भारत ने स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने जानकारी दी कि देश की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 484.8 गीगावाट तक पहुंच गई है, जिसमें से 242.8 गीगावाट अब गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से प्राप्त हो रही है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि भारत ने 2030 के लक्ष्य से पूरे 5 साल पहले ही 50% हरित ऊर्जा हिस्सेदारी का मील का पत्थर पार कर लिया है।

क्या था भारत का लक्ष्य?
भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह वादा किया था कि वह 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करेगा। यह उपलब्धि भारत की वैश्विक जलवायु प्रतिबद्धताओं और हरित विकास नीति की सफलता को दर्शाती है।
प्रल्हाद जोशी ने इस उपलब्धि को “हरित भारत की दिशा में बड़ा कदम” बताया और कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व का परिणाम है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक उपलब्धि नहीं, बल्कि 2047 तक स्वच्छ और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में निर्णायक कदम है।
नीति आधारित परिवर्तन: स्वच्छ ऊर्जा में भारत की मजबूती
भारत की स्वच्छ ऊर्जा यात्रा केवल तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि एक नीति-संचालित सामाजिक-आर्थिक क्रांति बन चुकी है। यह सफलता इस बात का प्रमाण है कि जब दूरदर्शी नीतियाँ, साहसिक कार्यान्वयन और जलवायु प्रतिबद्धता साथ चलते हैं, तो परिवर्तन असंभव नहीं रहता।
प्रमुख योजनाएँ जो बनीं आधार
- पीएम-कुसुम योजना (प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान)
इस योजना ने लाखों किसानों को सोलर पंप उपलब्ध कराकर कृषि क्षेत्र को ऊर्जा-सुरक्षित और टिकाऊ बनाया। इससे किसानों को न केवल ऊर्जा आत्मनिर्भरता मिली, बल्कि एग्रोवोल्टिक्स और फीडर-स्तरीय सौर ऊर्जाकरण जैसे क्षेत्रों में नई संभावनाएं खुलीं। - पीएम सूर्य घर योजना (2024) यह योजना एक छतों पर सौर क्रांति की शुरुआत है। इसका लक्ष्य 1 करोड़ घरों को सौर ऊर्जा से जोड़ना है। इसके माध्यम से नागरिकों को केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि ऊर्जा उत्पादक के रूप में भी सशक्त किया जा रहा है।
- सौर पार्क विकास, राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति और विकेन्द्रीकृत ऊर्जा नीतियाँ ने ऊर्जा क्षेत्र को बहुआयामी रूप दिया है।
जैव ऊर्जा की नई भूमिका
कभी उपेक्षित रहा बायो-एनर्जी सेक्टर अब ग्रामीण भारत में आजीविका और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन दोनों में मजबूत योगदान दे रहा है। इससे गांवों में रोजगार और ऊर्जा दोनों का स्थायी समाधान मिल रहा है।
आइए समझते है, हरित ऊर्जा क्या है?
हरित ऊर्जा (Green Energy) वह ऊर्जा है जो प्राकृतिक, अक्षय स्रोतों जैसे सूरज, हवा, पानी, बायोमास और भूतापीय स्रोतों से प्राप्त होती है। इसे “हरित” इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके उत्पादन से ग्रीनहाउस गैसें नहीं निकलतीं और यह पर्यावरण के लिए सुरक्षित होती है।
हरित ऊर्जा के प्रमुख प्रकार (Types of Green Energy):
भारत जैसे देश में जहां संसाधनों की विविधता है, वहां हरित ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों का उपयोग पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए ऊर्जा उत्पादन में मदद करता है। नीचे हरित ऊर्जा के मुख्य प्रकार दिए गए हैं:
- सौर ऊर्जा (Solar Energy): सूर्य की किरणों से प्राप्त ऊर्जा को सौर पैनलों के माध्यम से बिजली में बदला जाता है। यह ऊर्जा का सबसे लोकप्रिय और सुलभ स्रोत है, जिसका उपयोग छतों, खेतों और सौर पार्कों में किया जाता है।
- पवन ऊर्जा (Wind Energy): पवन टर्बाइन हवा की गति से घूमते हैं और गतिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलते हैं। यह स्रोत विशेष रूप से समुद्री तटों और ऊंचे क्षेत्रों में प्रभावी होता है।
- जलविद्युत ऊर्जा (Hydropower): बांधों और नदियों के तेज़ प्रवाह से टर्बाइन चलाकर बिजली उत्पन्न की जाती है। यह भारत में सबसे पुराना और सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है।
- भूतापीय ऊर्जा (Geothermal Energy): पृथ्वी के अंदर मौजूद गर्म चट्टानों और जलाशयों की गर्मी से टर्बाइन चलाए जाते हैं। इसका प्रयोग मुख्य रूप से गर्म जल आपूर्ति और बिजली उत्पादन में होता है।
- जैव ऊर्जा (Biomass Energy): लकड़ी, फसल के अवशेष, गोबर और अन्य जैविक कचरे को जलाकर या गैसीकरण कर ऊर्जा बनाई जाती है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में एक किफायती और स्थायी ऊर्जा विकल्प है।
हरित ऊर्जा के लाभ
हरित ऊर्जा का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करती। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल दुनिया भर में वायु प्रदूषण के कारण 42 लाख मौतें होती हैं, जिनमें से अधिकांश विकासशील देशों में होती हैं। हरित ऊर्जा के प्रयोग से इन आंकड़ों में कमी लाई जा सकती है। इसके साथ ही, यह ऊर्जा स्रोत आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देता है और ऊर्जा क्षेत्र में विदेशी आयातों पर निर्भरता को घटाता है।
हरित ऊर्जा न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि यह देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिरता के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह एक स्वच्छ, सुरक्षित और सस्ती ऊर्जा का माध्यम बन सकता है, जिससे आने वाली पीढ़ियों को बेहतर जीवन सुनिश्चित किया जा सके।
निष्कर्ष:
भारत की यह उपलब्धि केवल आँकड़ों की जीत नहीं है, बल्कि यह बताती है कि देश अब नवीकरणीय ऊर्जा और हरित विकास के पथ पर मजबूती से आगे बढ़ रहा है। यह हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित, स्वच्छ और टिकाऊ वातावरण की ओर एक सार्थक पहल भी।
- पीएम-कुसुम योजना (प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान)